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शिक्षक भर्ती घोटाले में योगी आदित्यनाथ एक्शन में- एक निलंबित, पांच को हटाया

अनियमितताओं के लिए प्रथम दृष्टया दोषी, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी सुत्ता सिंह को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर उनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाई प्रारम्भ करने के निर्देश दिए हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 01:21 PM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 10:52 AM (IST)
शिक्षक भर्ती घोटाले में योगी आदित्यनाथ एक्शन में- एक निलंबित, पांच को हटाया
शिक्षक भर्ती घोटाले में योगी आदित्यनाथ एक्शन में- एक निलंबित, पांच को हटाया

लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश के सभी परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताएं उजागर होने पर बैकफुट पर आई सूबे की सरकार ने डैमेज कंट्रोल के लिए कदम बढ़ाते हुए कार्रवाई की है। शिक्षक भर्ती का लिखित इम्तिहान आयोजित करने के लिए जिम्मेदार संस्था परीक्षा नियामक प्राधिकारी की सचिव डॉ. सुत्ता सिंह को मुख्यमंत्री के निर्देश पर निलंबित करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनिक जांच शुरू कर दी गई है। 

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सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद के पद पर लंबे समय से जमे संजय सिन्हा से यह कुर्सी छीन ली गई है। रजिस्ट्रार, विभागीय परीक्षाएं जीवेंद्र सिंह ऐरी को हटाकर उन्हें कौशांबी के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में वरिष्ठ प्रवक्ता के पद पर भेजा गया है। शिक्षक भर्ती में बरती गईं अनियमितताओं की जांच के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रमुख सचिव चीनी एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। 

सुत्ता सिंह के निलंबन के बाद परीक्षा नियामक कार्यालय के पीछे शिक्षक भर्ती से जुड़े दस्तावेजों को जलाकर नष्ट करने का मामला सामने आया है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में स्कैन कापियां लेने पहुंचे अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है कि शिक्षक भर्ती से जुड़े दस्तावेजों को जलाया गया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि जब उन्होंने कापियों और अन्य जरुरी दस्तावेजों को जलाने से रोकने की कोशिश की तो उन्हें बाहर भगा दिया गया।हालांकि अभ्यर्थियों का कहना है कि कुछ अभ्यर्थी अधजले कागजात अपने साथ लेकर गए हैं। जिसे वे कोर्ट के समक्ष पेश भी करेंगे। कापियों के जलाने के वक्त अभ्यर्थियों ने मोबाइल के क्लिपिंग भी बनायी थी। जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में शिक्षक भर्ती से जुड़े दस्तावेंजों और कापियों के जलाये जाने को लेकर जांच के आदेश दे दिए गए है।

सात दिनों में देनी होगी जांच रिपोर्ट

सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक वेदपति मिश्रा और बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह जांच समिति के सदस्य बनाये गए हैं। समिति को मामले की गहनता से जांच कर दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करते हुए सात दिनों में अपनी रिपोर्ट शासन को देनी होगी। बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव डा. प्रभात कुमार ने बताया कि जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ रिपोर्ट आने पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

नए अफसर तैनात

निलंबित और हटाए गए अधिकारियों की जगह नए अफसरों की तैनाती की गई हैै। लखनऊ में अपर निदेशक बेसिक शिक्षा रहीं रूबी सिंह को सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद के पद पर इलाहाबाद भेजा गया है। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात ललिता प्रदीप को अपर निदेशक बेसिक शिक्षा बनाया गया हैै। मेरठ मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक अनिल भूषण चतुर्वेदी को इलाहाबाद में निदेशक राज्य विज्ञान संस्थान के साथ सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी के पद पर तैनात किया गया है। लखनऊ में सर्व शिक्षा अभियान के संयुक्त निदेशक अजय कुमार को रजिस्ट्रार, विभागीय परीक्षाएं, इलाहाबाद के पद पर तैनाती दी गई है। उनकी जगह जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ के प्राचार्य पवन सचान को भेजा गया है। उप निदेशक (शिविर) माध्यमिक शिक्षा निदेशक कार्यालय भगवती सिंह को बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यों के लिए शासन से सम्बद्ध किया गया है। सुत्ता सिंह निलंबन अवधि में बेसिक शिक्षा निदेशक के लखनऊ स्थित कार्यालय से संबद्ध रहेंगी। 

हाईकोर्ट को देना है जवाब

गौरतलब है कि इस मामले में रिट याचिका संख्या 24172/2018 सोनिका देवी बनाम उत्तर प्रदेश में कहा गया है कि मूल्यांकन के समय अभ्यर्थी की उत्तर पुस्तिका ही बदल दी गई। सरकार की ओर से महाधिवक्ता को हाईकोर्ट को यह आश्वासन देना पड़ा है कि शासन स्तर पर इस मामले की जांच करायी जाएगी और इसमें जो व्यक्ति दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। 

फेल 23 अभ्यर्थियों को कर दिया उत्तीर्ण

बेसिक शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा में 23 ऐसे अभ्यर्थियों की सूची भी प्राप्त हुई जिन्हें परीक्षा में फेल होने के बावजूद उत्तीर्ण  घोषित कर दिया गया। मामला उजागर होने पर इन सभी की नियुक्तियां बेसिक शिक्षा परिषद के माध्यम से रोकनी पड़ीं।


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