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सीएम योगी आदित्यनाथ ने 'भारतीय भाषाओं में राम' का किया विमोचन, बोले- श्रीराम का जीवन चरित्र मनुष्यता का प्रतिबिंब

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अयोध्या शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित ग्रंथ भारतीय भाषाओं में राम (चार खंड) का विमोचन किया। मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित विमोचन समोराह में सीएम योगी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीयता का प्रतीक हैं। श्रीराम का जीवन चरित्र मनुष्यता का प्रतिबिंब है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 12:38 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 12:38 AM (IST)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित ग्रंथ 'भारतीय भाषाओं में राम' (चार खंड) का विमोचन किया।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अयोध्या शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित ग्रंथ 'भारतीय भाषाओं में राम' (चार खंड) का विमोचन किया। मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित विमोचन समोराह में सीएम योगी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीयता का प्रतीक हैं। श्रीराम का जीवन चरित्र मनुष्यता का प्रतिबिंब है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राम को जिसने जिस भाव से भजा, उसे वैसी ही गति मिली। रत्नाकर ने भजा तो वाल्मीकि होकर रामायण की रचना की और मारीच ने द्वेषभाव से भजा तो उन्हें मनुष्य होते हुए भी पशु योनि में मरना पड़ा। हनुमान ने 'राम काज' को जीवन माना तो लोकदेवता हो गए और रावण ने बैरभाव रखा तो उसकी ऐसी दुर्गति हुई कि बुराई का सनातन प्रतीक बन गया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ने कहा कि दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी का देश इंडोनेशिया हो या फिर थाईलैंड। या दक्षिण कोरिया जैसा देश। राम सर्वत्र हैं। सबने राम की महिमा को सहर्ष अंगीकार किया है। योगी ने अयोध्या शोध संस्थान व वाणी प्रकाशन द्वारा 17 भाषाओं में राम कथा को संकलित कर भारतीय भाषाओं में राम के प्रकाशन की सराहना की। कहा कि शीघ्र ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया आफ राम भी उपलब्ध होगी।

विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि कुछ समय पहले तक जो लोग राम को काल्पनिक पात्र बताकर उनका अपमान करते थे, उनमें अयोध्या का टिकट कटाने की होड़ मची है। राम भारत की आत्मा हैं। राम के बिना मनुष्यता की कल्पना नहीं की जा सकती। समारोह में राष्ट्रधर्म पत्रिका के संपादक ओम प्रकाश पांडेय ने श्रीराम जीवन चरित के विविध प्रसंगों के माध्यम से आदर्श चरित्र की व्याख्या की। वाणी प्रकाशन के अरुण माहेश्वरी ने सभी का आभार जताया।


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