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Water Crisis : गोमती में बढ़ी अमोनिया की मात्रा, साफ पानी का संकट

शुद्ध नहीं हो पा रहा पानी जलापूर्ति गड़बड़ाने की आशंका। 10 लाख लोग गोमती के पानी पर निर्भर हैंं।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 07 Jun 2019 09:26 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 04:23 PM (IST)
Water Crisis : गोमती में बढ़ी अमोनिया की मात्रा, साफ पानी का संकट
Water Crisis : गोमती में बढ़ी अमोनिया की मात्रा, साफ पानी का संकट

लखनऊ, जेएनएन।  गोमती नदी का पानी गंदा होता जा रहा है। बैराज बंद होने और नगरिया नाला का पानी सीधे गोमती में गिरने से नदी जल में अमोनिया की मात्रा बढ़कर पांच पीपीएम तक पहुंच गई, जबकि यह मात्र शून्य होनी चाहिए। स्थिति सुधारने के लिए जलकल विभाग ने रात में ही बैराज का गेट खुलवा कर गंदे पानी की निकासी कराई। इसके बाद भी हालत में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में शोधन के बाद भी पानी शुद्ध नहीं हो पा रहा, जिससे शहर में जलापूर्ति भी गड़बड़ाएगी।

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गोमती नदी में प्रदूषण चरम पर है। इससे पानी में अमोनिया की मात्र पांच पीपीएम पहुंच गई। पानी में बुधवार शाम से ही अमोनिया की मात्र बढ़ने लगी थी। नदी में एक तरफ नगरिया नाले से गंदे पानी का आना जारी है तो दूसरी तरफ गोमती बैराज खुलवाने से गऊघाट के पास गोमती का जलस्तर कम हो रहा है और इससे जलापूर्ति गड़बड़ाने का खतरा बना हुआ है। जलकल विभाग ने जल निगम को पत्र लिखकर नगरिया नाले के सभी पंप चलवाने को कहा है।

बताते चलें कि नगरिया नाला गोमती अपस्ट्रीम पर गऊघाट से ठीक पहले गिरता है। नाले के पानी को एसटीपी में पंप करने के लिए आधा दर्जन पंप लगे हैं, इस समय दो पंप बंद हैं जिससे पानी सीधे गोमती में जा रहा है। इससे गऊघाट इंटेक में प्रदूषण चरम पर है। इसी के चलते समस्या बढ़ गई है। जलकल विभाग समस्या दूर करने में जुटा है।

10 लाख लोग गोमती के पानी पर निर्भर

गोमती नदी से 405 मिलियन लीटर पानी लेकर उसे शोधन के बाद शहर में जलापूर्ति की जाती है। ऐशबाग और बालागंज से होने वाली यह जलापूर्ति पुराने शहर के अलावा ऐशबाग से हजरतगंज, निशातगंज व डालीगंज तक होती है। करीब दस लाख लोग गोमती नदी के पानी पर निर्भर हैं।

निशाने पर सेहत

गोमती नदी का पानी शोधन के बाद शहर में सप्लाई किया जाता है। पानी जितना साफ रहता है उतने ही कम केमिकल प्रयोग होते हैं। पानी गंदा होने की स्थिति में सफाई के लिए ज्यादा केमिकल इस्तेमाल होते हैं और पानी केमिकल युक्त हो जाता है।

कुड़ियाघाट में घुलित ऑक्सीजन घटी

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार गुरुवार को कुड़ियाघाट पर घुलित आक्सीजन (डीओ) की मात्र नदी जल में एक मिग्रा. से कम 0.82 ही रह गई। वहीं गोमती बैराज पर डीओ 1.42, हनुमान सेतु पर 2.10 मिली। गऊघाट पर कुछ बेहतर 5.12 मिग्रा.पाई गई। साफ है कि गोमती में प्रदूषण सिर चढ़ कर बोल रहा है।

क्या कहते हैं महाप्रबंधक ?

जलकल विभाग महाप्रबंधक एसके वर्मा का कहना है कि नदी में अमोनिया की मात्र बढ़ने से दिक्कत बढ़ी है। अटरिया से नहर का पानी गोमती में छोड़ने को कहा है, जिससे बैराज को खोलकर ठहरे पानी को बहाया जाएगा। पानी शुद्ध करके ही आपूर्ति की जा रही है। 

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