Ayodhya Case Verdict : फैसले से पहले CJI रंजन गोगोई ने UP के मुख्य सचिव व DGP से शांति व्यवस्था पर ली रिपोर्ट
Ayodhya Case Verdict चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से मिलने के बाद यूपी के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और डीजीपी ओपी सिंह अन्य अधिकारियों के साथ सुप्रीम कोर्ट से निकले।
लखनऊ, जेएनएन। Ayodhya Case Verdict अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह फैसला सुनाएगा। फैसला आने से पहले देश की शीर्ष अदालत भी उत्तर प्रदेश में हर प्रकार की तैयारियों को परखना चाह रही है। धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील इस मुकदमे में फैसले से पहले उत्तर प्रदेश और विशेषकर अयोध्या की स्थिति जानने के लिए शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी और डीजीपी ओपी सिंह से मिलकर कानून व्यवस्था की स्थिति जानी।
ऐतिहासिक फैसले से पहले राज्य में कानून व्यवस्था का क्या हाल है, सरकार के जिम्मेदार तीसरे अंग न्यायपालिका का मुखिया होने के नाते मुख्य न्यायाधीश ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट बुलाकर स्थिति की जानकारी ली। मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी और डीजीपी ओपी सिंह के साथ मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने दोपहर में करीब डेढ़ घंटे अपने चैम्बर में मुलाकात की। हालांकि मुलाकात का कोई औपचारिक ब्योरा नहीं दिया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि प्रदेश के दोनों आला अधिकारियों ने मुख्य न्यायाधीश को प्रदेश में शांति और कानून व्यवस्था की स्थित ठीक होने की जानकारी दी।
पूरे देश में यह चर्चा तेज है कि अयोध्या को लेकर फैसला कभी भी आ सकता है। इसे लेकर ना सिर्फ उत्तर प्रदेश और बल्कि पूरे देश की पुलिस को सतर्क कर दिया गया। इस बीच शुक्रवार सुबह सूचना मिली कि भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी तथा पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह से अपने चेम्बर में मुलाकात करेंगे। जहां तुरंत मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी तथा पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के साथ अन्य वरिष्ठ पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारी नई दिल्ली पहुंच गए।
बताया गया कि मुख्य न्यायाधीश इन अधिकारियों से भेंट करने के साथ ही अयोध्या के फैसले से पहले की तैयारियों पर चर्चा करेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के विवाद के मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। इस फैसले के शीघ्र आने की संभावना के बीच में उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या के साथ ही प्रदेश के हर जिले में सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता करने में लगी है।
सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले ही फैसला आना है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि विवाद पर लगातार 40 दिन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित कर लिया गया है। अब सभी को इसके फैसले का इंतजार है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनके रिटायरमेंट से पहले ही फैसला आना है।
Chief Justice of India to meet Uttar Pradesh Chief Secretary, Director General of Police & other senior police officials today over preparedness ahead of probable Ayodhya verdict.
— ANI (@ANI) November 8, 2019
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर फैसले की घड़ी करीब आ रही है और इसको लेकर पहले से ही हर तरह की तैयारी की जा रही है। अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजार हैं। अयोध्या से सटे जिलों में भी पुलिस मुस्तैद है और किसी भी तरह की घटना से निपटने के लिए खास तैयारी है। केंद्र के साथ राज्य की पुलिस तैयार है।
#Ayodhya यूपी के दोनों अधिकारी आज दोपहर मुख्य न्यायाधीश से उनके चेम्बर में मिलेगे।@JagranNews
— Mala Dixit (@mdixitjagran) November 8, 2019
पुलिस मुख्यालय ने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील 34 जिलों के पुलिस प्रमुखों को भी निर्देश जारी कर दिए हैं। इनमें मेरठ, आगरा, अलीगढ़, रामपुर, बरेली, फिरोजाबाद, कानपुर, लखनऊ, शाहजहांपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और आजमगढ़ है।
अफवाहों और गलत जानकारियों को फैलने से रोकने के लिए सोशल मीडिया पर भी निगरानी रखी जा रही है। उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा है कि अगर किसी ने कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की तो उस पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एसएसए) लग सकता है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में 40 दिन की मैराथन सुनवाई करने के बाद गत 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को दिये गए फैसले में राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों मे बांटने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ सभी पक्षों ने कुल 14 अपीलें सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थीं।
14 या 15 नवंबर को आ सकता है फैसला
सुप्रीम कोर्ट में शनिवार से लेकर मंगलवार तक छुट्टी है। ऐसे में जस्टिस गोगोई की सेवानिवृति तक मात्र तीन कार्यदिवस बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार ही बचे हैं जिनमें फैसला आ सकता है। उम्मीद है कि फैसला 14 या मुख्य न्यायाधीश के आखिरी कार्यदिवस 15 नवंबर को आ सकता है, लेकिन साथ ही यह भी बताते चलें कि छुट्टी के दिन फैसला सुनाने पर कोई रोक नहीं है। न्यायाधीश चाहें तो किसी भी दिन फैसला सुना सकते हैं। अयोध्या का मामला बहुत अहम है। इसका फैसला आने से एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट की सूची में आ जाएगा कि फैसला किस दिन सुनाया जाएगा। इसके अलावा संबधित पक्षकारों के वकीलों को भी सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आने का संदेश भेजा जाता है।