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KGMU : 15 घंटे बाद पहुंची सीनियर डॉक्टर, शिशु की तड़प-तड़प कर मौत Lucknow news

परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप। चिकित्सा शिक्षा मंत्री के कार्यालय से फोन आने के बाद भी नहींं म‍िला इलाज।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 07:33 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jul 2019 08:13 AM (IST)
KGMU : 15 घंटे बाद पहुंची सीनियर डॉक्टर, शिशु की तड़प-तड़प कर मौत Lucknow news
KGMU : 15 घंटे बाद पहुंची सीनियर डॉक्टर, शिशु की तड़प-तड़प कर मौत Lucknow news

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में डॉक्टरों की लापरवाही का सिलसिला नहीं थम रहा है। यहां जूनियर डॉक्टर के भरोसे शिशु का इलाज चलता रहा, और 15 घंटे तक सीनियर डॉक्टर नहीं पहुंचीं। इसके चलते उसकी मौत हो गई। यह हाल तब है जब चिकित्सा शिक्षा मंत्री के कार्यालय से बच्चे के इलाज के लिए फोन किया गया था।

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हरदोई निवासी सात माह के रिषभ की तबीयत खराब हो गई थी। स्थानीय डॉक्टरों ने शिशु को केजीएमयू रेफर कर दिया था। 27 जून की रात ग्यारह बजे पिता बृजेश उसे लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां उसे भर्ती नहीं किया गया। करीब चार घंटे रिषभ को लेकर परिजन भटकते रहे। इसके बाद डॉक्टरों ने ट्रॉमा के एनआइसीयू में बेड खाली न होने पर बालरोग विभाग में भेज दिया। चाचा संदीप के मुताबिक बाल रोग विभाग में जूनियर डॉक्टर ही इलाज करते रहे। बीच में एक-दो बार ही सीनियर डॉक्टर आए। हालत गड़बड़ाने पर बार-बार सीनियर डॉक्टर को बुलाने की फरियाद करता रहा। मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। 

सिफारिश से भर्ती, इलाज दरकिनार

संदीप के मुताबिक चिकित्सा शिक्षा मंत्री के कार्यालय से फोन कराया। गुरुवार रात नौ बजे ट्रॉमा सेंटर के एनआइसीयू में रिषभ को भर्ती किया गया। यहां रात में कोई सीनियर डॉक्टर देखने नहीं आया। जूनियर खून आदि की जांच के लिए दौड़ाते रहे। वहीं, शुक्रवार सुबह बच्चे की हालत अधिक गंभीर हो गई। हंगामा व विरोध पर सीनियर डॉक्टर को सूचना दी गई। ऐसे में गुरुवार रात नौ बजे भर्ती बच्चे को देखने शुक्रवार 12 बजे के बाद बाल रोग चिकित्सक पहुंचीं। 

परिजन खून लेकर आए, तब तक थम गईं सांस 

संदीप के मुताबिक सीनियर डॉक्टर ने बच्चे को तत्काल खून चढ़ाने की आवश्यकता बताई। इस दौरान परिजन खून लेने गए। रक्तदान कर एक यूनिट खून लेकर आए। इस बीच बच्चे की हालत और बिगड़ गई। डेढ़ बजे के करीब शिशु रिषभ की मौत हो गई। परिजनों ने सीएम से ट्विटर पर शिकायत की। साथ ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री से लिखित शिकायत की बात कही है।


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