Child Adoption Rules: निसंतान दंपतियों के लिए राहत भरी खबर, बच्चा गोद लेने में अब नहीं होगी परेशानी
Child Adoption Rules दत्तक ग्रहण की गाइडलाइन के अनुसार बच्चे को गोद देने से पहले फाइनल एडाप्शन आर्डर के लिए मामला कोर्ट के पास जाता था लेकिन अब डीएम के आदेश से ही बच्चे को गोद लिया जा सकेगा।
लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। जिन अभिभावकों को कोई संतान नहीं है और वह बच्चे को गोद लेना चाहते हैं उनके लिए राहत भरी खबर है। बच्चे को गोद लेने की प्रकि्या अब आसान हो गई है। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण (कारा) ने बच्चे को गोद देने के लिए अब जिलाधिकारी को ही अधिकृत करने का आदेश जारी कर दिया है। अभिकरण द्वारा जारी नई नियमावली के अनुसार बच्चे को अभिभावक को गोद देना है या नहीं अब इसे डीएम ही तय कर सकेंगे।
नियमावली में किया गया संशोधन
अब तक बच्चे को गोद देने से पहले दत्तक ग्रहण की गाइडलाइन के अनुसार फाइनल एडाप्शन आर्डर के लिए मामला कोर्ट के पास जाता था। हालांकि इसके लिए दो महीने का समय निर्धारित था लेकिन अधिकांश मामलों में काफी समय लग रहा था। कुछ मामले तो सालों तक लंबित रह जाते हैं। इन लंबित मामलों को देखते हुए ही नियमावली में संशोधन किया गया है। मौजूदा समय में कारा के पोर्टल के अनुसार उत्तर प्रदेश में दत्तक ग्रहण के 63 मामले कोर्ट में लंबित हैं, जिनमें से लखनऊ के सात मामले हैं। अब संशोधित गाइडलाइन के अनुसार फाइनल एडाप्शन आर्डर डीएम के स्तर से जारी हो जाएगा।
इस तरह से हुआ बदलाव
गोद देने की प्रकि्या दो तरह से होती है। एक देश के अंदर और दूसरा देश के बाहर। देश के अंदर गोद दिए जाने की प्रक्रिया में प्री एडाप्शन फास्टर केयर (अस्थायी देखभाल) के बाद एडाप्शन पर अंतिम निर्णय के लिए मामला कोर्ट में जाता है। वहीं, विदेश में गोद देने पर कोर्ट की अंतिम मोहर और कारा की एनओसी के बाद ही बच्चा अभिभावकों को दिया जाता है। कोर्ट द्वारा एडाप्शन पर अंतिम निर्णय के बाद ही बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाता था, अब यह अधिकार डीएम के पास होगा।
नए आदेश से तेजी से निस्तारित होंगे मामले
पहले तो कोर्ट में नंबर आने में ही समय लग जाता है। उसके बाद किन्हीं न किन्हीं कारणों से केस की तिथि आगे बढ़ती रहती है। अब नए आदेश से एडाप्शन के मामले निस्तारित होने में तेजी आएगी। दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया पूरी वही है, लेकिन अब जिलाधिकारी की ओर से एडाप्शन आर्डर साइन होंगे। - गौरव कुमार, राज्य समन्वयक, दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण
दत्तक ग्रहण इकाइयों को भी इससे सुविधा होगी। कुछ मामले समय से निस्तारित हो जाते थे, वहीं कुछ की प्रक्रिया में बहुत समय लग जाता था। सामान्य केस के साथ ही इन मामलों को भी निस्तारित किए जाने से भी असुविधा होती थी। नये बदलाव अब प्रक्रिया सरल, तेज और सुविधाजनक होने की उम्मीद है। - शिल्पी सक्सेना, एडाप्शन आफिसर, दत्तक ग्रहण ईकाई, लीलावती मुंशी निराश्रित बालगृह, मोती नगर
लेना चाहते हैं गोद तो जान लें यह नियम
भावी दत्तक माता-पिता की आयु पंजीकरण की तारीख को, विभिन्न आयु समूहों के बच्चों के लिए अलग-अलग तय है। दो वर्ष तक के बच्चे के लिए भावी दत्तक माता की संयुक्त आयु 85 वर्ष होनी चाहिए। दो वर्ष से अधिक और चार वर्ष तक के बच्चे को गोद लेने के लिए संयुक्त आयु 90 वर्ष होनी चाहिए। चार वर्ष से अधिक और आठ वर्ष तक के बच्चे को गोद लेने के लिए भावी अभिभावकों की संयुक्त आयु 100 वर्ष तय है।
आठ वर्ष से अधिक और 18 वर्ष तक गोद लेने के लिए भावी माता-पिता की संयुक्त आयु 110 वर्ष होनी चाहिए। सिंगल मेल को गर्ल चाइल्ड गोद नहीं दी जाएगी। सिंगल फीमेल लड़का या लड़की किसी को भी गोद ले सकती है। एकल भावी दत्तक माता पिता की अधिकतम आयु भी अलग-अलग तय है। गोद लेने के लिए कारा की वेबसाइट कारा.एनआइसी. इन पंजीकरण कराना होता है। उसके बाद आगे की प्रक्रिया होती है।