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मुख्य सचिव का निर्देश- मुक्त कराए गए बंधुआ श्रमिकों को तत्काल दी जाए 20 हजार सहायता राशि

मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने जिलाधिकारियों को हिदायत दी है कि वे हर महीने उप जिलाधिकारी के स्तर पर लंबित बंधुआ श्रम प्रकरण के समरी ट्रायल मामलों की समीक्षा करें।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 01:20 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 01:20 AM (IST)
मुख्य सचिव का निर्देश- मुक्त कराए गए बंधुआ श्रमिकों को तत्काल दी जाए 20 हजार सहायता राशि
मुख्य सचिव का निर्देश- मुक्त कराए गए बंधुआ श्रमिकों को तत्काल दी जाए 20 हजार सहायता राशि

लखनऊ, जेएनएन। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने सभी जिलाधिकारियों को शासनादेश जारी कर बंधुआ श्रम पुनर्वासन योजना (नवीन)- 2016 के तहत अपेक्षित कार्रवाई करने के लिए कहा है। इस योजना के तहत मुक्त कराए गए प्रत्येक श्रमिक को 20 हजार रुपये की धनराशि तात्कालिक सहायता मुक्त कराने वाले जिले की ओर से दिए जाने का निर्देश दिया है। जिलाधिकारियों को यह भी हिदायत दी है कि वे हर महीने उप जिलाधिकारी के स्तर पर लंबित बंधुआ श्रम प्रकरण के समरी ट्रायल मामलों की समीक्षा करें और उनका त्वरित निस्तारण कराने की व्यवस्था कराएं।

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मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने कहा है कि 17 मई 2016 के बाद कार्यस्थल से मुक्त कराए गए सभी बंधुआ मजदूरों के मामलों में बंधुआ श्रम पुनर्वासन योजना (नवीन)- 2016 के अनुसार कार्यवाही की जाए। सभी जिलाधिकारियों से कहा गया है कि जैसे ही श्रमिक को तात्कालिक सहायता राशि उपलब्ध कराई जाए, उसका अवमुक्त प्रमाण पत्र व अन्य अपेक्षित विवरण श्रम आयुक्त को उपलब्ध कराते हुए धनराशि की मांग कर ली जाए। यदि धनराशि के अभाव में किसी बंधुआ मजदूर को तात्कालिक सहायता दिया जाना संभव नहीं है तो जिस जिले का वह मूल निवासी है, वहां के जिलाधिकारी से सहायता धनराशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाए।

जिलाधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि अवमुक्त प्रमाण पत्र उप जिलाधिकारी की ओर से हस्ताक्षरित हो और उसमें श्रमिक व उसके नियोक्ता का पूरा विवरण तथा उसके मुक्त होने की तारीख स्थान आदि अंकित होने चाहिए। हिदायत दी गई है कि बंधुआ मजदूरों के मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जिलाधिकारी की ओर से ही रिपोर्ट भेजी जाए, जिन मामलों में श्रमिक दिए गए पते पर नहीं मिल रहे हैं उनमें श्रम विभाग के साथ राजस्व विभाग के संयुक्त टीम गठित कर जांच कराई जाए।


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