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कारगिल विजय दिवस : प्रेरणा स्थल के रूप में उभरेगी शहीदों की स्मृतिका Lucknow News

कारगिल शहीद स्मृति वाटिका में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और राज्‍यपाल राम नाइक ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 26 Jul 2019 10:29 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2019 10:29 AM (IST)
कारगिल विजय दिवस : प्रेरणा स्थल के रूप में उभरेगी शहीदों की स्मृतिका Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। राजधानी घूमने आने वाले पर्यटक अब सेना की शौर्यगाथा और जांबाजों की शहादत के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे। राज्यपाल राम नाईक ने छावनी स्थित मध्य कमान युद्ध स्मारक स्मृतिका को राज्य सरकार को अपने पर्यटन क्षेत्र में शामिल करने के निर्देश दिए। जिससे लोगों को यह पता चल सके कि हमारे जांबाजों ने कैसे शहादत देकर देश की रक्षा की। यह उनके लिए प्रेरणा स्थल होगा।

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उन्होंने मंच पर बैठे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि पर्यटन विभाग का कार्यभार आपके पास है। लिहाजा आप स्मृतिका को अपने पर्यटन स्थल में शामिल करें। इससे लोग यहां आएंगे और सेना से उनका संवाद भी बढ़ेगा। राज्यपाल नगर निगम की ओर से कारगिल स्मृति वाटिका में आयोजित कारगिल विजय दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। यहां मेयर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि अब शहर में हर शहीद के घर के सामने की सड़क उनके नाम पर होगी। जबकि नगर निगम में उनको कोई टैक्स नहीं देना होगा। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय सेना के जांबाजों ने 1999 में दुश्मनों के छक्के छुड़ाकर आज ही के दिन कारगिल की पहाड़ी पर विजय प्राप्त की थी। भारतीय सेना दुनिया की सबसे बेहतर सेनाओं में से एक है। आजादी के बाद अब तक भारत पर पांच युद्ध थोपे गए। सन 1948, 1962, 1965 व 1971 के बाद पांचवे युद्ध में 1999 में कारगिल में पाकिस्तान ने भारत की सीमा में घुसपैठ करने का प्रयास किया तो विपरीत परिस्थिति के बावजूद हमारे जांबाजों के पराक्रम ने सफलता हासिल की।

कहा, सही मायने में कारगिल दिवस भारत के शौर्य का दिवस है। कारगिल युद्ध के समय देश में हर तरफ ज्वार उबल रहा था। क्या उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम। कोई ऐसा राज्य नहीं था जिसने कोई शहीद न दिया हो। जातिवाद, क्षेत्रवाद, मत और मजहब की दीवार टूटी। दुनिया ने एक भारत श्रेष्ठ भारत देखा। आज पूरा देश सुख व चैन की नींद सोता है क्योंकि हमारे जांबाज एक-एक इंच भूमि की रक्षा के लिए सर्दी में माइनस डिग्री तापमान और उबलते रेगितस्तान में चट्टान की तरह डटे रहते हैं। वहीं राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि लखनऊ में कई ऐतिहासिक धरोहर हैं जहां आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक के युद्ध की यादें संजोयी हुई है। उनको और संवारने की जरूरत है। यहां रेजीडेंसी में 15 अगस्त से लाइट एंड साउंड शो शुरू होगा। 

सम्मानित हुआ शहीदों का परिवार 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाईक ने कारगिल शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपीचंद पांडेय, लांसनायक केवलानंद द्विवेदी की पत्नी कमला द्विवेदी, राइफलमैन सुनील जंग की मां वीना महत और पिता एनएन जंग, मेजर रीतेश शर्मा के पिता सत्यप्रकाश शर्मा को सम्मानित किया। साथ ही काकोरी कांड के नायकों क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री के पुत्र उदय खत्री, अशफाक उल्ला खां के पौत्र आफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह की पौत्री सरिता सिंह, शचिंद्रनाथ बख्शी के पुत्र राजेंद्रनाथ बख्शी व पौत्री मीता को भी सम्मानित किया गया। 

बच्चों ने किया मोहक प्रदर्शन
कारगिल विजय दिवस समारोह के दौरान कश्मीरी मोहल्ला गल्र्स कॉलेज की छात्राओं ने वंदे मातरम गीत की प्रस्तुति की। जबकि अमीनाबाद इंटर कॉलेज के बच्चों ने देशभक्ति गीतों पर शानदार कार्यक्रम किया। बैंड की धुन पर भी देशभक्ति गीतों की छटा ने माहौल को और रोमांचित कर दिया। 

स्मृतिका पर जांबाजों को नमन 
छावनी स्थित मध्य कमान युद्ध स्मारक स्मृतिका पर भी शहीदों को नमन किया गया। इस मौके पर राज्यपाल राम नाईक, मध्य कमान सेनाध्यक्ष ले. जनरल अभय कृष्णा, मध्य यूपी सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल प्रवेश पुरी सहित कई सैन्य अधिकारियों ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। अंतिम धुन बजाकर दो मिनट का मौन रखा गया। साथ ही जवानों की टुकड़ी ने सशस्त्र सलामी भी दी। 

सात दिन का मिला बोनस 
राज्यपाल ने कारगिल वाटिका के कार्यक्रम में कहा कि उनका कार्यकाल 22 जुलाई 2012 से शुरू होकर पांच साल का  था। ऐसे में उनको नए राज्यपाल के कार्यभार न संभालने पर सात दिन का बोनस मिल गया। इससे उनको छठवीं बार कारगिल दिवस कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला।


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