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बढ़ती आबादी सबके लिए एक चुनौती, बिना भेदभाव किए सबको इस बारे में सोचना होगा: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने कहा है कि बढ़ती आबादी सबके लिए एक चुनौती है। इसे स्थिर करना सबके हित में है। बिना जाति, धर्म और मजहब का भेदभाव किए सबको इस बारे में सोचना होगा।

By Edited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 10:31 AM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 09:12 AM (IST)
बढ़ती आबादी सबके लिए एक चुनौती, बिना भेदभाव किए सबको इस बारे में सोचना होगा: मुख्यमंत्री
बढ़ती आबादी सबके लिए एक चुनौती, बिना भेदभाव किए सबको इस बारे में सोचना होगा: मुख्यमंत्री

लखनऊ(जेएनएन)। विश्व जनसंख्या दिवस के उपलक्ष्य पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को जनसमुदाय जागरूकता रैली को 5 कालिदास मार्ग से हरी झडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा है कि बढ़ती आबादी सबके लिए एक चुनौती है। इसे स्थिर करना सबके हित में है। बिना जाति, धर्म और मजहब का भेदभाव किए सबको इस बारे में सोचना होगा।

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रैली में पांच हजार लोगों ने लिया हिस्सा: 1090 चौराहे तक जाने वाली इस रैली में करीब 5000 बाइक व साइकिल सवारों ने हिस्सा लिया। इसके माध्यम से लोगों के बीच परिवार नियोजन व इससे जुड़ी योजनाओं की जानकारी दी गई। इस दौरान सीएम योगी के साथ इस दौरान उनके साथ स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ,मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ,मंत्री महेंद्र सिंह व मंत्री स्वाति सिंह भी मौजूद रहे। जनसंख्या स्थिरता पखवारा आज से: विश्व जनसंख्या दिवस पर बुधवार से जनसंख्या स्थिरता पखवारे की शुरुआत हो गई है। 25 जुलाई तक चलने वाले पखवारे के दौरान लोगों को परिवार नियोजन व इससे जुड़ी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। परिवार कल्याण मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने मंगलवार को यह जानकारी दी थी।

विकास से तेज जनसंख्या की रफ्तार: आबादी के मुकाबिल विकास की रफ्तार लगभग आधी है। साल 2011 में हुई जनगणना के बाद विकास को रफ्तार उस तेजी से नहीं मिल सकी, जिस रफ्तार से इसकी आवश्यकता थी। अनुमान है कि राजधानी की आबादी चालीस लाख का आकड़ा पार कर चुकी है जिसके साल 2031 तक 65 लाख पहुंच जाने की उम्मीद है। इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए आवास, जलापूर्ति, सड़क और दूसरे संसाधन जुटाने के लिए कड़ी चुनौती होगी।

भीड़ में मुश्किल है क्वालिटी एजूकेशन: सभी बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। पहले ही स्कूलों में संसाधन नाकाफी थे लगातार बढ़ रही जनसंख्या और मुश्किलें बढ़ा रही है। लविवि व उससे संबद्ध 175 डिग्री कॉलेजों में करीब सवा लाख विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। करीब 1800 प्राइमरी व पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं जिनमें दो लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं। इससे कहीं अधिक आकड़ा निजी स्कूलों के बच्चों का है। सबको शिक्षा और जरूरी संसाधन उपलब्ध कराना आसान नहीं होता है।

बढ़ रहा धरती पर बोझ: जनगणना 2011 के अनुसार, लखनऊ की आबादी 28 लाख 15 हजार 601 थी। अनुमान है कि आबादी 45 लाख के करीब पहुंच चुकी है। खास बात यह है कि लगभग 36 फीसद आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है जबकि 64 फीसद लोग शहर में वास करते हैं। जाहिर है बढ़ती आबादी के चलते प्रति व्यक्ति जगह और कम हो गई है।


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