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चुनाव से पहले गोआश्रयों को जमीन पर उतारना चुनौती, बुंदेलखंड में तेजी से काम

छुट्टा पशुओं से किसानों को हो रहे नुकसान को देखते राज्य सरकार चुनाव से पहले ही गोआश्रयों को जमीन पर उतारना चाहेगी, लेकिन यह इतना आसान नहीं है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 11:51 AM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 11:52 PM (IST)
चुनाव से पहले गोआश्रयों को जमीन पर उतारना चुनौती, बुंदेलखंड में तेजी से काम
चुनाव से पहले गोआश्रयों को जमीन पर उतारना चुनौती, बुंदेलखंड में तेजी से काम

लखनऊ, जेएनएन। छुट्टा पशुओं से किसानों को हो रहे नुकसान को देखते राज्य सरकार चुनाव से पहले ही गोआश्रयों को जमीन पर उतारना चाहेगी, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। आबकारी, टोल टैक्स व अन्य विभागों में सेस लगाकर सरकार ने धनराशि की समस्या तो हल कर ली है लेकिन इनके निर्माण में समय लग सकता है। अन्ना प्रथा से परेशान बुंदेलखंड में काम जरूर तेज हुआ है लेकिन अन्य जिलों में अभी जमीन के अधिग्रहण के स्तर पर ही काम हो पाया है। 

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छुट्टा गोवंश इस समय प्रदेश की एक बड़ी समस्या बन चुका है और सरकार चुनाव में इसके खतरे महसूस भी कर रही है। इसीलिए डैमेज कंट्रोल के तहत गोआश्रयों पर पूरा ध्यान केंद्रित किया गया है। हालांकि बुंदेलखंड के सात जिलों में इसकी शुरुआत पहले ही की जा चुकी है और इसके लिए दस करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान भी किया गया है। 2017-18 में पहली किस्त के रूप में 5.16 करोड़ रुपये आवंटित भी किए जा चुके हैं। झांसी, चित्रकूट, बांदा, ललितपुर, हमीरपुर और जालौन में कई जगह गोआश्रयों का निर्माण कार्य शुरू भी हो चुका है। हर आश्रय के निर्माण पर 30 लाख रुपये खर्च किये जाएंगे। बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा के तहत जानवर खुला छोड़ दिए जाने से हर साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, हालांकि अब यह स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों में भी है।

यही वजह है कि सरकार ने इस योजना के लिए धन जुटाने की कवायद पहले की और आबकारी व अन्य विभागों पर सेस लगाया। इससे पहले उप्र गोशाला अधिनियम के तहत पंजीकृत 514 गोशालाओं के लिए मंडी की आय का एक फीसद सेस करीब (10.75 करोड़ रुपये) गोसेवा आयोग के जरिये आवंटित किया गया था। अब इसे दो फीसद किया गया है। अन्य विभागों के सेस से भी बड़ी धनराशि मिलेगी। इससे पहले नगर विकास विभाग ने नगरीय क्षेत्रों में कान्हा पशु आश्रय योजना के तहत पशु संरक्षण केंद्रों का संचालन शुरू किया गया। जिला पंचायतों में कांजी हाउस के रख-रखाव एवं संचालन के लिए भी शासनादेश जारी हुआ है लेकिन समस्या बरकरार है। अब ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगमों में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल से समस्या का समाधान संभव है लेकिन चुनाव के पहले यह पूरा हो पाएगा, इसको लेकर संदेह है। 

ये विभाग देंगे सेस

  • मंडी परिषद एक फीसद की जगह दो फीसद। 
  • आबकारी विभाग दो प्रतिशत अतिरिक्त सेस।
  • राजकीय निर्माण निगम, सेतु निगम, यूपीएसआइडीसी जैसी संस्थाएं आमदनी का 0.5 प्रतिशत।
  • यूपीडा आदि संस्थाओं द्वारा वसूले जा रहे टोल टैक्स में 0.5 प्रतिशत।

नगर निगमों को मिले 17.52 करोड़

प्रदेश सरकार ने आवारा गोवंश के रखरखाव के लिए 16 नगर निगमों को 17.52 करोड़ रुपये जारी कर दिए। प्रत्येक नगर निगम के हिस्से 1.09 करोड़ रुपये आए हैं। इससे गोशालाओं में एक हजार गोवंश की प्रतिदिन 30 रुपये के हिसाब से देखरेख की जाएगी। 16 नगर निगमों में अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर, मुरादाबाद, मथुरा, अयोध्या, फीरोजाबाद, आगरा, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, लखनऊ, मेरठ, बरेली एवं प्रयागराज को यह धनराशि दी गई है।


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