Positive India: एंटी मलेरियल ड्रग, कोविड-19 के उपचार में हो सकती है कारगर
केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के वैज्ञानिक का दावा क्लोरोक्वीन कोरोना के इलाज में कारगर साबित हो सकती है।
लखनऊ [रूमा सिन्हा]। एंटी मलेरियल ड्रग पर लंबा शोध करने वाले केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) के पूर्व वैज्ञानिक का दावा है कि सीडीआरआइ के खजाने में क्लोरोक्वीन से मिलते-जुलते 1000 से अधिक ऐसे ड्रग मॉलीक्यूल (एनालॉग) हैं, जिनको कोविड-19 के उपचार के लिए परखा जाना जरूरी है। क्लोरोक्वीन का प्रयोग मलेरिया, कालाजार के साथ- साथ कैंसर व अर्थराइटिस के उपचार में भी किया जाता है। ऐसे में केवल कोविड-19 ही नहीं, ये ड्रग मॉलीक्यूल वायरल के साथ-साथ अन्य जटिल रोगों के उपचार में भविष्य की संभावित औषधि साबित हो सकते हैं ।
तीन दशक के लंबे शोध अध्ययनों के बाद ऐसे प्रभावी ड्रग मॉलीक्यूल की पहचान की गई थी, जिन पर किन्हीं कारणवश शोध आगे संभव नहीं हो पाया। इस शोध से जुड़े सीडीआरआइ के पूर्व चीफ साइंटिस्ट व इंडियन सोसायटी ऑफ केमिस्ट एंड बायोलॉजिस्ट के महासचिव डॉ. पीएमएस चौहान बताते हैं कि ये ड्रग मॉलीक्यूल सीडीआरआइ की रिपोजिटरी में सुरक्षित हैं। डॉ. चौहान कहते हैं कि वर्तमान परिस्थितियों में जिस प्रकार हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन का प्रयोग कोविड-19 से लड़ने में कारगर साबित हो रहा है, तो यह जरूरी होगा कि इससे मिलते जुलते इन ड्रग मॉलीक्यूल पर भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर पुन: शोध आरंभ किया जाए। डॉ. चौहान कहते हैं कि हमें औषधि विकास को महत्व देना होगा। कारण यह है कि कोई भी युक्ति तब कारगर होती है जब तक संक्रमण न फैला हो, लेकिन जब बड़े पैमाने पर बीमारी फैल कर महामारी बन जाए, तो हमें दवाओं की ही जरूरत होती है। कोविड-19 की गंभीरता को देखते हुए इंडियन सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री बायोलॉजी यह सुझाव जल्द सरकार को भेजेगी।
क्लोरोक्वीन के मिलते-जुलते ड्रग मॉलीक्यूल पर दुनिया के प्रतिष्ठित जर्नल में 100 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित कर चुके डॉ. चौहान बताते हैं कि सीडीआरआइ में तीन दशक के अथक प्रयास से जो ड्रग मॉलीक्यूल तैयार किए गए थे, उनमें मलेरिया व कालाजार सहित अन्य बीमारियों के विरुद्ध एक्टिविटी तो क्लोरोक्वीन के ही समान थी, जबकि अच्छी बात यह थी कि उनमें रजिस्टेंस नहीं मिला। एनिमल मॉडल में यह शोध किए जा चुके हैं।
कोविड-19 के उपचार में कारगर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन
कोरोना की महामारी के बीच चिकित्सकों को हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन से बड़ी मदद मिल रही है। बचाव के तौर पर जहां इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं संक्रमित मरीजों में भी यह दवा कारगर साबित हो रही है। बताते हैं कि एक ओर जहां इस दवा से कोविड-19 के संक्रमण की आशंका कम होती है, वहीं पेशेंट को देने पर उसमें वायरस लोड में कमी आती है। वायरस लोड में कमी आने के कारण शरीर का इम्युन सिस्टम सपोर्ट करने लगता है और वह खुद वायरस को मारने लगता है। इससे इलाज में मदद मिलती है ।
वैक्सीन के साथ ड्रग की भी जरूरत
डॉ. पीएमएस चौहान कहते हैं कि वैक्सीन तब काम आती है जब बीमारी का संक्रमण न हुआ हो, लेकिन जब बीमारी फैल जाती है तो दवा ही बीमार लोगों के इलाज में काम आती है। कोविड-19 या भविष्य में आने वाले सार्स ग्रुप के अन्य वायरल संक्रमण से निपटने में वैक्सीन से ज्यादा दवा की जरूरत होगी। इसलिए ड्रग डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। सीडीआरआइ की रिपोजिटरी में सुरक्षित क्लोरोक्वीन से मिलते-जुलते ड्रग मॉलीक्यूल या एनालॉग, इसमें काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।