Move to Jagran APP

स्वदेशी 'ओम' से होगी ओमिक्रोन की पहचान, सीडीआरआइ ने संक्रमण की पहचान के लिए तैयार की किट

सीडीआरआइ के निदेशक प्रो. तपस के. कुंडू ने बताया कि कोविड संक्रमणों में मौजूदा उछाल भारतीय आबादी में फैल रहे सार्स-सीओवी-2 वायरस के नए वैरिएंट का पता लगाने में मदद मिलेगी। ओमिक्रोन से जुड़ी कोरोना की तीसरी लहर में यह एक कारगर विकल्प साबित हो सकती है।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 11:21 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 01:52 PM (IST)
स्वदेशी 'ओम' से होगी ओमिक्रोन की पहचान, सीडीआरआइ ने संक्रमण की पहचान के लिए तैयार की किट
केजीएमयू के कोरोनावायरस मरीजों के नमूनों पर किया गया है परीक्षण।

लखनऊ, (रामांशी म‍िश्रा)। कोरोना के बेहद तेजी से फैल रहे ओमिक्रोन वैरिएंट से स्वास्थ्य ढांचे के समक्ष नए सिरे से चुनौतियां उभरी हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती तो महामारी के इस नए स्वरूप को पहचानने की है। इस चुनौती का तोड़ निकालते हुए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की प्रयोगशाला केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआइ) ने ओमिक्रोन की जांच के लिए स्वदेशी आरटी-पीसीआर किट 'ओम' विकसित की है। यह आरटी-पीसीआर किट ओमिक्रोन संक्रमण की पड़ताल के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग पर काम करेगी। यह किट बेहद किफायती होने के साथ ही श्वसन संबंधी रोगों की पहचान में भी उपयोगी बताई जा रही है। ओमिक्रोन से जुड़ी कोरोना की तीसरी लहर में यह एक कारगर विकल्प साबित हो सकती है।

loksabha election banner

इस संदर्भ में सीडीआरआइ के निदेशक प्रो. तपस के. कुंडू ने बताया कि कोविड संक्रमणों में मौजूदा उछाल भारतीय आबादी में फैल रहे सार्स-सीओवी-2 वायरस के नए वैरिएंट का पता लगाने में मदद मिलेगी। इस किट को विकसित करने वाली परियोजना के टीम लीडर डा. अतुल गोयल ने कहा कि डा. आशीष अरोड़ा और डा. नीति कुमार के संयुक्त प्रयासों से हमें रोगी के नमूनों में ओमिक्रोन वैरिएंट का पता लगाने के लिए एक स्वदेशी डायग्नोस्टिक किट करने में मिली सफलता मरीजों के लिए बहुत मददगार होगी। इस किट का केजीएमयू की प्रो. अमिता जैन द्वारा कई कोविड पाजिटिव मरीज के नमूनों का परीक्षण और सत्यापन किया गया है। इसमें बायोटेक डेस्क प्रा. लिमिटेड, हैदराबाद संस्थान की इंडस्ट्री पार्टनर है। बायोटेक डेस्क प्रा. लिमिटेड की प्रबंध निदेशक डा. श्रद्धा गोयनका ने बताया कि चूंकि यह लहर अभी जारी है और हमारे पास अधिक समय नहीं है, ऐसे में आम आदमी की पहुंच के अंदर सीमित समय मे एक ऐसी सस्ती जांच किट तैयार करना एक बड़ा लक्ष्य है।

ओमिक्रोन के जरिये फैल रही कोरोना की तीसरा लहर हालांकि उतनी घातक नहीं, लेकिन इसमें जरा सी असावधानी बहुत भारी पड़ सकती है। ऐसे में यह स्वदेशी किट देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही मरीजों को एक किफायती एवं प्रभावी विकल्प भी उपलब्ध कराएगी। डा. गोयल ने कहा कि हमारी स्वदेशी फ्लोरोसेंट डाई और क्वेंचर तकनीक हमें भविष्य में उभरते अन्य संक्रमणों हेतु भी आरटीपीसीआर आधारित डिटेक्शन किट के विकास में हमें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.