उन्नाव दुष्कर्मः सीबीआइ कोर्ट में पीडि़ता का कलमबंद बयान दर्ज
सोमवार को दोपहर एक बजे सीबीआइ धारा 164 के अंतर्गत कलमबंद बयान कराने के लिए पीडि़ता को लेकर अदालत पहुंची। इस दौरान पीडि़ता की मां भी साथ रहीं।
लखनऊ (जेएनएन)। उन्नाव दुष्कर्म कांड के मामले में विवेचना को आगे बढ़ाते हुए सीबीआइ ने सोमवार को पीडि़ता को सीबीआइ के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सपना त्रिपाठी की अदालत में पेश किया। जहां पर पीडि़ता का कलम बंद बयान दर्ज किया गया।
सीबीआइ ने इस मामले में पीडि़ता एवं उसकी मां व चाचा का बयान दर्ज करने के बाद बांगरमऊ, उन्नाव के आरोपित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार कर गत 14 अप्रैल को रिमांड मजिस्ट्रेट सुनील कुमार के समक्ष पेश किया था। जहां से उन्हें सात दिन के लिए पुलिस रिमांड पर सीबीआइ को दे दिया गया था। उसी दिन सीबीआइ ने इस मामले में आरोपित शशि सिंह को गिरफ्तार कर 15 अप्रैल को रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया था। सीबीआइ के अनुरोध पर अदालत ने चार दिन का पुलिस रिमांड मंजूर करते हुए पूछताछ के लिए सीबीआइ को दिए जाने का आदेश दिया था।
सोमवार को दोपहर एक बजे सीबीआइ धारा 164 के अंतर्गत कलमबंद बयान कराने के लिए पीडि़ता को लेकर अदालत पहुंची। इस दौरान पीडि़ता की मां भी साथ रहीं। बयान दर्ज करने की कार्यवाही लगभग दो बजे से चार बजे तक होती रही। बयान दर्ज किए जाने के दौरान भारी पुलिस बल रोशनुद्दौला कचहरी में मौजूद रहा जिसके कारण कोई बाहरी व्यक्ति अंदर न जा सका। अदालती कार्यवाही समाप्त होने के बाद सीबीआइ पीडि़ता को अपने साथ लेकर चली गई।
सीबीआइ जांच से संतुष्ट, जरूर मिलेगा इंसाफ : पीडि़ता
कलमबंद बयान के बाद पीडि़ता को देर शाम पुन: निरीक्षण भवन लाया गया। पीडि़ता ने कहा कि वह सीबीआइ की जांच से पूरी तरह संतुष्ट है। उसे इंसाफ जरूर मिलेगा।
एक घंटा सीबीआइ को करना पड़ा इंतजार
सुबह सिंचाई निरीक्षण भवन पहुंची सीबीआइ को पीडि़ता को लखनऊ ले जाने के लिए एक घंटा इंतजार करना पड़ा। पीडि़ता ने बताया कि अभी तक उसने खाना नहीं खाया है। इस पर सीबीआइ ने खाना खाने की मोहलत दी। एक घंटे बाद पीडि़ता बाहर निकली और उसे लखनऊ ले जाया गया।
किसके दबाव में थे डाक्टर, पता लगा रही एजेंसी
दुष्कर्म पीडि़ता के पिता की मौत के मामले में सीबीआइ ने डाक्टरों और विधायक के कनेक्शन की भी तलाश शुरू कर दी है। डाक्टरों की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। दुष्कर्म पीडि़ता के पिता को भर्ती करने से लेकर इलाज व मौत के बाद पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों से पूछा गया कि उनके पास किस-किस के फोन आए। सीएमओ और सीएमएस से भी जानकारी की जा रही है कि विधायक या प्रशासनिक अधिकारी ने कोई दबाव बनाया था या नहीं।
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआइ दुष्कर्म पीडि़ता के पिता को भर्ती करने वाले डा. प्रशांत उपाध्याय, जेल ले जाने के लिए उसे डिस्चार्ज करने वाले डा. जीपी सचान, डा. मनोज निगम तथा मौत वाले दिन उसे भर्ती करने वाले डा. गौरव से पूछताछ कर चुकी है। सभी से जानने की कोशिश की गई कि पीडि़ता के पिता को जेल ले जाने के लिए डिस्चार्ज करने को उनसे किसी अधिकारी या विधायक ने बात की थी। सीएमओ और सीएमएस से भी यह पूछा गया है कि क्या उनसे विधायक या किसी उच्चाधिकारी ने बात की थी।