Move to Jagran APP

लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट घोटाला में आठ इंजीनियर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सीबीआइ ने आठ अधिकारियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 02 Dec 2017 11:51 AM (IST)Updated: Sat, 02 Dec 2017 03:01 PM (IST)
लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट घोटाला में आठ इंजीनियर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज
लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट घोटाला में आठ इंजीनियर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में शहरों की सरकार के चुनाव के परिणाम आने के बाद घोटालों की जांच प्रक्रिया शुरु हो गई। सबसे पहले अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट पर एक्शन शुरू हुआ है। इस घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने कल आठ इंजीनियर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। इनमें चार रिटायर हो गए हैं। सीबीआई ने प्रमुख सचिव गृह के लिखित पत्र के आधार पर सिंचाई विभाग के 8 अभियंताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

loksabha election banner

सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने मामले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर गुलेश चंद (अब सेवानिवृत्त) सहित आठ अधिकारियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की है। राज्य सरकार ने करीब चार माह पूर्व मामले की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की थी।

सीबीआइ ने इस मामले में सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराई गई एफआइआर को आधार बनाया है। एफआइआर में जिन आठ अभियंताओं को नामजद कराया गया था, सीबीआइ ने भी उन्हें अपने मुकदमे में आरोपित बनाया है। माना जा रहा है कि सीबीआइ टीम जल्द नामजद आरोपितों के ठिकानों पर छापे मार सकती है। 

प्रदेश में योगी सरकार के गठन के बाद चार अप्रैल को रिवरफ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच कराई गई थी। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना एवं गोमती नदी रिवरफ्रंट डेवलमेंट में हुई वित्तीय अनियमितताओं की जांच की थी। जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराए जाने की संस्तुति की गई थी। 19 जून को सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डॉ.अंबुज द्विवेदी ने गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में एफआइआर दर्ज कराई थी। इस एफआइआर को आधार बनाते हुए सीबीआइ ने गुलेश चंद, सिंचाई विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता एसएन शर्मा, तत्कालीन मुख्य अभियंता काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, संपत्ति शिव मंगल यादव (अब सेवानिवृत्त), तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, संपत्ति अखिल रमन (अब सेवानिवृत्त), तत्कालीन अधीक्षण अभियंता कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव व अधिशासी अभियंता सुरेंद्र यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। रिवरफ्रंट घोटाले की सीबीआइ जांच की आंच कई बड़े नेताओं व अफसरों तक भी पहुंच सकती है। 

रिवरफ्रंट निर्माण का काम तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने शुरू कराया था। मामले की शुरुआती जांच में सामने आया था कि दागी कंपनियों को निर्माण कार्य सौंपा गया था और तमाम सामान ऊंचे दामों पर विदेश तक से खरीदा गया। चैनलाइजेशन के काम में भी भारी वित्तीय अनियमितता बरती गई, जिसके चलते योजना की लागत लगातार बढ़ती चली गई। 

सीबीआइ करेगी प्रारंभिक जांच भी

रिवरफ्रंट घोटाले के मामले में सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज करने के साथ ही पीई (प्रारंभिक जांच) भी दर्ज की है। बताया गया कि सीबीआइ पीई के तहत रिवरफ्रंट से जुड़े अन्य कामों की भी प्रारंभिक जांच करेगी। गड़बड़ी सामने आने पर उनमें भी एफआइआर दर्ज की जाएगी। माना जा रहा है कि मामले में नामजद कराए गए आरोपितों के अलावा जांच में कई अन्य बड़ों की गर्दन भी फंस सकती है।

गौरतलब है कि अखिलेश यादव की सरकार ने गोमती नदी को स्वच्छ करने और उसके तट को लंदन की थेम्स नदी की तर्ज पर विकसित करने के लिए योजना शुरू की थी। करीब 1513 करोड़ की इस योजना में शुरुआत से ही वित्तीय अनियमितता की शिकायत मिल रही थी लेकिन, तत्कालीन सपा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। मार्च में सत्ता परिवर्तन के बाद बीजेपी सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट की न्यायिक जांच के आदेश दिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में जांच शुरू हुई। न्यायिक जांच समिति ने 16 मई को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी।

इस रिपोर्ट में पाया गया कि वित्तीय अनियमितता हुई है। जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच टीम का गठन किया। इस कमेटी ने 16 जून को दी गई अपनी रिपोर्ट में जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की। इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर 19 जून को अधिशासी अभियंता, शारदा नहर, लखनऊ खंड के अधिशासी अभियंता डॉ अम्बुज द्विवेदी की ओर से गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई।

योगी सरकार का आरोप - 1513 करोड़ के प्रोजेक्ट की 95 फीसदी राशि, यानी 1435 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद सिर्फ 60 फीसद काम पूरा हुआ।

यह भी पढ़ें: गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की होगी सीबीआइ जांच

खास बातें

प्रोजेक्ट के लिए फ्रांस से 45 करोड़ की लागत से एक फव्वारा मंगाया गया था। चार करोड़ की लागत से शहर और नदी में चलने वाली वॉटर बस मंगाई गई थी। शुरू में यह प्रोजेक्ट 656 करोड़ का था, जो बाद में बढ़कर 1513 करोड़ का हो गया।

यह भी पढ़ें: अरबों रुपये के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में आठ इंजीनियरों पर मुकदमा

योगी सरकार का आरोप है कि इस रकम का 95 फीसद यानी 1435 करोड़ खर्च होने के बावजूद सिर्फ 60 फीसद काम पूरा हो सका। इस प्रोजेक्ट में गोमती नदी के दोनों किनारों पर डायफ्रॉम वॉल बननी थी और  लैंडस्केपिंग करके खूबसूरत लॉन परमानेंट और मौसमी फूलों की क्यारियांज्साइकल ट्रैक, जॉगिंग ट्रैक, वॉकिंग प्लाजा बनाया जाना था।

यह भी पढ़ें: हर सरकार में गोमती नदी पर करोड़ों खर्च हुए, लेकिन नतीजा रहा जीरो

प्रोजेक्ट के लिए फ्रांस से 45 करोड़ की लागत से एक फव्वारा मंगाया गया था जिसके चलने पर लेजर लाइट के जरिए लखनऊ के मॉन्युमेंट्स की तस्वीर बनती। चार करोड़ की लागत से वॉटर बस भी आई थी जो घूमने वालों को लखनऊ की सैर कराती और फिर उन्हें गोमती नदी में भी सफर कराती।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.