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सीबीआइ जांचः बसपा सरकार में बिकीं चीनी मिलों की स्टांप ड्यूटी में करोड़ों का गोलमाल

2010-11 में बसपा सरकार द्वारा कौडिय़ों के भाव बेची चीनी मिलों की स्टाम्प ड्यूटी में करोड़ों का गोलमाल हुआ। मशीनों पर स्टाम्प ड्यूटी माफ कर दी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 09:57 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 05:22 PM (IST)
सीबीआइ जांचः बसपा सरकार में बिकीं चीनी मिलों की स्टांप ड्यूटी में करोड़ों का गोलमाल
सीबीआइ जांचः बसपा सरकार में बिकीं चीनी मिलों की स्टांप ड्यूटी में करोड़ों का गोलमाल

अमरोहा (अनिल अवस्थी)।  2010-11 में बसपा सरकार द्वारा कौडिय़ों के भाव बेची गईं चीनी मिलों की स्टाम्प ड्यूटी में करोड़ों का गोलमाल हुआ था। तत्कालीन अफसरों ने करोड़ों रुपये की कीमत की मशीनों पर स्टाम्प ड्यूटी माफ कर दी थी। इनमें अमरोहा की भी मिल शामिल है, जिसमें 12 करोड़ रुपये का गोलमाल सामने आया था। अब सीबीआइ ने दस्तावेजों की पड़ताल शुरू कर दी है। 

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अक्टूबर 2010 में तत्कालीन बसपा सरकार ने अमरोहा समेत पांच चीनी मिलों को चड्ढा ग्रुप को कौडिय़ों के भाव बेच दिया था। अमरोहा चीनी मिल को महज 14 करोड़ में बेचा गया था, जबकि इसकी कीमत अरबों रुपये में थी। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जोया रोड पर जिस जगह पर चीनी मिल मौजूद है। उसका उस समय सर्किल रेट 5500 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर था। चीनी मिल लगभग 300 बीघे में स्थित है। ऐसे में मिल की बिक्री के लिए तत्कालीन सर्किल रेट पर 13 करोड़ रुपये बतौर स्टाम्प ड्यूटी वसूल किए जाने थे, मगर ऐसा करने पर सौदे के गोलमाल का खुलासा होने का डर था। इसके चलते तत्कालीन अफसरों ने भी बड़ा गोलमाल कर डाला। अमरोहा के तत्कालीन जिलाधिकारी अनिल कुमार ने एडीएम राजस्व राधाकृष्ण की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर मिल की बिक्री पर स्टाम्प शुल्क का आकलन करने के निर्देश दिए। इस कमेटी ने गोलमाल करते हुए महज 98 लाख रुपये स्टाम्प ड्यूटी लिए जाने की संस्तुति कर दी। कौडिय़ों के दाम में चीनी मिल की रजिस्ट्री हो गई। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद चीनी मिल बिक्री में हुए गोलमाल की फिर से छानबीन शुरू हुई। मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई। वहीं उप महानिरीक्षक निबंधन से मिल बिक्री में लिए गए स्टाम्प शुल्क के बारे में रिपोर्ट तलब की गई, जिसका ब्योरा उन्होंने शासन को भेज दिया है। अब उन कागजों को खंगाला जा रहा है। सीबीआइ के एक अधिकारी ने फोन कर तत्कालीन अफसरों की मौजूदा तैनाती स्थल व उनके निवास के बारे में लिखित में जानकारी मांगी है। सीबीआइ जांच में तत्कालीन कई अफसरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।

अमरोहा से ही शुरू हुआ था गोलमाल

तत्कालीन बसपा सरकार में चीनी मिलों की बिक्री में गोलमाल की शुरुआत अमरोहा से ही हुई थी। एक प्रशासनिक अफसर के मुताबिक मिल बेचने के प्रस्ताव पर बिजनौर समेत कुछ अन्य जिलों के तत्कालीन अफसरों ने आपत्ति जता दी थी। मगर अमरोहा के तत्कालीन अफसरों ने सरकार की मंशा पूरी कर दी। बाद में सरकार ने यहां के सौदे को बतौर नजीर पेश कर बुलंदशहर, सहारनपुर, बिजनौर और चांदपुर की चीनी मिलों को बेचने के लिए अफसरों पर दबाव बनाया, जिस पर उन्हें भी राजी होना पड़ा।

जितनी स्टांप ड्यूटी उतने में बेची जमीन

उप महानिरीक्षक निबंधन एमके सक्सेना ने कहा कि शासन को अमरोहा चीनी मिल की बिक्री पर स्टाम्प शुल्क का ब्योरा भेज दिया गया है। मिल की तत्कालीन सर्किल रेट के हिसाब से जितनी कीमत का आकलन किया गया था, उस पर 13 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी वसूल की जानी चाहिए थी, मगर इसे महज 12 करोड़ रुपये में बेचकर 98 लाख रुपये ही वसूल किए गए थे।


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