Move to Jagran APP

अपर निजी सचिव भर्ती 2010 की सीबीआइ जांच, सीएम योगी ने दी प्रस्ताव को मंजूरी

उप्र लोकसेवा आयोग की एपीएस 2010 भर्ती की सीबीआइ जांच का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री योगी ने इसकी जांच करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 06:13 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 08:20 AM (IST)
अपर निजी सचिव भर्ती 2010 की सीबीआइ जांच, सीएम योगी ने दी प्रस्ताव को मंजूरी
अपर निजी सचिव भर्ती 2010 की सीबीआइ जांच, सीएम योगी ने दी प्रस्ताव को मंजूरी

लखनऊ (जेएनएन)। उप्र लोकसेवा आयोग (यूपी पीएससी) की अपर निजी सचिव यानी एपीएस 2010 भर्ती की सीबीआइ जांच का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी जांच करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री कार्यालय से फाइल भी मुख्य सचिव को भेज दी गई है। भर्ती की जांच के लिए सीबीआइ ने ही 19 जून को मुख्य सचिव को पत्र भेजा था, क्योंकि भर्ती का रिजल्ट अक्टूबर 2017 में आया और सीबीआइ को मार्च 2017 तक ही जांच करने का आदेश था।

loksabha election banner

सपा शासन की पांच साल की भर्तियों की जांच 

सीबीआइ, यूपी पीएससी की सपा शासनकाल में हुई पांच साल की भर्तियों की जांच कर रही है। अन्य भर्तियां खंगालते समय सीबीआइ को अपर निजी सचिव चयन 2010 के पीडि़त अभ्यर्थियों ने अहम साक्ष्य मुहैया कराए। सीबीआइ के हाथ लगे दस्तावेजों में यह साफ है कि अपनों को नियुक्ति दिलाने में बड़े अफसरों ने एक्ट तक में संशोधन कर डाला। सपा शासन के अहम अफसरों ने चहेतों की खातिर भर्ती में खूब मनमानी की। जांच टीम ने इस संबंध में लगभग सभी अहम साक्ष्य जुटा लिए हैं लेकिन, वह तकनीकी तौर पर इस भर्ती की जांच नहीं कर सकती थी, क्योंकि इसका अंतिम परिणाम अक्टूबर 2017 में जारी हुआ। हालांकि बाकी परिणाम सपा शासनकाल में ही आए।

अब कार्मिक विभाग से नोटीफिकेशन होगा

सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन ने 19 जून को प्रदेश सरकार को पत्र लिखा कि यूपीपीएससी की इस भर्ती को भी जांच के दायरे में लाने के लिए नोटीफिकेशन जारी किया जाए। इस पर मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी है। मुख्य सचिव के यहां से यह फाइल कार्मिक विभाग को भेजी जाएगी और वहां से नोटीफिकेशन जारी होगा। इस मामले को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उजागर किया। उसी का संज्ञान लेकर एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने राज्यपाल से भी मिलकर जांच का नोटीफिकेशन जारी करने की मांग की थी।  

यूपी-पीएससी से लेकर सचिवालय तक खलबली 

एपीएस यानी अपर निजी सचिव भर्ती 2010 की सीबीआइ जांच को शासन से हरी झंडी मिलने के बाद यूपी पीएससी से लेकर उप्र सचिवालय तक में कार्यरत कई बड़े अधिकारियों के लिए खतरे की घंटी बज गई है, क्योंकि गलत तरीके से चयनित अभ्यर्थियों के अलावा सीबीआइ की विशेष टीम उन अफसरों के बारे में भी ब्योरा जुटा चुकी है, जो एपीएस 2010 भर्ती परीक्षा की जांच की फाइल पर कुंडली मारकर बैठे थे और चहेतों का मनमाना चयन कराकर उन्हें अपने कार्यालय में संबद्ध कराए थे। एपीएस भर्ती 2010 में चयन पर तीन अक्टूबर 2017 को अंतिम परिणाम यूपीपीएससी से जारी होते ही गंभीर आरोप लगने शुरू हो गए थे।

शिकायतों पर संजीदगी नहीं दिखाई

शिकायत कर्ताओं का कहना था कि उनकी योग्यता को दरकिनार कर यूपी पीएससी में कार्यरत अधिकारियों / कर्मचारियों, सफेदपोश और सपा शासन में उच्च पदों पर तैनात रहे अफसरों के करीबियों को प्रमुखता दी गई। यूपी पीएससी ने इन शिकायतों पर संजीदगी नहीं दिखाई तो भर्ती से वंचित अभ्यर्थियों ने सीबीआइ अफसरों को कई प्रमाणों के साथ अपनी शिकायतें दीं। सीबीआइ ने उनकी शिकायतों को पंजीकृत भी किया, जिसके आधार पर ब्योरा जुटाया जाने लगा। यह भर्ती 250 पदों के लिए हुई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.