ट्राइमैक्स और एचडीएफसी बैंक गेटवे के खिलाफ मुकदमा दर्ज, दो निलंबित
रोडवेज ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग के खेल में दर्ज कराई प्राथमिकी चौबीस घटे की गई जाच का नतीजा रहा सिफर। वित्तीय वर्ष के कागजात की जाच में हुआ मामले का खुलासा। मुरादाबाद क्षेत्र में दो टैंकर डीजल में गड़बड़ी का राजफाश।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। परिवहन निगम में ऑनलाइन टिकट बुकिंग में हुए खेल के बाद अधिकारियों ने ट्राइमैक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. और एचडीएफसी बैंक गेटवे के खिलाफ वजीरगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी है। वहीं दिनभर चली जाच का गुरुवार की शाम तक कोई नतीजा नहीं निकला। क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव बोस की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी में निगम प्रबंधन ने एचडीएफसी बैंक और ट्राइमैक्स को उत्तरदायी माना है। थाने में दी गई तहरीर में आरएम की ओर से बताया गया है कि बीती तीन जुलाई को साढ़े तीन बजे तक 1318 ट्राजेक्शन हुए। इस दौरान 880 टिकट बनाए गए। इनमें से 50 टिकटों की धनराशि 56,421 रुपये निगम के खाते में नहीं आए। लेकिन टिकट जारी हो गए। लिहाजा दोनों ही संस्थाओं का उत्तरदायित्व है। क्या पुलिस मसले को ले जाएगी साइबर सेल तक?
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद रोडवेज प्रबंधन में हुए इस गड़बड़झाले की जाच क्या साइबर सेल करेगी और कब तक? फिलहाल गेंद अब पुलिस के पाले में है। निगम प्रबंधन ने इसे साइबर गड़बड़ी माना है। 27 टिकट का पैसा निगम खाते में है जमा:
रोडवेज अधिकारियों के मुताबिक जिन पचास टिकटों के ऑनलाइन फ्रॉड की बात कही जा रही है, चेकिंग के दौरान उनमें से 27 टिकटों का पैसा रोडवेज के खाते में आ चुका है। यानी अब 23 टिकट के घपले की पड़ताल चल रही है। 50 टिकट की गड़बड़ी मान कर ही चल रहा है निगम प्रबंधन:
परिवहन निगम प्रबंधन की ऑडिट टीम फिलहाल तीन जुलाई की घटना को आधार मानते हुए अपनी कार्रवाई आगे बढ़ा रही है। सीजीएमओ की मानें तो बीती तीन जुलाई को जिन पचास टिकटों में गड़बड़ी का जिक्त्र आया है उसी का पुनरीक्षण चल रहा है। उसी के बाद कुछ कहा जा सकता है। उठते सवाल : - अगर पैसा जमा किया गया है तो खाते में अब तक क्यों नहीं दिखी धनराशि?
- क्या नियमित ऑनलाइन बुकिंग की धनराशि चेक नहीं करते जिम्मेदार?
- अगर पैसा जमा है तो थाने में दी गई सूचना में बैंक और ट्राइमैक्स कंपनी को उत्तरदायी क्यों माना गया?
- अभी तक जाच कमेटी क्यों नहीं की गई गठित?
- ऑडिट टीम से ही जाच क्यों?
- साइबर सेल के लिए तत्काल सिफारिश क्यों नहीं करता निगम प्रशासन, जब निगम के पास एक्सपर्ट नहीं हैं? क्या कहना है अफसर का?
परिवहन निगम मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन एचएस गाबा का कहना है कि अभी यह देखा जा रहा है कि रोडवेज को कितना नुकसान हुआ है। क्षति हुआ भी है या नहीं। इसे लेकर ऑनलाइन ट्राजेक्शन चेक किए जा रहे हैं। 31 मार्च तक सबकुछ अपडेट है। शेष तीन माह की पड़ताल की जाएगी। शनिवार तक रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। उसके बाद ही कुछ ठोस कहा जाना संभव होगा।
तह में नहीं गए अधिकारी:
चल रही जाच का गुरुवार शाम तक कोई नतीजा निकल सका। लीपापोती जारी रही। अधिकारी बजाय इसकी तह में जाने के यह जानने की कोशिश में जुटे रहे कि निगम के खाते में पचास टिकटों की धनराशि आई है या नहीं। हाल यह है कि अफसरों को न सिस्टम की जानकारी है और न ही उनके पास एक्सपर्ट हैं। बस ऑनलाइन रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। फ्रॉड कैसे हुआ, कौन सा तरीका अपनाया गया और किसने किया, इस बारे में अभी कोई ठोस जानकारी विभाग के जिम्मेदार नहीं दे पाए हैं। 22 लाख का डीजल पी गए अफसर: एमएसटी और ऑनलाइन टिकट में गड़बड़ी सामने आने के बाद अब मुरादाबाद क्षेत्र में एक डीजल घोटाला सामने आया है। इसमें दो टैंकर 36000 लीटर डीजल में गड़बड़ी पाई गई है। इसकी कीमत करीब 22 लाख रुपये है। जाच के बाद दो एसएसआइ निलंबित कर दिए गए हैं। मामला सितंबर 2017 और मार्च 2018 पीतलनगरी मुरादाबाद का है। डिपो में दो टैंकर डीजल आया। इनमें से एक में 24000 लीटर और दूसरे में 12000 लीटर डीजल था। इसकी कीमत करीब 14 लाख रुपये थी। अधिकारियों के मुताबिक 24000 लीटर वाले टैंकर का इंडेट लेकर उसे डिपो में न लेकर सीधे टंकी भेज दिया गया। दूसरे यानी बारह हजार लीटर वाले टैंकर में डीजल हानि दर्शाई गई। यानी स्टॉक में डीजल की उपलब्धता नहीं मिली। सहायक लेखाधिकारी एमआर खत्री और क्षेत्रीय प्रबंधक एसके शर्मा की जाच के बाद रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी गई।
क्या कहना है परिवहन निगम प्रधान प्रबंधक का ?
परिवहन निगम प्रधान प्रबंधक शाद सईद के मुताबिक, आरएम की जाच रिपोर्ट मुख्यालय पहुंचने के बाद इसमें दोषी मानते हुए पीतलनगरी डिपो के एसएसआइ शैलेंद्र बंसल और मुरादाबाद डिपो के वरिष्ठ केंद्र प्रभारी कपिल देव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।