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होमथेरेपी से कम खर्च में बच रही जान

संदीप पांडेय, लखनऊ : केजीएमयू की पल्मोनरी क्रिटिकल केयर यूनिट में 'होमथेरेपी' पर ध्यान

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Apr 2018 05:07 AM (IST)Updated: Wed, 04 Apr 2018 05:07 AM (IST)
होमथेरेपी से कम खर्च में बच रही जान
होमथेरेपी से कम खर्च में बच रही जान

संदीप पांडेय, लखनऊ :

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केजीएमयू की पल्मोनरी क्रिटिकल केयर यूनिट में 'होमथेरेपी' पर ध्यान दिया जा रहा है। यहां वेंटीलेटर सपोर्टेड गंभीर मरीजों को अधिक दिन तक अस्पताल में रोकने के बजाय घर पर देखभाल की सलाह दी जा रही है। इसके लिए चिकित्सक तीमारदारों को उपकरणों के संचालन व उनकी मॉनिट¨रग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। यूनिट की यह पहल कम खर्च में मरीजों की जान बचा रही है।

केजीएमयू की पल्मोनरी क्रिटिकल केयर यूनिट, ट्रामा सेंटर के पांचवें तल पर स्थित है। बीते वर्ष में 16 मार्च को शुरू हुई इस यूनिट में अब तक विभिन्न बीमारियों के करीब 650 मरीज भर्ती किए जा चुके हैं। यहां प्रोटोकॉल बेस्ड ट्रीटमेंट के जरिए मरीजों की जिंदगी बचाने की सफलता दर 70 फीसद को छू रही है। ऐसे में सस्ती दर पर अधिक से अधिक मरीजों को क्रिटिकल केयर सेवा का लाभ देने के लिए यूनिट इंचार्ज डॉ. वेद प्रकाश ने होमथेरेपी को बढ़ावा देने पर जोर दिया। यानी कि वेंटीलेटर पर भर्ती मरीज को जल्द राहत देकर रिकवरी के लिए घर पर केयर देने के नीति अपनाई। ऐसे में अब तक करीब सौ मरीजों की जिंदगी बचाई जा चुकी है। केस एक

घर पर लगाया ऑक्सीजन कन्संट्रेटर

आलमबाग निवासी कमता रानी सब्बरवाल (68) निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान संक्रमण की चपेट में आ गई। धीरे-धीरे मल्टीआर्गन फेल्योर हो गया। पल्मोनरी क्रिटिकल केयर यूनिट में 11 फरवरी को भर्ती हुई। यहां 13 दिन तक वेंटीलेटर पर रहीं। ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया। मगर पांच मार्च को दोबारा हालत गंभीर होने पर फिर भर्ती हेाना पड़ा। इसके बाद डॉक्टरों ने बेटी योगिता को मां कमता रानी की होमथेरेपी के लिए प्रशिक्षित किया। उन्होंने घर पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगवाया। खुद ही कमता रानी को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखकर उनका बीपी, ब्लड शुगर, पल्स रेट, ऑक्सीजन सेचुरेशन की मॉनिट¨रग की। कमता रानी अब पूरी तरह ठीक हैं। केस दो

घर पर लगाया मिनी वेंटीलेटर

कानुपर निवासी रामकुमारी दीक्षित (65) करीब 22 दिन तक वेंटीलेटर पर रहीं। उन्हें सेप्सिस, सेप्टीसीमिया, मल्टी आर्गन फेल्योर की समस्या हो गई थी। वहीं रीढ़ ही हड्डी टेढ़ी होने से फेफड़े की क्षमता भी कम हो गई थी। जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी। ऐसे में पल्मोनरी क्रिटिकल केयर यूनिट में बहू विजय वाहिनी को बाई-पैप (एक तरह का मिनी वेंटीलेटर) के संचालन, नेबुलाइजेशन, शुगर, बीपी की मॉनिट¨रग का प्रशिक्षण दिया गया। शुरुआत में रामकुमारी को घर पर 14 घंटे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया। वहीं माह भर में धीरे-धीरे स्टेबल होने पर ऑक्सीजन सपोर्ट बंद कर दिया गया। अब वह ठीक हैं।

क्वालिटी इंडीकेटर पर फोकस

यूनिट इंचार्ज डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक पल्मोनरी क्रिटिकल केयर यूनिट में क्वॉलिटी इंडीकेटर ऑफ आइसीयू के नियमों का पालन किया जा रहा है। इसमें प्रयास यह है कि मरीज को आइसीयू में कम रुकना पड़े। वहीं हल्की दिक्कत बढ़ने पर उसे दोबारा भर्ती करने के बजाय घर पर ही केयर की जा सके। यानी कि मरीज का स्टे कम, व री-एडमिशन रेट को घटाना है।

इन्हें देनी पड़ती है होमथेरेपी

डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक क्रिटिकल केयर यूनिट में एक्यूट व क्रॉनिक समस्याओं से घिरे मरीज आते हैं। इसमें एक्यूट प्रॉब्लम में निमोनिया, सेप्टीसीमिया, एक्यूट रीनल फेल्योर, इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस, कॉर्डियक एमआइ व अस्थमा के मरीजों को आइसीयू से जल्द ठीक कर घर भेज दिया जाता है। वहीं क्रॉनिक प्रॉब्लम की बीमारी सीओपीडी, डीपीएलडी, आइएलडी, क्रॉनिक रीनल फेल्योर, मल्टी ऑर्गन फेल्योर, थोरेसिक काइफो स्कोलियोसिस, मांस पेशियों का कमजोर होना, न्यूरो मस्कुलर जंक्शन की समस्या, डायाफ्रॉम की समस्या, ब्रेन हेमरेज, स्लीप एप्नीया, स्केल्टन डिसॉर्डर के मरीजों को बीमारी से राहत तो मिल जाती है, मगर इनके फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है। लिहाजा ऐसे मरीज वेंटीलेटर व ऑक्सीजन पर निर्भर हो जाते हैं। लिहाजा धीरे-धीरे उनको सामान्य स्थिति में लाने के लिए लंबी अवधि तक देखभाल की जरूरत पड़ती है। ऐसे में इन मरीजों को होमथेरेपी की सलाह दी जा रही है। इनकी ट्रेनिंग यहां फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा दी जाती हैं। फायदे हैं अनेक

- मरीज में आइसीयू इंफेक्शन से बचाव

- हॉस्पिटल एक्वॉयर्ड इंफेक्शन से बचाव

- वेंटीलेटर एसोसिएटेड निमोनिया (वैप) से बचाव

- हल्की हालत बिगड़ने पर बार-बार हॉस्पिटल दौड़ने से छुटकारा

- अस्पताल व आइसीयू के खर्च की बचत

-पारिवारिक केयर से मरीज को इमोशनल सपोर्ट, तेजी से सुधार

-तीमारदारों में बीमारी के प्रति जागरूकता ये भी जानें

-होमथेरेपी में व्यक्ति को संसाधन जुटाने में 30 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक का खर्च होता है। जोकि निजी अस्पताल के आइसीयू में यह रकम एक-दो दिन में ही वसूल कर ली जाती है। वहीं यह संसाधन मरीज के पास हमेशा के लिए हो जाते हैं।


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