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UP: टाटा इंस्टीट्यूट से टक्कर लेगा लखनऊ का कैंसर इंस्टीट्यूट, पीजी कोर्स होंगे शुरू

राजधानी लखनऊ के चक गंजरिया स्थित सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट और हॉस्पिटल में एक वर्ष के भीतर बेडों की संख्या 54 से बढ़ाकर 200 की जाएगी। यहां 146 बेड बढ़ाए जाएंगे। वहीं अगले वर्ष से स्नातकोत्तर कोर्स भी शुरू किए जाएंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 10:35 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 10:35 AM (IST)
UP: टाटा इंस्टीट्यूट से टक्कर लेगा लखनऊ का कैंसर इंस्टीट्यूट, पीजी कोर्स होंगे शुरू
एक छत के नीचे कैंसर मरीजों को उच्चस्तरीय इलाज की सुविधा दी जाएगी।

लखनऊ, जेएनएन। राजधानी लखनऊ के चक गंजरिया स्थित सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट और हॉस्पिटल में एक वर्ष के भीतर बेडों की संख्या 54 से बढ़ाकर 200 की जाएगी। यहां 146 बेड बढ़ाए जाएंगे। वहीं अगले वर्ष से स्नातकोत्तर (पीजी) के कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। कैंसर मरीजों के बेहतर इलाज के लिए भी जल्द ही 100 करोड़ रुपये से जरूरी उपकरण खरीदे जाएंगे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि वर्तमान प्रदेश सरकार अब तक संस्थान को करीब 222 करोड़ रुपये दे चुकी है। एक छत के नीचे कैंसर मरीजों को उच्चस्तरीय इलाज की सुविधा दी जाएगी।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते मंगलवार को राजधानी में चक गंजरिया स्थित इस कैंसर इंस्टीट्यूट का वर्चुअल उद्घाटन किया था। यहां इलाज की सुविधा शुरू हो गई है और अब तक 45 मरीजों की रेडियोथेरेपी, 27 रोगियों की कीमोथेरेपी और 17 मरीजों के छोटे व बड़े आपरेशन भी किए जा चुके हैं। फिलहाल मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने पर जोर दिया जा रहा है। यहां 30 नवंबर से ओपीडी शुरू हो जाएगी, जबकि 10 दिन बाद मरीजों को भर्ती किया जा सकेगा।

54 बेड के साथ शुरू हो रहे इस हास्पिटल को अगले चरण में 750 बेड व आखिरी चरण में 1250 बेडयुक्त करके अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इसे टाटा ट्रस्ट के सहयोग से मिलकर संचालित किया जाएगा और मुंबई के टाटा कैंसर इंस्टीट्यूट की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इससे पहले टाटा ट्रस्ट के साथ प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी एक ऐसे ही हॉस्पिटल की शुरुआत की जा चुकी है। 

संस्थान में कैंसर का विश्वस्तरीय इलाज उपलब्ध कराया जाएगा, जिसमें अलग-अलग अंगों की सर्जरी और इलाज के लिए अलग-अलग स्पेशलिस्ट डॉक्टर होंगे। यहां पर आर्गन बेस्ड स्पेशलिस्ट और आर्गन बेस्ड ओपीडी भी चलेंगी। यानी हड्डी, सिर, गला व महिलाओं के लिए अलग-अलग ओपीडी चलेंगी। ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।


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