शरीर में न होने दें कैल्शियम की कमी, महिलाओं और बच्चों में हो सकती है ये समस्या
लखनऊ में आयोजित यूपी ऑर्थोकॉन के समापन पर विशेषज्ञों ने की हड्डी रोगों पर चर्चा।
लखनऊ, जेएनएन। यूपी ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन का 44वां वार्षिक सम्मेलन यूपी ऑर्थोकॉन 2020 रविवार को संपन्न हो गया। डॉक्टरों ने उपचार की नई तकनीक पर अपने विचार रखे। युवाओं के सवालों के जवाब भी दिए। डॉक्टरों ने कहा कि हड्डी रोग से बचने के लिए शरीर में कैल्शियम की कमी न होने दें।
हड्डियों की समस्या से बच्चों में होता है सेरेब्रल पाल्सी रोग
डॉ. जॉन मुखोपाध्याय ने बच्चों की हड्डियों से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की। बताया कि बच्चों की हड्डियां विकसित नहीं हो पाती हैं, मांसपेशियों में खिंचाव रहता है, किसी बच्चे का पांव छोटा-बड़ा हो जाता है या कई हिस्सों में हड्डी ही नहीं होती है। इस प्रकार की अंदरूनी कमियों के चलते बच्चों को सेरेब्रल पाल्सी जैसी बीमारी हो जाती है। लेकिन सही समय पर उपचार मिलने पर 80 फीसद पीडि़त बच्चे सामान्य बच्चों जैसे हो जाते हैं। नियमित कसरत व दर्द निवारक तेल से मालिश करने पर आराम मिलता है।
30 की उम्र के बाद होते हैं रोग
डॉ. रमेश सेन ने कहा कि व्यस्क व्यक्ति को प्रतिदिन एक ग्राम कैल्शियम व 400-800 आइयू विटामिन-डी की जरूरत होती है। हड्डी के कैल्सीफिकेशन के लिए विटामिन-डी की आवश्यकता होती है जो आंत से कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है। 30 साल के बाद कैल्शियम तथा विटामिन-डी की कमी से, विशेषकर स्त्रियों में ओस्टियोमलेशिया रोग हो जाता है। जबकि बच्चों में इसकी कमी से रिकेट्स (सूखा रोग) हो जाता है।
कार्यक्रम में डॉ. एस. राजशेखरन ने वेस्कुलर निक्रोसिस पर जानकारी देते हुए बताया कि आमतौर पर बुढ़ापा आने पर जोड़ों में दर्द होने की समस्या अधिक होती है। इस रोग का अंतिम इलाज शल्य-चिकित्सा को ही माना जाता है। इससे कूल्हे को लाइलाज स्थिति तक पहुंचने से बचाने में सफलता मिलती है।