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फिर विवादों में कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया

प्रतापगढ़ की कुंडा रियासत के भदरी घराने से ताल्लुक रखने वाले उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के सितारे एक बार फिर गर्दिश में हैं। कुंडा में दो मार्च 2014 को सुरेश यादव हत्याकांड में सीबीआई से क्लीन चिट मिलने के बाद सीबीआई की स्पेशल

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2015 02:19 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2015 04:02 PM (IST)
फिर विवादों में कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया

लखनऊ। प्रतापगढ़ की कुंडा रियासत के भदरी घराने से ताल्लुक रखने वाले उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के सितारे एक बार फिर गर्दिश में हैं। कुंडा में दो मार्च 2014 को सुरेश यादव हत्याकांड में सीबीआई से क्लीन चिट मिलने के बाद सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने उन्हें तलब किया है। इसी मामले में कुंडा के सीओ रहे जिया उल हक की हत्या कर दी गई थी। अब कोर्ट ने राजा भैया को प्रथमदृष्टया हत्या की साजिश में शामिल होना बताया है।

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प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया प्रदेश सरकार में खाद्य एवं रसद मंत्री हैं। इनका और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। फिलहाल 48 वर्ष के राजा भैया पर अगर एक और मामला दर्ज होता है तो इसकी संख्या भी 48 हो जाएगी। उत्तर प्रदेश में भले ही मुख्यमंत्री कोई भी हो लेकिन किसी न किसी मामले में चर्चा में राजा भैया जरूर रहते हैं।

26 साल की उम्र में विधायक

रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया 26 साल की उम्र में पहली बार नवंबर 1993 में कुंडा से 12वीं विधानसभा के लिए निर्दलीय विधायक चुने गये थे। इसके बाद से वह लगातार पांचवीं बार विधायक हैं। लखनऊ युनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाले इस कैबिनेट मंत्री का ना सिर्फ लंबा आपराधिक इतिहास बताया जाता है बल्कि उनका विवादों से भी पुराना नाता रहा है।

मायावती सरकार के दौरान उनके घर पर छापा मारने वाले सीओ राम शिरोमणि पांडे के मर्डर में भी उन पर उंगली उठी थी। कुंडा के सीओ रहे राम शिरोमणि की एक सड़क हादसे में मौत हुई थी। यह केस सीबीआई में अभी चल रहा है। इसके अलावा रघुराज प्रताप पर चालीस से अधिक आपराधिक मामले उनपर दर्ज हैं।

मायावती ने कसा था शिकंजा

प्रतापगढ़ के कुंडा में राजा भइया की तूती बोलती थी, लेकिन उनकी निरंकुशता पर 2002 मे ग्रहण लगा। भाजपा की मदद से सत्ता में आई मायावती ने राजा भैया पर शिकंजा कसना शुरू किया। सूबे में अभी तक कानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने के मामले में सख्त मानी जाने वाली मायावती सरकार ने विभिन्न मामलों ना सिर्फ राजा भैया को जेल की सलाखों के पीछे भेजा बल्कि पोटा भी लगा दिया। इसके बाद 2010 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान कुंडा में हिंसा के दौरान एक उम्मीदवार को जान से मारने के प्रयास के आरोप में जेल भेजवा दिया। इसके बाद 2012 आम चुनाव हुए और बसपा बुरी तरह से हार गयी।

मंत्री पद को लेकर विवाद

समाजवादी पार्टी की 2012 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में पार्टी के विधायक होने के बाद भी निर्दलीय की हैसियत से जीते राजा भैया को 15 मार्च 2012 को कैबिनेट मंत्री के पद की शपथ दिलाई गई। राजा भइया को खाद्य एवं रसद के साथ जेल विभाग का पोर्टफोलियो दिया गया। इसे लेकर भी विवाद हुआ, क्योंकि 2006 के खाद्यान्न घोटाले के दौरान भी राजा भैया ही खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री थे। खाद्यान्न घोटाले की जांच आज भी सीबीआई के पास है और कई अधिकारी सलाखों के पीछे हैं। इसके बाद इनसे खाद्य एवं रसद विभाग विभाग वापस लिया गया और कारागार मंत्रालय दिया गया। इसी बीच कुंडा कांड के कारण इनको इस्तीफा देना पड़ा। दोबारा मंत्री बनने पर इनके पास खाद्य एवं रसद विभाग फिर से है।

हलफनामे को लेकर विवाद

राजा भैया बीते विधानसभा चुनाव (2012) के बाद फिर विवादों में आ गये थे। 2012 के चुनाव में नामांकन के दौरान हलफनामे में राजा भइया ने अपनी उम्र 38 वर्ष लिखाई थी। इस पर भी विवाद हुआ। दरअसल में 1993 में राजा भैया पहली बार विधानसभा में पहुंचे थे। अगर 2012 में वह 38 वर्ष के थे तो 1993 में उनकी उम्र 19 साल रही होगी, जबकि विधायक का चुनाव लडऩे के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए।

देना पड़ गया था इस्तीफा

अब रघुराज प्रताप सिंह को जिस घटना घटना के मामले में सीबीआई ने तलब किया है। उसी दिन कुंडा के सीओ जिया उल हक की हत्या हुई थी। जियाउल हक की हत्या का विवाद इतना बढ़ा कि उनको मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

पांच बार विधायक, सात बार मंत्री

राजा भैया कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार पांच बार से विधायक हैं। 1993 व 1996 के विधानसभा चुनाव में भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार थे, जबकि 2002, 2007 और 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी का समर्थन हासिल कर बतौर निर्दल चुनाव लड़े और जीत कर विधान सभा पहुंचे। सियासी रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें 1997 में बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार में कार्यक्रम कार्यावन्यन मंत्री बनाया गया। 1999 में रामप्रकाश गुप्ता सरकार में उन्हें खेलकूद एंव युवा कल्याण मंत्री बनाया गया। 2000 में राजनाथ सिंह की कैबिनेट में भी खेलकूद एंव युवा कल्याण मंत्री के पद पर रहे। 2002 के चुनाव में दोबारा काउंटिंग में उन्हें विजयी घोषित किया गया था। 2004 में मुलायम सिंह यादव सरकार में राजा भैया को भइया को खाद्य एवं रसद विभाग का मंत्री बनाया गया था।

कुंडा कांड का जिन्न फिर बाहर

कुंडा में बीते वर्ष मार्च में सुरेश यादव की हत्या के मामले में रघुराज प्रताप सिंह का नाम एक बार फिर सामने आया है। 2016 में 48 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले राजा भैया पर यह 48 वां केस होगा। इससे पहले राजा भैया पर 47 मामले दर्ज थे। अब उनका नाम सुरेश यादव की हत्या के मामले में सामने आ रहा है। प्रधान सुरेश यादव की हत्या उस समय हुई थी जब गांव में कुंडा के डिप्टी एसपी जिया उल हक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी थी। कैबिनेट मंत्री राजा भैया पर हत्या, अपहरण तथा मारपीट जैसे कई संगीन केस दर्ज हें, हालांकि कई मामलों में वह बरी हो चुके हैं जबकि कई मामलों में फैसला आना अभी बाकी है।

क्या कहा सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आरोपियों के खिलाफ दस्तावेजों से इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि राजा भैया अपने साथियों के साथ मिलकर इस हत्या की साजिश रची। राजा भैया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सुबूत मौजूद हैं।

कोर्ट के आदेश का पालन होगा

उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि कोर्ट का जो आदेश होगा उसका पालन किया जाएगा। इससे पहले भी जब रघुराज प्रताप सिंह पर हत्या का आरोप लगा था, तब उनका इस्तीफा ले लिया गया था। बाद में सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी, अब दोबारा कोर्ट ने जो भी कहा है उसका पालन होगा।


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