कैबिनेट फैसलाः एग्रोक्लाइमेटिक जोन के नौ जिलों में लागू होगी समन्वित कृषि प्रणाली
प्रदेश के नौ एग्रोक्लाइमेटिक जोन के एक-एक जिले यानी नौ जिलों में समन्वित कृषि प्रणाली विकसित करने के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी।
लखनऊ (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर किसानों की आय दोगुनी करने पर है। योगी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए आज एक और महत्वपूर्ण फैसला किया। प्रदेश के नौ एग्रोक्लाइमेटिक जोन के एक-एक जिले यानी नौ जिलों में समन्वित कृषि प्रणाली विकसित करने के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी। प्रदेश में पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय अद्र्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आइसीआरआइएसएटी) हैदराबाद द्वारा यह प्रणाली विकसित की जाएगी। प्रदेश सरकार ने अपने संकल्प पत्र में भी किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था।
किसानों की आय में वृद्धि
सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि प्रदेश के कृषि विकास हेतु शोध एवं समन्वित कृषि प्रणाली के उपयोग से किसानों की आय में वृद्धि होगी। इक्रीसैट, हैदराबाद जैसे उच्च स्तरीय संस्थान द्वारा विकसित मॉडल का प्रयोग प्रदेश के विभिन्न जलवायुविक क्षेत्रों में सफल होगा। इसके तहत मुख्य रूप से स्थानीय स्तर पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों एवं मौसम की जानकारी जैसे आधारभूत आंकड़ों पर ही कृषि प्रणाली का निर्धारण करते हुए कृषकों के खेत पर समन्वित कृषि प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रणाली से कृषि उपज में वृद्धि, लागत में कमी तथा कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा। इससे रोजगार में भी वृद्धि होगी। प्रदेश में फसल उपज के साथ-साथ औद्यानिकी, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन एवं मछली पालन के वैज्ञानिक तरीकों से कृषकों की आय में वृद्धि संभावित है। इन सभी कार्यक्रमों को समन्वित कृषि प्रणाली में सम्मिलित किया जाएगा।
जानें समन्वित कृषि प्रणाली
कृषि के उद्यमों जैसे फसल, मवेशी, फल, सब्जी, मछली पालन, बागवानी आदि का एक साथ समायोजन एक दूसरे के पूरक की तरह कर संसाधनों की क्षमता, उत्पादकता बढ़ाने और पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए उपयोग को समन्वित कृषि प्रणाली कहते है। इससे कृषि लागत में कमी और लगातार आमदनी एवं रोजगार का सृजन का आधार बनेगा। इसमें किसान अपनी भूमि के दसवें हिस्से में तालाब बनाकर वर्षा जल संग्रहण कर इसका उपयोग मछली पालन या मखाना उत्पादन में कर सकते हैं।