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Cabinet decision: अब LIC पॉलिसी बांड पर जमा हो सकेगी एकमुश्त अग्रिम स्टांप ड्यूटी

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) द्वारा जारी पॉलिसी बांड पर लगने वाले इंश्योरेंस स्टांप के स्थान पर अब एक मुश्त अग्रिम स्टांप ड्यूटी जमा हो सकेगी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 09:06 PM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 08:47 AM (IST)
Cabinet decision: अब LIC पॉलिसी बांड पर जमा हो सकेगी एकमुश्त अग्रिम स्टांप ड्यूटी
Cabinet decision: अब LIC पॉलिसी बांड पर जमा हो सकेगी एकमुश्त अग्रिम स्टांप ड्यूटी

जेएनएन, लखनऊ। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) द्वारा जारी पॉलिसी बांड पर लगने वाले इंश्योरेंस स्टांप के स्थान पर अब एक मुश्त अग्रिम स्टांप ड्यूटी जमा हो सकेगी। इससे पॉलिसी बांडों पर रसीदी टिकट चिपकाने से मुक्ति मिलेगी और ऑनलाइन व्यवस्था में सहूलियत मिलेगी। इस व्यवस्था के लागू होने से सरकार को अग्रिम राजस्व मिलेगा और किसी प्रकार के फर्जी स्टांप का प्रयोग नहीं हो सकेगा। 

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कैबिनेट ने एक मुश्त अग्रिम स्टांप जमा कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। भारतीय स्टांप अधिनियम 1899 के तहत बीमा कंपनियों द्वारा जारी पालिसी का स्टांप शुल्क राज्य सरकार संग्रहण करती है। अब सरकार ने उत्तराखंड राज्य के दो मंडलों देहरादून और हल्द्वानी में लागू व्यवस्था का अनुकरण करते हुए उप्र में भी इसे लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रदेश में दस मंडलीय कार्यालय हैं। ये कार्यालय आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, बरेली, अयोध्या, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, मेरठ और वाराणसी में स्थापित हैं। इनकी कुल 215 शाखाएं हैं। निगम ने इन सभी मंडलों में एकमुश्त बीमा पालिसी स्टांपों की व्यवस्था लागू करने का अनुरोध किया, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी है। अब एलआइसी के मंडल कार्यालय त्रैमासिक आधार पर पालिसी सदस्य की अग्रिम धनराशि पालिसी स्टांप खातों में अपनी समस्त शाखाओं के लिए जमा कराने और पालिसी धारक को जारी करने वाले पालिसी दस्तावेजों पर पालिसी स्टांप के स्थान पर एक विशेष मुहर लगाकर शुल्क जमा करने का ब्योरा दे सकेंगे। 

नगर निगम भी हुआ प्रयागराज

इलाहाबाद जिला और मंडल का नाम प्रयागराज किये जाने के बाद अब इलाहाबाद नगर निगम भी प्रयागराज नगर निगम होगा। इस फैसले के बाद अब इलाहाबाद का नाम इतिहास में दफन हो जाएगा। कैबिनेट में नाम बदलने के लिए यह तर्क दिया गया कि इलाहाबाद नगर वैदिक और पौराणिक काल से प्रयाग के नाम से ही जाना जाता रहा है। इलाहाबाद नामकरण मध्यकाल में अकबर के आगमन के बाद मुगल शासनकाल में हुआ है, जबकि वैदिक एवं पौराणिक संस्कृति से लेकर वर्तमान काल तक प्रयाग नाम का ही अस्तित्व चला आ रहा है। इलाहाबाद की जनता एक लंबे समय से इलाहाबाद के स्थान पर नगर का नाम प्रयाग या प्रयागराज किये जाने की मांग कर रही थी। जनता की मांग को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा गया, जिसे मंजूरी मिल गई। देश में कुल 14 प्रयाग स्थलों का वर्णन है जिनमें इलाहाबाद के अलावा और कहीं का नाम बदला नहीं गया था, जबकि इस नगर को सभी प्रयागों का राजा कहा जाता है। जिला एवं मंडल का नाम प्रयागराज परिवर्तित हो जाने के कारण नगर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज के रूप में वापस मिलना तर्कपूर्ण और न्याय संगत है। यह भी तर्क है कि नगर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किये जाने से जहां एक ओर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार को बल मिलेगा वहीं धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। दूसरी ओर इसकी वैदिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक पहचान भी कायम रह सकेगी।


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