लखनऊ में हिंसा के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले भरेंगे 22 लाख का हर्जाना,13 को नोटिस
CAA Protest Violence in UP लखनऊ में 19 जनवरी को हिंसा का दौरान तोडफ़ोड़ करने वालों पर सरकार का शिकंजा कस गया है।
लखनऊ, जेएनएन। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ में 19 जनवरी को हिंसा का दौरान तोडफ़ोड़ करने वालों पर सरकार का शिकंजा कस गया है। इस हिंसा के मामले में नुकसान में अपर जिला अधिकारी की कोर्ट ने अभी केवल 13 लोगो पर आरोप तय करते हुए 21 लाख की रिकवरी करने का आदेश जारी किया है। इस केस में बाकी लोगों पर सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने इन सभी 13 लोगों को हर्जाना का राशि जमा करने के लिए 30 दिन का समय दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद पहला रिकवरी का आर्डर जारी हुआ है।
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 19 दिसंबर को लखनऊ में हिंसा के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में लोगों को नोटिस भेजा जा रहा है। अभी तक 13 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी की गई है, जिनको 21.76 लाख रुपया जमा करना होगा। इसके साथ ही हिंसा के मामले में सात लोगों के खिलाफ रिकवरी नोटिस खारिज भी किया गया है। जिनको नोटिस जारी हुआ है, इन लोगों की सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ ही गाडिय़ों में तोडफ़ोड़ तथा आगजनी करने में संलिप्तता है। करीब एक दर्जन गाडिय़ों को आग के हवाले किया गया था, जिनमें टीवी चैनल की ओबी वैन भी थीं। 16 मार्च 2020 तक रिकवरी की धनराशि सभी को मिलकर या एक अकेले को जमा करनी होगी।
लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने कहा कि 19 दिसंबर को हुए उग्र प्रदर्शन को लेकर एडीएम टीजी की कोर्ट का यह पहला फैसला है। अभी 4.5 करोड़ की रिकवरी और बाकी है। आने वाले दिनों में कोर्ट इस तरह के और फैसले सुनाएगी। जिन 13 लोगों पर रिकवरी तय हुई है उनको हर हाल में 16 मार्च 2020 तक पैसा जमा करना होगा वरना उनकी संपत्तियों को कुर्की किया जाएगा। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने कहा कि 13 लोगों में से कोई भी व्यक्ति अगर चाहे तो सारा पैसा एक व्यक्ति अकेले भी जमा कर सकता है।
जिला प्रशासन ने सार्वजानिक संपत्तियों की नुकसान की भरपाई के लिए 20 लोगों को रिकवरी नोटिस जारी किया था। जिस पर एडीएम टीजी विश्व भूषण मिश्र की कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए 13 लोगों से 21 लाख 76 हजार रुपये वसूलने का आदेश जारी किया है। जिला प्रशासन ने सात लोगों को पूरे मामले में बरी भी किया है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस सात लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं दिखा सकी। अब 16 मार्च 2020 तक इन लोगों को रिकवरी की धनराशि सभी को मिलकर या एक अकेले को जमा करनी होगी।
लखनऊ के खदरा में 19 दिसंबर 2019 सीएए के खिलाफ बुलाए गए प्रदर्शन में भीड़ अचानक उग्र और हिंसक हो गई थी। इस दौरान हिंसक भीड़ ने आम लोगों और सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया था। हिंसा की खबरें मीडिया में सुर्खियां बनी थीं।