छावनी में बिल्डर को गुपचुप बिक गया 2.19 एकड़ क्षेत्रफल का बंगला, कीमत करोड़ों में
नामांतरण के बगैर बिल्डिंग प्लान को मंजूरी देने के लिए बोर्ड की बैठक में आज आएगा प्रस्ताव पॉश इलाके में स्थित है यह बंगला।
By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 01:39 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 01:39 PM (IST)
लखनऊ, [निशांत यादव]। एक बार फिर छावनी में एक आलीशान बंगले को करोड़ों में गुपचुप तरीके से बेच दिया गया। इस बंगले का नक्शा बिना संपत्ति नामांतरण के ही पास कराने की तैयारी है। बंगले को बसपा सरकार के एक पूर्व मंत्री के करीबी बिल्डर ने खरीदा है। नक्शा पास कराने के लिए छावनी परिषद प्रशासन को अप्लीकेशन दे दी गई है। शनिवार को होने वाली बोर्ड बैठक के लिए इस अप्लीकेशन को शामिल कर लिया गया है।
छावनी के थिमैया रोड पर ओल्ड ग्रांट संपत्ति का यह बंगला है, जोकि करीब 2.19 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस बंगले के वास्तविक स्वामी रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों पर एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी हैं। बंगले को बिल्डर ने पिछले दिनों ही महंगी कीमत पर खरीद लिया है। अब दस्तावेजों पर नामांतरण की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही बिल्डर के पक्ष में नक्शा पास कराने की तैयारी है। बिल्डिंग प्लान में सेवानिवृत्त अफसर के अलावा दो बिल्डरों के नाम भी शामिल किए गए हैं, जबकि नियम के अनुसार बी-3 श्रेणी की भूमि की संपत्ति के नामांतरण के बिना बिल्डिंग प्लान को पास कराने की एनओसी की प्रक्रिया नहीं की जा सकती है।
मंजूरी बिना नहीं बिक सकता बंगला
मध्य यूपी सब एरिया मुख्यालय ने एक नोटिस भी 60 बंगलों के सामने लगाया है। जिसमें, बंगले के वास्तविक स्वामी के नाम के साथ उसके क्षेत्रफल और बंगले के इस्तेमाल के दिशा-निर्देश लिखे गए हैं। नोटिस में साफ लिखा गया है कि बंगले को रक्षा मंत्रालय की अनुमति के बिना खरीदा और बेचा नहीं जा सकता। इतना ही नहीं, बंगले में किसी तरह का निर्माण, पुनर्निर्माण, अधिकार का सब डिवीजन नहीं किया जा सकता।
क्या कहते हैं अधिकारी?
- छावनी परिषद मुख्य अधिशासी अधिकारी अमित कुमार मिश्र का कहना है कि छावनी परिषद बिल्डिंग प्लान की एनओसी के आवेदन को लेकर नियमानुसार रक्षा संपदा विभाग को भेज देता है। अब दस्तावेज पर वास्तविक स्वामी और नियमों की पड़ताल करने के बाद ही प्रस्ताव को आगे रक्षा मंत्रालय भेजा जाता है। इस मामले में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
- रक्षा संपदा अधिकारी एएम त्रिपाठी का कहना है कि छावनी में कई बंगलों के नामांतरण की प्रक्रिया लंबित चल रही है। छावनी परिषद से एनओसी का प्रस्ताव आने पर उसकी जांच की जाएगी। तब ही आगे की कार्रवाई हो सकेगी।
पहले भी लगे हैं दाग
इससे पहले जिस 213 महात्मा गांधी मार्ग बंगले में गुटखा फैक्ट्री और करोड़ों का माल पकड़ा गया, उस बंगले को सील करने की जगह उसका नक्शा पास कराने की प्रक्रिया के लिए छावनी परिषद में प्रस्ताव भेज दिया गया। इसी तरह रेसकोर्स आवास के नाम पर आवंटित सरकारी बंगले को एक एनजीओ को नियम विपरीत बेच दिया गया। पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी जिस बंगले में रहती हैं, वहां अतिरिक्त जमीन कब्जा ली गई, जिसे पिछले साल अक्टूबर में सेना ने खाली कराया। एक प्रमुख सचिव भी अपने बंगले पर बिना अनुमति निर्माण कर रही थीं, जिनको नोटिस भेजा गया तब काम रुका।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें