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नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स पर राजनीति तेज, मायावती ने कहा- देश से बाहर नहीं फेंक सकते

मायावती ने कहा कि भाजपा शासित असोम में 40 लाख अल्पसंख्यकों की नागरिकता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया गया है। नागरिकता संबंधित सबूत नहीं दे पाए तो मतलब नहीं कि उन्हें बाहर फेंक दिया जाए।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 05:21 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 05:21 PM (IST)
नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स पर राजनीति तेज, मायावती ने कहा- देश से बाहर नहीं फेंक सकते

लखनऊ (जेएनएन)। असोम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के तहत कार्रवाई तेज होने पर राजनीति होने लगी है। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने 40 लाख लोगों के प्रति अपना समर्थन जताया है।

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मायावती ने कहा कि भाजपा शासित असोम में 40 लाख अल्पसंख्यकों की नागरिकता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया गया है। अगर वह लोग असोम में लंबे समय से रह रहे हैं और नागरिकता से संबंधित सबूत नहीं दे पाए हैं तो इसका यह कतई मतलब नहीं है कि उन्हें बाहर उठाकर फेंक दिया जाए।

उन्होंने कहा कि इन प्रभावित लोगों में धार्मिक अल्पसंख्यकों में ज्यादातर बंगाली मुसलमान हैं और भाषाई अल्पसंख्यकों में बांग्ला बोलने वाले गैर-मुस्लिम बंगाली हैं। इसका बंगाल में भी इसका दुष्प्रभाव काफी ज्यादा पडऩे वाला है, लेकिन भाजपा इसका भी फायदा लेने का प्रयास कर रही है।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि इसी कारण हमारे मजबूत गढ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खाासकर दलितों व मुसलमानों के साथ इनके नजदीकी नाते-रिश्तेदारों पर सरकारी आतंक का कहर व इनके लोगों पर जबर्दस्ती गैंगस्टर आदि कानून लगाकर जेल में डाला जा रहा है। ऐसी द्वेषपूर्ण जातिवादी, धार्मिक व राजनीतिक कार्रवाई तत्काल बन्द हो।

मायावती ने कहा कि भाजपा व आरएसएस की संकीर्ण विभाजनकारी नीतियों का ही परिणाम है कि असोम में आज ऐसा अनर्थ परिणाम आया है तथा 31 दिसम्बर 2018 को अन्तिम सूची के प्रकाशन के बाद यह देश के लिये एक ऐसा उन्माद व सरदर्द बनकर उभरेगा, जिससे निपट पाना बहुत ही मुश्किल होगा। मायावती ने कहा कि असम के नागरिकता रजिस्टर के प्रकाशन के मामले में पूरी तरह से मासूम व निर्दोष बनने के भाजपा के प्रयास पर सब कुछ माननीय न्यायालय पर थोपना गलत है, क्योंकि भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार पवित्र संविधान व माननीय न्यायालय के आदेशों की कितनी अवहेलना कर रही है यह आज सारा देश देख रहा है।

मायावती ने कहा कि भाजपा तथा आरएसएस देश में खासकर दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़े वर्गों व धार्मिक अल्पसंख्यकों को हर प्रकार से अपनी संकीर्ण, जातिवादी, साम्प्रदायिक एवं विभाजनकारी नीति का शिकार बनाने का अभियान जारी रखे हैं। इसी क्रम में गैर-भाजपा शासित राज्यों को भी खास निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है। इनके कारण कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश की जनता त्रस्त है।

मायावती ने कहा कि मेरठ में बसपा की मेयर के पति व पूर्व विधायक योगेश वर्मा को फर्जी मुकदमों में जेल में डाल दिया गया है। वह काफी लम्बे समय से जेल में हैं। उन पर दो अप्रैल के 'भारत बंद' के सम्बन्ध में भाजपा सरकार अपना सारा गुस्सा निकालना चाहती है। दूसरी तरफ सहारनपुर में बसपा के विधायक महमूद अली व इनके भाई मोहम्मद इकबाल पूर्व एमएलसी आदि को भी गैंगेस्टर एक्ट आदि में फंसाया जा रहा है तथा इनके समस्त परिवार वालों व नाते-रिश्तेदारों पर सरकारी आतंक का जुल्म ढाया जा रहा है।

मायावती ने कहा कि भाजपा तथा आरएसएस ने उत्तर प्रदेश में दलितों की एकता व एकजुटता को प्रभावित करने की घिनौनी साजिश करके पर्दे के पीछे से 'भीम आर्मी' का गठन कराया और फिर अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिये इसकी आड़ में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में बसपा के शीर्ष नेतृत्व की हत्या करवाने की घिनौनी साजिश रची। वहाँ के दलितों पर अनेकों प्रकार की जुल्म-ज्यादती की गई जबकि असली अभियुक्तों को भाजपा सरकार अभी तक भी सरकारी संरक्षण देती रही है। 


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