उत्तर प्रदेश विधानसभा उप चुनाव : बसपा ने खोले पत्ते, 13 में से 12 प्रत्याशी घोषित
प्रत्याशियों का नाम घोषित करने के मामले में बसपा ने भाजपा कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी से बाजी मार ली है। इसके साथ ही बसपा ने अन्य दलों की मुश्किलें भी बढ़ा दी।
लखनऊ, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 के बाद उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से चुनाव की रणभेरी बजने वाली है। उत्तर प्रदेश में 13 विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव की अभी तारीख घोषित नहीं हुई है, लेकिन बहुजन पार्टी ने 13 में से 12 पर प्रत्याशियों का नाम घोषित कर दिया है। पार्टी ने चुनाव को लेकर अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।
प्रत्याशियों का नाम घोषित करने के मामले में बसपा ने भाजपा, कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी से बाजी मार ली है। इसके साथ ही बसपा ने अन्य दलों की मुश्किलें भी बढ़ा दी। पहली बार उप चुनाव लड़ रही बसपा ने जीतने को दलित-ब्राह्मण-मुस्लिम समीकरण बनाने की रणनीति बनाई है। इसके साथ ही पार्टी के समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं पर दांव भी लगाया है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद बुधवार को बसपा प्रमुख मायावती ने 12 सीटों पर उप चुनाव के लिए अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा की। इसमें से चार सुरक्षित सीटों इगलास, बलहा, टूंडला व जैदपुर को छोड़ कर मुस्लिमों व ब्राह्मणों को तीन तीन टिकट दिए है। बसपा ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित का वोट समीकरण तैयार करके कांग्रेस और सपा से बढ़त लेने की कोशिश में है। गंगोह सीट पर अभी प्रत्याशी नहीं घोषित किया गया है।
जिन 13 सीटों पर उपचुनाव होगा उन में से एक सीट रामपुर समाजवादी पार्टी व दूसरी जलालपुर बसपा के कब्जे वाली थी। रामपुर आजम खां के सांसद निर्वाचित होने से खाली हुई है। बसपा ने यहां जुबैर मसूद खान को दलित मुस्लिम गठजोड़ पर टिकट थमाकर सपा को सीधी चुनौती दी है। वहीं घोसी से अब्दुल कय्यूम अंसारी को मैदान में उतारा है। अंसारी बहुल वाले इलाके में अब सपा को पकड़ बनाने में मुश्किल हो सकती है। इस तरह हमीरपुर में भी बसपा ने मुस्लिम कार्ड चला। मुस्लिम राजनीति के जानकार एडवोकेट शाहजहां सैफी कहते है कि भाजपा को हराना मुस्लिमों की पहली पसंद रहेगा। ऐसे में दलित-मुस्लिम गठजोड़ ही कारगर दिखता है।
सपा भी गठबंधन के फेर में
उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए समाजवादी पार्टी को छोटे दलों से गठबंधन की उम्मीद है। राष्ट्रीय लोकदल गठजोड़ की घोषणा कर चुका है। पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर की सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हुई लंबी मुलाकात को भी संभावित गठबंधन से जोड़कर देखा जा रहा है। उपचुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। एक पूर्व मंत्री का कहना है कि सपा-बसपा गठबंधन कायम रहता तो बेहतर होता। पुख्ता दलित वोटबैंक होने के कारण बसपा ही भाजपा के विरोधियों को आकर्षित करती है।
बसपा प्रत्याशी
1-लखनऊ कैंट- अरुण द्विवेदी
2-रामपुर सदर- जुबैर मसूद खान
3-गोविंद नगर -देवी प्रसाद तिवारी
4-मानिक पुर- राजनारायण
5-इगलास सुरक्षित- अभय कुमार
6-बलहा सुरक्षित- रमेश चंद
7-टुंडला सुरक्षित- सुनील चित्तौड़
8-जैदपुर सुरक्षित- अखिलेश अंबेडकर
9-जलालपुर-राकेश पांडेय
10-घोसी- अब्दुल कय्यूम अंसारी
11-प्रतापगढ़- रणजीत सिंह पटेल
12-हमीरपुर-नौशाद अली
13-गंगोह- अभी घोषित नहीं।
भाजपा से खतरनाक कांग्रेस : मायावती
बसपा अध्यक्ष चुने जाने के बाद मायावती ने अपने धन्यवाद भाषण में भाजपा से अधिक कांग्रेस को कोसा। उन्होंने कहा कि बसपा संस्थापक कांग्रेस व भाजपा को क्रमश: सांपनाथ और नागनाथ कहते थे जिसमें से भाजपा नागनाथ है जो दूर से फूंकार मारता दिख जाता है परंतु कांग्रेस तो सांपनाथ है,इसके काटने का पता तब चलता है जब काटकर भाग जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण ही भाजपा मजबूत हुई। बसपा प्रमुख ने अनुच्छेद 370 व तीन तलाक जैसे मुद्दों पर मुसलमानों के बीच पार्टी का पक्ष ठीक से रखने की सीख दी। उन्होंने आधा घंटे से अधिक के भाषण का तीन चौथाई समय कांग्रेस को कोसने में ही पूरा किया। मायावती अपने शासनकाल की उपलब्धियां गिनाना नहीं भूली।
दक्षिण के प्रदेश पदाधिकारियों को रोका : मायावती ने कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल, तेलंगाना व आंध्र प्रदेश में संगठन कमजोर होने पर चिंता जतायी और पदाधिकारियों से एक दिन और ठहरने को कहा।