जेल में बंद बसपा विधायक मुख्तार अंसारी को पार्टी से बाहर करेंगी मायावती, अफजाल अंसारी की भी छुट्टी तय
बसपा सुप्रीमो मायावती पिछले दिनों सिबगतुल्लाह के बसपा छोड़ सपा में जाने और जेल में बंद मुख्तार अंसार की आपराधिक छवि को देखते हुए उन्हें जल्द ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकती हैं। मुख्तार पिछला विधानसभा चुनाव मऊ सीट से बसपा के टिकट पर जीते थे।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में बंद मऊ सदर से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का मुश्किलें और बढ़ने वाली है। सिबगतुल्लाह अंसारी के समाजवादी पार्टी (एसपी) में शामिल होने के बाद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) उनके विधायक भाई मुख्तार अंसारी से भी किनारा करेगी। मुख्तार अंसारी को बसपा इस बार टिकट नहीं देने वाली है। सूत्रों के मुताबिक बसपा सुप्रीमो मायावती पिछले दिनों सिबगतुल्लाह के बसपा छोड़ सपा में जाने और जेल में बंद मुख्तार अंसार की आपराधिक छवि को देखते हुए उन्हें जल्द ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकती हैं। मुख्तार पिछला विधानसभा चुनाव मऊ सीट से बसपा के टिकट पर जीते थे। मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी की भी बसपा से छुट्टी तय मानी जा रही है।
बसपा विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी के साथ उनके बेटे मन्नू अंसारी ने सपा का दामन थाम लिया है। गाजीपुर जिले की मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे चुके मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्लाह को लखनऊ में सपा मुख्यालय पर अखिलेश यादव ने सदस्यता दिलाई थी। अंसारी परिवार पहले भी सपा का हिस्सा रह चुका है। सिबगतुल्लाह अंसारी को 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की अलका राय से हार का सामना करना पड़ा था। अब एक बार फिर उनके सपा में आने पर गाजीपुर की सियासत दिलचस्प होने जा रही है।
मुख्तार की रद हो सकती विधानसभा सदस्यता : मुख्तार अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद किए जाने की मांग भी तेज हुई है। पिछले दिनों माफिया विरोधी मंच ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मुख्तार की सदस्यता रद किए जाने की मांग की थी। मंच के अध्यक्ष सुधीर सिंह की ओर से विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे गए पत्र में बताया गया था कि मुख्तार अंसारी वर्ष 2005 से विभिन्न संगीन आरोपों में जेल में निरुद्ध है। ऐसे में मुख्तार द्वारा विधानसभा से वेतन व भत्ता लिया जाना असंवैधानिक है। मुख्तार ने 16 वर्षों में विधानसभा सदस्य के रूप में वेतन व अन्य भत्तों का 6.24 करोड़ रुपये का भुगतान लिया है, जिसकी ब्याज समेत वसूली की जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में दर्ज कई आपराधिक केस : बता दें कि विधायक मुख्तार अंसारी को जबरन वसूली के मामले में जनवरी 2019 से पंजाब की रूपनगर जेल में रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे बांदा जेल वापस लाया गया था। मुख्तार के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज कई आपराधिक मामलों की सुनवाई चल रही है। वैसे तो वह अक्टूबर 2005 से जेल में है, लेकिन अदालत की अनुमति से वह विधायी कार्यवाही में भाग लेता रहा। इतना ही नहीं अंसारी ने जेल में रहते हुए 2007, 2012 और 2017 में चुनाव भी जीते हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद जेल में बंद विधायकों के विधायी कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देने के कदम का कड़ा विरोध किया था।