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बसपा प्रमुख मायावती को कभी माफिया मुख्तार अंसारी लगते थे गरीबों के मसीहा, मुकदमे बताए थे फर्जी

बसपा प्रमुख मायावती ने कभी मुख्तार अंसारी को गरीबों के मसीहा के तौर पर पेश किया था। हालांकि वर्ष 2010 में मायावती ने मुख्तार को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। तब तीनों अंसारी भाइयों मुख्तार अफजाल और सिबगतुल्लाह ने कौमी एकता दल बनाया था।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 07:30 AM (IST)
बसपा प्रमुख मायावती को कभी माफिया मुख्तार अंसारी लगते थे गरीबों के मसीहा, मुकदमे बताए थे फर्जी
बीएसपी चीफ मायावती बाहुबली व माफिया होने के नाते मुख्तार अंसारी से किनारा कर लिया है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती भले ही अब बाहुबली व माफिया होने के नाते मुख्तार अंसारी से किनारा कर रही हैं लेकिन पहले उन्हें मुख्तार, गरीबों के मसीहा नजर आते थे। मुख्तार पर दर्ज मुकदमें भी उन्हें षड्यंत्र के तहत फर्जी लगते थे।

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दरअसल, मऊ से पार्टी विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी का बसपा में आने-जाने का सिलसिला कोई नया नहीं है। वर्ष 1993 में जेल से जमानत पर छूटकर वह बसपा के टिकट पर घोसी संसदीय सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए। 1996 में वह बसपा के टिकट पर मऊ विधानसभा से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। वर्ष 2002 में वह निर्दल चुनाव लड़े लेकिन तब सपा ने उनके खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारा था। वर्ष 2009 में पार्टी ने मुख्तार को वाराणसी लोकसभा का चुनाव लड़ाया।

तब मुख्यमंत्री की कुर्सी भी संभाल रहीं मायावती ने मुख्तार अंसारी को गरीबों के मसीहा के तौर पर पेश किया था। हालांकि, चुनाव हारने के बाद वर्ष 2010 में मायावती ने मुख्तार को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। तब तीनों अंसारी भाइयों मुख्तार, अफजाल और सिबगतुल्लाह ने कौमी एकता दल (कौएद) बनाया था। कौएद से वर्ष 2012 के चुनाव में अंसारी बंधु दो विधानसभा सीटें जीतने में भी कामयाब रहे थे।

वर्ष 2017 के चुनाव से पहले अंसारी बंधुओं की सपा से अंतत: बात न बनने पर 26 जनवरी 2017 को मायावती ने कौएद का बसपा में विलय कर लिया। तब मायावती ने मुख्तार की आपराधिक पृष्ठभूमि का बचाव करते हुए कहा था कि उनके परिवार के कई सदस्य देश की सेवा करते आ रहे हैं। सीमा पर बलिदान भी दिया है। मुख्तार के खिलाफ साजिश की गई है। षड्यंत्र के तहत उनके परिवार पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए थे। हालांकि, इस पर इंटरनेट मीडिया ने मायावती पर खूब निशाना साधा था। उन्हें ऐसी वाशिंग मशीन का मालिक तक बताया गया था जिसमें माफिया के दाग धुल जाते हों।

बता दें कि एक बार फिर सत्ता हासिल करने के लिए हर तरह से छवि बदलने की कोशिश में जुटीं बसपा प्रमुख मायावती अबकी विधानसभा चुनाव में किसी बाहुबली व माफिया आदि को टिकट नहीं देंगी। इस पर अमल करते हुए शुक्रवार को मायावती ने मऊ से पार्टी विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी का टिकट काटने के साथ ही वहां से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को चुनाव लड़ाने की घोषणा भी कर दी। जनता की कसौटी व उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के मद्देनजर पार्टी सुप्रीमो ने कहा कि बसपा का संकल्प 'कानून द्वारा कानून का राज' के साथ ही अब यूपी की तस्वीर बदलने का है।

वर्ष 2007 में बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा का प्रदर्शन बाद के दोनों विधानसभा और लोकसभा चुनावों में खराब ही रहा है। किसी तरह से सत्ता हासिल करने के लिए पिछले चुनाव में भी मायावती ने मुख्तार अंसारी सहित कई दागियों को टिकट दिया था। मुख्तार मऊ से चुनाव भी जीत गए। हालांकि सत्ताधारी भाजपा सहित अन्य दल, बसपा पर यह आरोप लगाने में पीछे नहीं रहे कि मायावती तो अपराधियों को संरक्षण देती हैं। मुख्तार इनदिनों बांदा जेल में बंद हैं। सूत्रों के मुताबिक पिछले दिनों मुख्तार के भाई सिबगतुल्लाह अंसारी के सपा में शामिल होने के बाद से मायावती अंसारी बंधुओं से बेहद नाराज थीं। ऐसे में उन्होंने अगले विधानसभा चुनाव में मुख्तार का टिकट काटने के साथ ही यह संदेश भी स्पष्ट तौर पर देने की कोशिश की है कि बसपा में अब बाहुबली व माफिया के लिए कोई जगह नहीं है।


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