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राज्यसभा के लिये बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर ने दाखिल किया नामांकन पत्र

बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर ने नामांकन पत्र दाखिल किया। उनके साथ बसपा महासचिव सतीश मिश्र, लालजी वर्मा, सुखदेव राजभर व रामअचल राजभर आदि रहे।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 07 Mar 2018 01:17 PM (IST)Updated: Wed, 07 Mar 2018 02:03 PM (IST)
राज्यसभा के लिये बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर ने दाखिल किया नामांकन पत्र
राज्यसभा के लिये बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर ने दाखिल किया नामांकन पत्र

लखनऊ (जेएनएन)। राज्यसभा के लिये बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर ने नामांकन पत्र दाखिल किया। उनके साथ बसपा महासचिव सतीश मिश्र, लालजी वर्मा, सुखदेव राजभर व रामअचल राजभर सहित प्रमुख विधायक उपस्थित रहे। 

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बताते चलें कि मंगलवार को हुई बैठक में बसपा प्रमुख ने सबको चौंकाते हुए भीम राव अम्बेडकर का नाम घोषित किया था। इस फैसले से मायावती ने कई निशाना साधे। जहां उन्होंने अपने प्रतिबद्ध वोट बैंक को साधा है, वहीं भाजपा की दलितों पर डोरे डालने की कोशिशों पर भी आघात का प्रयास किया है। बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र तो थे लेकिन आनंद नहीं थे।

लखना से विधायक रहे अम्बेडकर

राज्यसभा के लिए मायावती की पसंद भीमराव अम्बेडकर इटावा की लखना सीट से 2007 में बसपा से विधायक चुने जा चुके हैैं। हालांकि वर्ष 2012 में चुनाव हार गए थे। भीमराव पार्टी के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता रहे हैं। मायावती ने अपने इस फैसले को मिशनरी निर्णय की संज्ञा देते हुए कहा कि पार्टी ने बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर के पदचिह्नों पर चलते हुए यह साफ कर दिया है कि बसपा को उसका आत्म-सम्मान, स्वाभिमान व मूवमेंट अधिक प्रिय है। राज्यसभा सदस्य के लिए प्रत्याशी घोषित किए जाने बाद मीडिया से बातचीत में भीमराव ने बसपा प्रमुख का आभार तो जताया लेकिन अन्य सवालों का जवाब नहीं दिया।

आनंद कभी नहीं बनेंगे सांसद-मंत्री

राज्यसभा टिकट के लिए भाई आनंद कुमार के नाम की चर्चा उठने के लिए मायावती ने मीडिया को जिम्मेदार ठहराया और साफ किया कि वह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और राजनीतिक कार्य न देखकर पार्टी का इग्जीक्यूटिव (व्यवस्थापन) कार्य ही देखते हैैं। बसपा की मिशनरी कटिबद्धता अडिग है कि पार्टी में परिवारवाद को कभी भी बढ़ावा नहीं दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के बावजूद आनंद कुमार को न तो पहले संसद में भेजा गया है, ना अब भेजा जा रहा है और ना ही आगे भेजे जाने का सवाल पैदा होता है। वह सांसद, विधायक व मंत्री कभी नहीं बनेंगे। 

आग्रह के बावजूद नहीं लड़ी चुनाव

मायावती ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं का आग्रह था कि मैैं चौथी बार राज्यसभा में जाऊं, लेकिन मैैंने हमेशा की तरह मूवमेंट को समर्पित दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले कार्यकर्ता को तरजीह दी। बसपा विरोधी पार्टियों की तरह राज्यसभा और विधान परिषद के टिकटों को धन्नासेठों के हाथों नीलाम नहीं करती। खुद राज्यसभा जाने की चर्चा पर मायावती ने कहा कि यदि वह फिर राज्यसभा जाना चाहती तो पिछले वर्ष इस्तीफा क्यों देती? 

धराशायी किया जा सकेगा भाजपा को

बैठक में मायावती ने उपचुनाव में सपा का समर्थन किए जाने के पीछे के तमाम कारण गिनाते हुए कहा कि जो रणनीति अपनायी गयी है उससे भाजपा को धराशायी किया जा सकेगा। बसपा प्रमुख ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सहित सभी से दोनों सीटों पर सपा प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरी ताकत लगाने को कहा। पार्टी के प्रमुख नेता भी फूलपुर व गोरखपुर में सपा प्रत्याशी के पक्ष में छोटी-छोटी सभाएं करेंगे। 


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