संविदा की नौकरी में करोड़ों का खेल, भर्ती में वसूली से लेकर कर्मियों के मानदेय में धांधली
ईपीएफ-ईएसआइ का पैसा काटा, कहां गया कुछ भी नहीं पता। 0.19 सर्विस टैक्स पर हथियाए टेंडर, करोड़ों कर रहे हजम।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। केजीएमयू में संविदा नौकरी के नाम पर बड़ा ोल चल रहा है। आउटसोर्सिग कंपनियां व जिम्मेदारों का गठजोड़ सिस्टम पर भारी पड़ रहा है। स्थिति यह है कि एक तरफ जहां कर्मियों के तय मानदेय में कटौती कर करोड़ों का घपला किया जा रहा है। वहीं बैकडोर से भर्ती हो रही हैं। इसी कड़ी में फर्जीवाड़ा के गिरोह भी सक्रिय हो गए हैं।
केजीएमयू में करीब छह हजार संविदा कर्मी तैनात हैं। इनमें कुशल व अकुशल कर्मी की कैटेगरी तय की गई। अकुशल में जहां गार्ड, वार्ड ब्वॉय, सफाई कर्मी शामिल किए गए हैं। वहीं कुशल में कंप्यूटर ऑपरेटर, नर्स,स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन आदि शामिल हैं। स्थिति यह है कि इन कर्मियों की नियुक्ति के लिए एक-दो नहीं बल्कि आठ एजेंसियों कार्य कर रही हैं। इसमें एक कंपनी पैथोलॉजी भी चला रही है। स्थिति यह है कि अकुशल कर्मियों का जहां सरकार ने 9,322 रुपये मानदेय तय कर रखा है। वहीं, कर्मियों में ईपीएफ, ईएसआइ के नाम पर काटकर सात हजार के करीब थमाए जा रहे हैं। ऐसे ही कुशल कर्मियों का 13, 485 मानदेय तय है। मगर कर्मियों को 11 हजार दिए जा रहे हैं। स्थिति यह है कि कर्मियों को पीएफ का यूएन नंबर व ईएसआइ का कार्ड तक नहीं दिया गया है। 0.19 सर्विस टैक्स पर हथियाए टेंडर, करोड़ों कर रहे हजम :
मैन पावर सप्लाई एजेंसियों ने केजीएमयू में कर्मी मुहैया कराने के लिए सिर्फ 0.19 फीसद सर्विस चार्ज पर ठेका लिया है। यदि नियम से काम हो तो इस चार्ज से कंपनी का ार्चा निकलना ही मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में न्यूनतम दर पर टेंडर हथिया कर मानदेय में कटौती कर कर्मियों का शोषण किया जा रहा है। यहां हर माह कर्मियों के करीब एक करोड़ 20 लाख का धन काटा जा रहा है। वहीं वर्ष भर में यह आंकड़ा 14 करोड़ 40 लाख के करीब पहुंच रहा है। कंपनियां यह खेल वर्ष 2001 से कर रही हैं।
बवाल बढ़ा तो कुछ दिन का जमा किया:
ईपीएफ व ईएसआइ का हिसाब न मिलने पर संविदा कर्मियों ने प्रदर्शन किया। कुलपति व कुलसचिव से कई बार शिकायत की। इसके बाद कंपनी को ईपीएफ-ईएसआइ का कर्मियों को ब्योरा देने को कहा गया। ऐसे में कंपनियों ने कागजी कार्रवाई पूरी करने के लिए 40 फीसद कर्मियों का अधूरा ईपीएफ व ईएसआइ जमा किया। यानि कि 30 दिन के बजाए 10 दिन का पीएफ जमा किया। पुराने को नौकरी से निकाला, रुपये देकर दूसरे को इंट्री :
केजीएमयू में हर वर्ष सौ से अधिक संविदा कर्मियों की कंपनी निकालती है। इसमें अकुशल व सकुशल दोनों शामिल हैं। इसमें संस्थान में कार्यरत कर्मी, अभ्यर्थियों को तलाश कर लाते हैं। इसमें वार्ड ब्वॉय व गार्ड की नौकरी के लिए 50 से 60 हजार, कंप्यूटर ऑपरेटर के लिए एक लाभ, नर्स, स्टाफ नर्स व टेक्नीशियन की ार्ती के लिए डेढ़ से दो लाभ वसूले जाते हैं।
कंपनियों पर मेहरबान अफसर:
आउट सोर्सिग कंपनियों पर अफसर मेहरबान हैं। स्थिति यह है केजीएमयू में रेप कांड के वक्त दो कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने का दावा किया गया। मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं एक शासन में ब्लैक लिस्ट कंपनी भी धड़ल्ले से कार्य कर रही है। साथ ही वर्षो से इनका टेंडर रिन्यूवल भी हो रहा है।
सेवानिवृत्त कर्मियों को मनचाहा पैकेज:
संस्थान में संविदा के नाम पर चहेतों पर भी कृपा बरस रही है। यहां दूसरे विभाग का सेवानिवृत्त कर्मी को ओएसडी तैनात कर मनचाहा वेतन थमाया जा रहा है। वहीं करोड़ों के मालिक एक चहेते बाबू को सेवानिवृत्त के बाद दोबारा रखा गया है। ऐसे में स्थाई कर्मियों में आक्रोश है। बैकडोर से जूनियर डॉक्टर की भर्ती :
केजीएमयू में ही एक डॉक्टर की रिश्तेदार को एसआर पद पर नियुक्ति दी गई। इसमें एक विभाग की सीट दूसरे विभाग में शिफ्ट कर उसके लिए जगह बनाई गई। मामले का खुलासा होने पर कुलपति ने उसकी भर्ती निरस्त कर दी। उसके कुछ दिन बाद दूसरा आर्डर निकालकर उसे ज्वाइन करा दिया गया। इस जूनियर डॉक्टर का मानदेय 70 हजार के करीब है। ऐसे ही कई डॉक्टरों को ार्ती की गई है।
दबा दिया गया नर्सिग दाखिले का फर्जीवाड़ा:
केजीएमयू में बीएससी नर्सिग में गत वर्ष नवंबर 2017 में फर्जी दाखिले का खुलासा हुआ। छात्रा अनमभान से एक लाख वसूल कर उसे एडमिशन का पत्र थमा दिया गया। छात्रा ने कई दिन कक्षाएं कीं, रजिस्टर पर हाजिरी भी लगी। वहीं बाद में दाखिला फर्जी होने का खुलासा हुआ। इस पर एफआइआर कराने के बजाए जिम्मेदारों ने दबा दिया, क्या कहते हैं केजीएमयू कुलपति?
केजीएमयू कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट के मुताबिक, संविदा नौकरी में पारदर्शिता बढ़ाई जाएगी। इसके लिए एजेंसियों का चयन जल्द ही ऑनलाइन टेंडर के तहत होगा। साथ ही कर्मियों का ईपीएफ व ईएसआइ की कटौती का ब्योरा ाी ऑनलाइन किया जाएगा।
दिव्यांगों के जीवन को रोशन कर रहे सूरज नोट::फोटो दीप की मेल पर है
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सरोकार-जनसं या नियोजन
-200 से अधिक दिव्यांगों को दिलाया रोजगार
-दिव्यांग हेल्पलाइन से जुड़े दो ला ा से अधिक असहाय युवा जितेंद्र उपाध्याय, ल ानऊ
तीन साल की उम्र में पोलियो की चपेट में आए जिस सूरज के ाविष्य को लेकर माता-पिता और सगे संबंधी परेशान रहते थे, वही सूरज अब अपने जैसे लोगों की जिंदगी में समृद्धि की रोशनी ला रहे हैं। अपने जैसे 200 से अधिक दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं का ला ा दिलाकर उन्हें अपने पैरों पर ाड़े करने वाले सूरज प्रदेश के दो ला ा से अधिक दिव्यांगों की समस्याओं को हेल्पलाइन के माध्यम से न केवल सुनते हैं बल्कि उन्हें न्याय ाी दिलाते हैं वह ाी निश्शुल्क।
राजधानी के आइआइएम रोड स्थित सैथा निवासी सूरज कुमार के पिता का निधन हुआ तो उनके ऊपर घर की जि मेदारियां ाी आ गई, लेकिन दोनों के बीच समन्वय स्थापित कर वह अपने मिशन में जुटे रहे। 38 वर्षीय सूरज ने आर्थिक तंगी की वजह से सिर्फ इंटर तक की पढ़ाई की। दिव्यांग को बस से बाहर फेंक दिया
बात 2008 की है। सूरज राजधानी से रोडवेज बस से बाराबंकी जा रहे थे कि बस के कंडक्टर ने एक दिव्यांग को बस से बाहर फेंक दिया। वह कुछ बोलते इससे पहले कंडक्टर उसे बाहर कर चुका था, बस उस दिन के बाद से सूरज ने दिव्यांगों की लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया फिर पीछे मुड़कर नहीं दे ा। एक साल तक मदद करने के बाद कुछ सफलता मिली, लेकिन किसी संस्था के बगैर उनका मिशन रुक रहा था। 19 जून 2009 को उत्तर प्रदेश विकलाग मंच का गठन किया और फिर जुट गए। सरकारी योजनाओं की हर जानकारी उनकी जुबान पर रहती है। प्रदेश के 40 जिलों में 2.23 ला ा दिव्यांगों को उन्होंने मंच से जोड़ा और दिव्यांग पेंशन से लेकर अन्य सरकारी योजनाओं का ला ा दिलाया। पिछले वर्ष उन्होंने टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर ाी बनाया, जिसके माध्यम से दिव्यांग मदद ले सकते हैं। दिव्यांग जन विकास वि ाग की ओर से उन्हें कई बार पुरस्कृत ाी किया जा चुका है।
70 दिव्यांगों को दिलाया 2.88 करोड़
अलीगंज निवासी राजीव यादव पैर से दिव्यांग हैं। घर चलाना मुश्किल हो गया था। सूरज ने उन्हें 2.5 ला ा का बैंक से लोन दिलाया और अब वह अपनी ाुद की दुकान चला रहे हैं। चंद्रिकादेवी मंदिर के बबलू सिंह ाी एक ला ा लोन पाकर अपनी जिंदगी संवार रहे हैं। ऐसे ही राजधानी के 70 लोगों को 2.88 करोड़ रुपये की सहायता दिलाकर सूरज उनके जीवन में समृद्धि ला रहे हैं। इसके एवज में वह किसी से ाी कुछ नहीं लेते। =============== नगर निगम भवन को मिलेगा अटल का नाम! फोटो..
धन के अभाव में लटका भवन का निर्माण
कैसरबाग चकबस्त कोठी परिसर में बनना है भवन
जागरण संवाददाता, लखनऊ :
कैसरबाग स्थित चकबस्त कोठी परिसर में निर्माणाधीन नगर निगम मु यालय और व्यवसायिक भवन को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम मिल सकता है। अभी इस भवन का कोई नाम न तय होने से अटल का नाम देने में कोई अड़चन भी नहीं आएगी।
मेयर संयुक्ता भाटिया का कहना है कि इस पर विचार हो रहा है कि चकबस्त कोठी परिसर में निर्माणाधीन नगर निगम मु यालय और व्यवसायिक भवन को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम दिया जाए। इस संबंध में वह पार्षदों के साथ बैठक कर निर्णय लेंगी।
दरअसल अटल बिहारी का नाम मिलने से निर्माणाधीन भवन को भी गति मिल सकेगी। भवन निर्माण अ ाी धन के अभाव में ठप पड़ा है और भुगतान न होने से ठेकेदारों ने भी काम करने से मना कर दिया।
भवन निर्माण में चार लिं ट वाला डबल बेसमेंट, सात मंजिला मु य भवन, दो मंजिला व्यावसायिक निर्माण सहित रेन वॉटर हार्वेंस्टिंग, सोलर लाइट, उपयोग हो चुके पानी का शोधन कर फिर से उपयोग में लाने का संयंत्र लगाया जाना था। इस भवन का निर्माण स्मार्ट सिटी निधि, अवस्थापना निधि और हुडकों से आंशिक लोन लेकर पूरा किया जाना था। अब 6373.57 लाख रकम की इस परियोजना पर धन का संकट छा गया है, जबकि व्यावसायिक भवन खरीदने के लिए नगर निगम में मांग बढ़ने लगी है।
भवन का निर्माण 5167 वर्गमीटर भूमि पर हो रहा है और जमीन खाली कराने में नगर निगम को कई साल लग गए थे। इसके बाद नगर निगम ने वहां निर्माण कर आय बढ़ाने की योजना बनाई थी। इसमे नगर निगम स्मार्ट सिटी कार्यालय, नगर निगम मु यालय के लिए कुछ कार्यालय बनाए जाने हैं।
अटल के नाम पर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान जैसा होगा निर्माण
गोमतीनगर के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की तरह लखनऊ में अटल जी के नाम से भी भवन का निर्माण होगा। नगर निगम इसके लिए जमीन तलाश रहा है। मेयर संयुक्ता भाटिया का कहना है कि अटल जी का लखनऊ से खासा जुड़ाव था और उनकी याद में नगर निगम इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की तरह ही भवन का निर्माण कराएगा, जिससे नगर निगम की आय भी हो सके। उधर, अब अटल जी के नाम से चौराहा नहीं बनेगा। अभी हजरतगंज चौराहे को अटल चौराहा का नाम देने पर विचार चल रहा था लेकिन जानकीपुरम में अटल चौराहा है।
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ढ्डद्गद्यद्बद्गद्घह्य श्रद्घ ह्यद्धद्ब1ड्ड ह्लद्गद्वश्चद्यद्गह्य द्बठ्ठ द्यह्वष्द्मठ्ठश्र2
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पहली बार आर्किटेक्चर कॉलेज के मेधावी ाी पाएंगे मेडल पहल
- एकेटीयू के दीक्षा समारोह में गवर्नमेंट आर्किटेक्चर कॉलेज के मेधावी ाी पाएंगे मेडल
- दो हजार लोगों के बैठने की क्षमता वाले मल्टीपरपस हॉल में होगा दीक्षा समारोह
जागरण संवाददाता, ल ानऊ : गवर्नमेंट आर्किटेक्चर कॉलेज के विद्यार्थियों को पहली बार दीक्षा समारोह में मेडल दिया जाएगा। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के 12 अक्टूबर को होने वाले दीक्षा समारोह में मेधावियों को गोल्ड, सिल्वर व ब्रांज मेडल दिए जाएंगे। यह जानकारी एकेटीयू के फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर की डीन व प्राचार्य प्रो. वंदना सहगल ने दी। फिलहाल फाइनल मेडल सूची जल्द घोषित की जाएगी। इस बार एकेटीयू का दीक्षांत समारोह जानकीपुरम में स्थित विवि कैंपस में बन रहे मल्टीपरपस हाल में आयोजित होगा। दो हजार लोगों के बैठने की क्षमता वाले इस हाल को करीब 16 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है।
दीक्षा समारोह में अ ाी तक गवर्नमेंट आर्किटेक्चर कॉलेज के विद्यार्थी मेडल नहीं पाते थे, विवि ने इन्हें स्वायत्तता नहीं दी थी। मगर अब यह एकेटीयू की फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर के रूप में तब्दील हो चुका है। ऐसे में यहां के विद्यार्थियों को ाी मेडल लिस्ट में शामिल किया गया है। वहीं एकेटीयू का दीक्षांत समारोह जिस मल्टीपरपस हाल में आयोजित हो रहा है, उसमें फोर्डेबल सीटें होंगी। इसमें इनडोर गेम ाी विद्यार्थी ोल सकेंगे। कार्यक्रम होने पर लोगों के बैठने के लिए यह हाल काम आएगा और इसके अलावा इसमें इनडोर गेम जिसमें बैडमिंटन, वालीबॉल, कैरम, शतरंज आदि ोलने के काम आएगा। फिलहाल विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं दी जाएंगी।
पूर्व छात्रों को ाी स मानित करेगा एकेटीयू
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय अपने दीक्षा समारोह में पांच पूर्व छात्रों को ाी स मानित करेगा। इसके चयन के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। =============