सीतापुर में 1500 करोड़ की लागत से लगेगा जैव ऊर्जा प्लांट : ब्रजेश पाठक
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने राजधानी में जैव ऊर्जा को वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया।
लखनऊ, जेएनएन। चीनी मिलों से निकलने वाले दूषित उत्प्रवाह की गंध से अब लोगों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। यही नहीं, कृषि अवशेष के निपटान के लिए भी काश्तकारों को चिंता करने की जरूरत नहीं। सीतापुर में प्रदेश का पहला जैव ऊर्जा प्लांट लगाया जा रहा है जिससे एक लाख 75 हजार लीटर बायो फ्यूल तैयार किया जाएगा। 1500 करोड़ की लागत से बनाए जाने वाले इस प्लांट का निर्माण दो से ढाई वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। यह जानकारी वैकल्पिक ऊर्जा मंत्री ब्रजेश पाठक ने दी।
उन्होंने कहा कि देश में अगले चार वर्षों में 5000 संयंत्र स्थापित करने की योजना है। नेडा के साथ दिल्ली के उद्यमी ने इंवेस्टर्स मीट के मौके पर यह एमओयू साइन किया था। नेडा ने इसके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया है। बताते हैं कि चीनी मिलों से निकलने वाला दूषित उत्प्रवाह, बगास व कृषि अवशेषों से पर्यावरण दूषित होता है। किसान कृषि अवशेष को जला देते हैं जिससे वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति पैदा होती है। वहीं चीनी मिलों के आसपास इतनी बदबू होती है जिससे लोगों का जीना दूभर हो जाता है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार इन सभी का इस्तेमाल अब बायोफ्यूल बनाने में किया जाएगा। नेडा अधिकारी बताते हैं कि इस टेक्नोलॉजी को ड्रॉप इन फ्यूल कहते हैं जिसमें से जो बायो फ्यूल प्राप्त होता है उससे पेट्रोल व डीजल दोनों तैयार किए जा सकते हैं।
वैकल्पिक ऊर्जा मंत्री ने कहा कि यह भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार सहभागिता की भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फरवरी 2018 में नई नीति लागू की गई थी जिसकेतहत अलग-अलग जिलों में जैव ऊर्जा प्लांट लगाए जा रहे हैं। पाठक ने यह जानकारी पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा जैव ऊर्जा को वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम में दी।