BKT वायुसेना स्टेशन भी मोर्चा लेने को तैयार, छह दिन पहले ही दो विमानों ने भरी थी उड़ान
छह दिन पहले ही भरी थी दो विमानों ने उड़ान। सभी स्टेशनों से जुड़ा संपर्क ग्लोबमास्टर भी भर सकेंगे उड़ान।
लखनऊ, [निशांत यादव]। पाकिस्तान के भीतर भारतीय वायुसेना की बमबारी के बाद मोर्चा लेने के लिए मध्य भारत के सबसे महत्वपूर्ण बीकेटी वायुसेना स्टेशन को भी तैयार कर लिया गया है। अब यहां से हरक्यूलिस सी-17 जैसे बड़े मालवाहक विमान के साथ सुखोई जैसे लड़ाकू विमान भी उड़ान भर सकेंगे। बीकेटी वायुसेना स्टेशन अब देश के सभी वायुसेना स्टेशनों से जुड़ गया है। छह दिन पहले ही दो लड़ाकू विमानों ने बीकेटी से उड़ान भरी थी।
वर्ष 1966 में प्राइमरी केयर एंड मेंटेनेंस यूनिट के रूप में स्थापित बीकेटी वायुसेना स्टेशन पर उसी वर्ष फरवरी में पहली बार डेकोटा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उतरा था। 1975 में पहली बार फाइटर एयरक्राफ्ट जीनैट और फिर 1980 में लड़ाकू विमान मारूत लखनऊ के रनवे पर उतरा।
1983 में मिग 21 की हॉफ स्क्वाड्रन लखनऊ में तैनात कर दी गई। बीकेटी वायुसेना स्टेशन को 13 नवंबर 2014 को लड़ाकू विमान वाले वायुसेना स्टेशन का दर्जा मिला। सितंबर 2017 से बीकेटी वायुसेना स्टेशन को अपग्रेड करने के लिए बंद कर दिया गया था। यहां तैनात मिग 21 की स्क्वाड्रन को बमरौली शिफ्ट कर दिया गया। अब यह काम पूरा हो गया है। सुखोई जैसे सुपरसोनिक विमानों की लैंडिंग के लिए बड़ा रनवे शुरू हो गया। साथ ही इसे राफेल और ग्लोबमास्टर हरक्यूलिस सी -17 जैसे बड़े विमानों के लिए तैयार कर दिया गया। मिग 21 की जगह यहां बड़े विमानों की स्क्वाड्रन जल्द शिफ्ट करने की तैयारी है। वायुसेना के नए एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने काम करना शुरू कर दिया है। आधुनिक एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोलर) की मदद से अब लखनऊ वायुसेना स्टेशन भी देश के उन महत्वपूर्ण वायुसेना स्टेशनों से जुड़ गया है, जहां से दुश्मन देश के विमानों पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी।
लखनऊ की जद में चीन व पाकिस्तान
युद्ध की स्थिति में भारत के किसी भी वायुसेना स्टेशन से भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई लखनऊ के मेमौरा वायुसेना स्टेशन से तय की जा सकेगी। वायुसेना स्टेशन मेमौरा इंटीग्रेटेड एयर कंट्रोल एंड कमान सिस्टम (आइएसीसीसी) से लैस हो गया है। मध्य वायु कमान ने मेमौरा में यह सिस्टम पिछले साल अगस्त में लगाया था। माना जा रहा है कि मंगलवार तड़के ग्वालियर से उड़ान भरने वाले मिराज 2000 का नियंत्रण इसी सिस्टम से किया गया।
यह सिस्टम देश में वायुसेना के सभी राडार से जुड़ा हुआ है। आइएसीसीसी को भारतीय वायुसेना में 2009 में शामिल किया गया था। इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने विकसित किया है। यह प्रणाली चीन और पाकिस्तान के विमानों के भारतीय वायुसीमा में घुसते ही सतर्क कर देगी, जिसके बाद मेमौरा वायुसेना स्टेशन से यह तय किया जाएगा कि भीतर आए दूसरे देश के विमान को कहां से और कौन सा भारतीय विमान भगाने की कार्रवाई करेगा। यह सिस्टम मिसाइल को भी कारगर तरीके से संचालित करने में सक्षम है।