उत्तर प्रदेश में अब भितरघातियों को चिह्नित करेगी भाजपा, उप चुनाव वाले क्षेत्रों पर विशेष नजर
सरकार के ढाई वर्ष बीत जाने के बाद हुए उप चुनाव के परिणाम से लोकप्रियता का भी आकलन होना है। इसीलिए सरकार और संगठन ने पूरी ताकत लगाई और इस उप चुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़ा है।
लखनऊ, जेएनएन। विधानसभा की 11 सीटों पर सोमवार को मतदान समाप्त हो गया। इसी के साथ उम्मीदवारों की तकदीर भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में कैद हो गई। भाजपा ने इस उप चुनाव में सभी सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन कुछ जगह भितरघात की भी सूचना मिली है। ऐसे लोगों को पार्टी चिह्नित करेगी।
सरकार के ढाई वर्ष बीत जाने के बाद हुए उप चुनाव के परिणाम से लोकप्रियता का भी आकलन होना है। इसीलिए सरकार और संगठन ने पूरी ताकत लगाई और इस उप चुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़ा है। अबकी भाजपा ने प्रतापगढ़ सीट सहयोगी अपना दल एस के लिए छोड़ी थी, जबकि 10 सीटें गंगोह, रामपुर, इगलास, गोविंदनगर, मानिकपुर, लखनऊ कैंट, जैदपुर, जलालपुर, बलहा और घोसी सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे। वर्ष 2017 में इन 11 सीटों में रामपुर सपा और जलालपुर बसपा के खाते में थी जबकि प्रतापगढ़ अपना दल एस के खाते में थी। शेष आठ सीटें भाजपा के हिस्से में थी। इन सीटों पर जहां टिकट के कई-कई दावेदार थे वहीं कुछ वरिष्ठ नेता अपनी पंसद का उम्मीदवार न मिलने से भी अंदरखाने खफा थे।
लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित होने वाले कई पूर्व सांसदों को भी विधानसभा उप चुनाव में समायोजित किये जाने की आस थी, लेकिन उनकी मुराद पूरी नहीं हुई। ऐसे लोगों की निष्ठा और सक्रियता पार्टी की कसौटी पर है। भाजपा ने यह चुनाव जीतने के लिए सभी क्षेत्रों के प्रमुख नेताओं को बूथवार जिम्मेदारी सौंपी। अब इन बूथों पर पड़े मतों से भी नेताओं की अहमियत और सक्रियता का आकलन होगा। पार्टी ने सभी प्रमुख नेताओं की गतिविधियों पर नजर टिका दी थी। चुनाव प्रचार में किसकी क्या भूमिका रही इसकी भी रिपोर्ट तैयार हो रही है। पार्टी के प्रमुख नेताओं ने चुनावी दौरे में सभी प्रमुख नेताओं से अपेक्षा की थी और उन्हें आगाह भी किया था कि उनकी सक्रियता का मूल्यांकन किया जायेगा। मतगणना के बाद मुख्यालय को ऐसे लोगों की रिपोर्ट भेजी जाएगी।