भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करेगी भाजपा : आडवाणी
-कंवेंशन सेंटर के दूसरे चरण के उद्घाटन पर सियासी टिप्पणियों से बचे -कलाम ने सुझाया उ
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : जिस समय देश 'राइट टू रिजेक्ट' और दागी अध्यादेश पर चर्चा कर रहा था, उस समय भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी लखनऊ में गुलाम भारत के अपने कड़वे अनुभव साझा कर रहे थे। आडवाणी सियासी टिप्पणियों से तो बचते रहे लेकिन भाजपा को भ्रष्टाचार और नैतिकता से समझौता न करने की नसीहत देने से नहीं चूके। वहीं देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने उप्र की आर्थिक तरक्की के लिए सूबे की युवाशक्ति का इस्तेमाल सामाजिक उद्यमों की स्थापना के लिए करने का मशविरा दिया।
शुक्रवार को यहां साइंटिफिक कंवेंशन सेंटर के दूसरे चरण के उद्घाटन के मौके पर आडवाणी ने कहा कि यदि हम भ्रष्टाचार व नैतिकता से समझौता नहीं करने का संकल्प लेकर चले तो राष्ट्र जीवन को शुद्ध कर सकेंगे। 18-19 वर्ष की उम्र में सेंट्रल रेलवे से नागपुर की अपनी पहली ट्रेन यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने गुलाम भारत में भारतीयों द्वारा महसूस की जाने वाली जिल्लत का उल्लेख किया। हालांकि उन्होंने इस बात पर अफसोस भी जताया कि अकूत प्रतिभा के रहते हुए आजाद भारत को दुनिया के देशों में जो ओहदा 20वीं सदी के 53 वर्षों में हासिल होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.कलाम ने हिंदी में अपने भाषण की शुरुआत कर तालियां बटोरीं। उप्र की तरक्की के लिए तैयारी की गई अपनी कार्ययोजना को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिक तरक्की के बिना भारत समृद्ध नहीं हो सकता। अपनी कार्ययोजना के तहत सूबे के विभिन्न क्षेत्रों के कामगारों के कौशल की पहचान और उसे समृद्ध करने के मकसद से उन्होंने जिलावार कौशल मानचित्र बनाने का सुझाव दिया। वहीं प्रदेश की दस करोड़ युवा आबादी की ऊर्जा के सार्थक इस्तेमाल के लिए उन्होंने सूबे में लहलहाती तरुणाई की मदद से एक लाख सामाजिक उद्यम स्थापित करने की सलाह दी। प्रदेश के त्वरित विकास के लिए पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ औद्योगिक केंद्र विकसित करने का भी मशविरा दिया। कलाम यह भी बताने से नहीं चूके कि अवस्थापना सुविधाओं को विकसित किये बिना निवेश आकर्षित कर पाने का सपना देखना बेमानी है। इससे पूर्व महापौर डॉ.दिनेश शर्मा ने कार्यक्रम में आये अतिथियों का स्वागत किया तो किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.डीके गुप्ता ने उनके प्रति आभार जताया।
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अटल-आडवाणी जुदा नहीं
आडवाणी यह कहते हुए जज्बाती हो गए कि लखनऊ को मिले इस खूबसूरत तोहफे की परिकल्पना करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कमी उन्हें अक्सर अखरती है। सांसद लालजी टंडन को उन्होंने लखनऊ में अटल बिहारी का प्रतिनिधि और उनके सभी मनोरथ पूरे करने वाला बताया। वहीं भावुकता के अतिरेक से रुंधे गले से टंडन ने कहा कि कार्यक्रम में आडवाणी को इसलिए बुलाना जरूरी था क्योंकि अटल-आडवाणी को दो हिस्सों में बांटा नहीं जा सकता। अस्वस्थ होने के कारण अटल भले ही उद्घाटन कार्यक्रम में शिरकत न कर पाये हों लेकिन उनके शरीर के हिस्से के रूप में आडवाणी यहां मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि दिशाहीनता के इस दौर में आडवाणी जैसे नेता दलीय राजनीति और पदों की गरिमा से ऊपर हैं।
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लोकायुक्त की नसीहत
अपने संक्षिप्त संबोधन में लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने कहा कि सत्ता पक्ष के लोग तो बजट की धनराशि से काम कराकर लाभ उठा लेते हैं लेकिन विपक्ष के लोगों के लिए सांसद और विधायक निधि ही संजीवनी होती है। जो जनप्रतिनिधि इस निधि का दुरुपयोग करते हैं, चुनाव के समय वोटर उनकी प्रविष्टि अच्छी नहीं लिखते हैं।
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