सपा-बसपा की एकजुटता से मुकाबले की तैयारी में जुटी भाजपा
सपा और बसपा के बीच नजदीकी बढऩी शुरू हुई है। सपा और बसपा दोनों को मिलाकर करीब 43 फीसद वोट मिले। भाजपा इस नई राजनीतिक सरगर्मी की आहट भांपकर अपनी ताकत बढ़ाने में जुट गई है।
लखनऊ (जेेएनएन)। विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद सपा और बसपा के बीच नजदीकी बढऩी शुरू हुई है। सपा और बसपा दोनों को मिलाकर करीब 43 फीसद वोट मिले। भाजपा इस नई राजनीतिक सरगर्मी की आहट भांपकर अपनी ताकत बढ़ाने में जुट गई है। दलितों और पिछड़ों में और मजबूत पकड़ बनाकर पांच से दस फीसद और वोट बढ़ाने की तैयारी चल रही है।
भाजपा की निगाह दूसरे दलों के दलित व पिछड़े नेताओं पर है। अभी हाल ही में जिस तरह शिवपाल सिंह यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और भाजपा के प्रति सुर नरम रखे, उसके मायने निकाले जा रहे हैं। दीनदयाल जन्म शताब्दी वर्ष मना रही भाजपा ने पहले से ही बूथ स्तर तक अभियान चलाकर अपनी ताकत बढ़ाने की पहल की है। दस मई से 25 मई तक जनसंपर्क अभियान चलाकर भाजपा ने लाखों लोगों को नए सिरे से जोड़ा है। गरीब कल्याण मेला जैसे कई कार्यक्रम 25 सितंबर तक होने हैं। आमजन के करीब जाने के लिए पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर पिछले एक माह से जनसुनवाई अभियान चल रहा है।
योगी और केशव के बिहार जाने के मायने
जिस बिहार से उप्र में भाजपा को घेरने की पृष्ठभूमि बन रही है, पलटवार के अंदाज में भाजपा बिहार जाकर लालू और नीतीश को भी घेरने की योजना बना चुकी है। मोदी सरकार बेमिसाल-तीन साल नारे के साथ बिहार में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, मंत्री और कई नेताओं के कार्यक्रम लगाए गए हैं। इस बहाने महागठबंधन की पृष्ठभूमि तैयार करने वाले दलों को भी घेरने की योजना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पटना और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को नालंदा जाना है। इसके अलावा दलित और पिछड़े समाज से केंद्र में मंत्री कृष्णा राज और साध्वी निरंजन ज्योति के भी बिहार में कार्यक्रम लगे हैं। मंत्री श्रीकांत शर्मा, सूर्य प्रताप शाही, दारा सिंह चौहान, स्वतंत्र देव सिंह एवं स्वाती सिंह को भी बिहार जाना है। इस दौरे से विरोधियों को झटका लगना स्वाभाविक है।