Move to Jagran APP

ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त कर सकती है भाजपा, भविष्य को लेकर नेतृत्व करेगा मंथन

भाजपा को लोकसभा चुनाव में जितनी मुश्किल विपक्ष से नहीं हुई उससे ज्यादा टीस सुभासपा अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने दी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 08:46 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 08:38 AM (IST)
ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त कर सकती है भाजपा, भविष्य को लेकर नेतृत्व करेगा मंथन
ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त कर सकती है भाजपा, भविष्य को लेकर नेतृत्व करेगा मंथन

लखनऊ, जेएनएन। सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सीधा मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारने वाले राजभर ने गाली तक दी। उन पर मुकदमा दर्ज हो गया है और संकेत मिल रहे कि अब भाजपा उन्हें ढोने के मूड में नहीं है। देर-सवेर बर्खास्तगी हो सकती है।

loksabha election banner

भाजपा को लोकसभा चुनाव में जितनी मुश्किल विपक्ष से नहीं हुई, उससे ज्यादा टीस सुभासपा अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने दी है। लोकसभा चुनाव में राजभर ने पूर्वांचल की पांच सीटें मांगी लेकिन, भाजपा ने एक भी सीट नहीं दी। भाजपा ने राजभर की पसंदीदा सीट घोसी सीट देने की पेशकश जरूर की लेकिन, शर्त यह थी कि वह भाजपा के सिंबल पर लड़ें। यह शर्त ठुकराकर राजभर ने ताल ठोंक दी और फिर पांचवें, छठे और सातवें चरण में 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। इनमें 22 सीटों पर सुभासपा उम्मीदवारों के नामांकन वैध पाये गए और राजभर ने अपने हर उम्मीदवार के मंच पर भाजपा की ऐसी की तैसी की।

घोसी संसदीय क्षेत्र की एक सभा में तो वह भाजपा को गाली देते सुने गए और उन पर मुकदमा भी दर्ज हुआ। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब तो हद हो गई। हमारा नुकसान करने के लिए राजभर के पास जितनी शक्ति लगानी थी, लगा दिए तो फिर अब क्या बचा है। पर, नेताओं के बीच अभी मंथन हो रहा है। राज्य सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने तो हमेशा राजभर को गठबंधन धर्म की नसीहत दी है। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा तो शीर्ष नेतृत्व तक उन्हें लेकर गए कि गठबंधन बना रहे लेकिन, बात नहीं बनी।

चुनाव प्रबंधन प्रभारी और भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर पूछे जाने पर कहते हैं 'राजभर को लेकर नेतृत्व विचार विमर्श करेगा और तय होगा कि क्या होना चाहिए। वैसे उनके साथ बहुत से ऐसे लोग हैं जो भाजपा के भी साथ बने हैं। ऐसे में एक-एक बिंदु पर पड़ताल होगी।' ध्यान रहे कि भाजपा नेतृत्व चाहता है कि राजभर खुद ही अपनी राह बदल लें। राजभर कहते भी हैं कि हमने तो योगी के पास अपना इस्तीफा पहले ही भिजवा दिया है। पर, अभी तक वह सरकारी बंगले में बने हैं। योगी सरकार में मंत्री बनने के डेढ़ माह बाद ही गाजीपुर के डीएम को हटाने के एलान के साथ राजभर ने मोर्चा खोला तो फिर रिश्ते में टकराव खत्म नहीं हो सका। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सुलह-सपाटे की जितनी भी कोशिश की, मामला उतना ही बिगड़ता गया।

निकट भविष्य में चुनाव न होने से लटकी तलवार

अब विधानसभा चुनाव 2022 और लोकसभा चुनाव 2024 में होना है। निकाय चुनाव में राजभर पहले ही भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिए थे और इस बार लोकसभा चुनाव में रही-सही कसर पूरी कर दी। निकट भविष्य में कोई चुनाव न होने से रणनीतिकार यही चाहते हैं कि राजभर से छुटकारा मिल जाए। क्योंकि सरकार में रहते हुए वह सरकार के खिलाफ बोलते हैं तो उन्हें सुर्खियां मिलती हैं। अगर विपक्ष में रहकर बोलेंगे तो उसकी नोटिस कम होगी।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.