बहुत उदास या बहुत ज्यादा उत्साहित रहना 'बाइपोलर डिस्आर्डर'
विश्व बाइपोलर डिस्आर्डर दिवस पर आयोजित हुई पत्रकार वार्ता। आइएमए भवन में आयोजित हुआ कार्यक्रम।
लखनऊ, जेएनएन। बाइपोलर डिस्आर्डर एक कॉम्प्लेक्स मानसिक बीमारी है, जिसमें रोगी का मन लगातार कई महीनों या हफ्तों तक या तो बहुत उदास रहता है या फिर बहुत ज्यादा उत्साहित रहता है। यह एक साइक्लिक डिसऑर्डर है, जिसमें पीडि़त व्यक्ति की मनोदशा बारी-बारी से दो अलग और विपरीत अवस्थाओं में जाती रहती है। इस बीमारी की पहचान काफी जरूरी है, जिससे रोगी का सही इलाज किया जा सके। यह जानकारी मनोचिकित्सक डॉ. एम अलीम सिद्दीकी ने आइएमए भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी।
उदासी के समय अत्याधिक खुशी या दोषी महसूस करता है रोगी
डॉ. सिद्दीकी ने बताया कि ऐसे मरीजों में उदासी के समय नकारात्मक विचार (जैसे अपने आप को दोषी महसूस करना) तथा अत्यधिक खुशी के दौरान मन में बहुत ज्यादा ऊंचे विचार आना जैसे मैं बहुत ज्यादा अमीर, शक्तिशाली व्यक्ति हूं आदि विचार आते हैं।
100 में से एक व्यक्ति को होता है बाइपोलर डिस्आर्डर
बाइपोलर डिसआर्डर लगभग हर 100 में से एक व्यक्ति होता है। इस बीमारी की शुरुआत प्राय 15 साल से 20 साल के बीच होती है। इसमें पुरुष और तथा महिलाएं दोनों ही समान रूप से प्रभावित होते हैं।
बाइपोलर डिस्आर्डर के लक्षण
अत्यधिक उदासी, किसी भी काम में अरुचि, चिड़चिड़ापन और घबराहट, भविष्य के बारे में सोच कर निराशा, शरीर में ऊर्जा की कमी और अपने आप से नफरत, नींद की कमी और मन में रोने की इच्छा, आत्मविश्वास की कमी लगातार बनी रहती है।
आनुवांशिक भी होता है डिस्आर्डर
यह अनुवांशिक भी होता है। अगर किसी के माता या पिता को यह रोग है तो उनके बच्चों में भी इस बीमारी के होने की संभावना होती है। आइएमए के अध्यक्ष डॉ. जीपी सिंह ने बताया कि इस बीमारी में दो तिहाई मरीज दवाओं से ठीक हो जाते हैं। वहीं एक तिहाई मरीजों का लंबे समय तक इलाज चलता है। वहीं रविवार को भी इस पर एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसका उद्घाटन कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट करेंगे।