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अटल की यादें, अनकहा लखनऊ और भावुक बाबूजी, अभिनंदन समारोह में भावनाओं का ज्वार

बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन के अभिनंदन समारोह में बहा भावनाओं का ज्वार। गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी, राज्यपाल राम नाईक और डिप्टी सीएम ने साझा किए संस्मरण।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 08:53 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 08:53 AM (IST)
अटल की यादें, अनकहा लखनऊ और भावुक बाबूजी, अभिनंदन समारोह में भावनाओं का ज्वार

लखनऊ(जेएनएन)। बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन के नागरिक अभिनंदन समारोह में सोमवार को भावनाओं का ज्वार बहा। गृहमंत्री राजनाथ सिंह से लेकर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाईक ने अटलजी की यादों के बीच टंडनजी के राजनीतिक योगदान और पूरे लखनऊ के दिल में उनके लिए धड़कते प्रेम का जिक्र किया तो खुद 'बाबूजी' भी भावुक हुए बिना न रह सके। हिंदू और मुसलमानों दोनों से अपने गहरे शब्दों को उन्होंने इस तरह पारिभाषित किया-'हम इश्क के बेटे हैैं, मजहब से नहीं वाकिफ।'

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अटलजी की सांसद निधि और लालजी टंडन के अथक प्रयासों से बने साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में 'बाबूजी' कहे जाने वाले 82 वर्ष के लालजी टंडन महामहिम के रूप में थे और सामने थे लखनऊ के सभी वर्गों के लोग। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी दल के राजनीतिक कार्यकर्ता के लिए टंडनजी एक मिसाल हैं। उनको देखते ही अनुकूल संवेदना होती है। यह विशेषता सब में संभव नहीं। यही वजह है कि दूसरे दलों के लोग भी उनके प्रति सम्मान का भाव रखते हैैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज को दिशा देने वाली हर विभूति यहां मौजूद है और कृतज्ञता का यह भाव हमारी परंपरा का निर्वाह है। उनको बिहार का राज्यपाल बनाया जाना गौरव की बात है।

उप्र में अपना चार साल गुजार चुके राज्यपाल राम नाईक ने खुद को टंडनजी से सीनियर बताते हुए लोगों की भावनाओं को और विस्तार दिया। कहा कि पहले मैैं उनमें अटलजी की छाया देखता था लेकिन अब वह मुझे 'लखनऊ के बाबूजी' नजर आते हैैं। उन्होंने टंडन जी को लखनऊ के संस्मरण लिखने का सुझाव भी दिया। साथ ही अपने विधि परामर्शी एसएस उपाध्याय की पुस्तक 'गाइड फॉर गवर्नर्स' भी भेंट की। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय और उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने भी अपने संस्मरण सुनाए।

सभासद से लेकर मंत्री और लखनऊ के सांसद रह चुके लालजी टंडन ने भावुक होते हुए कहा कि पिछले 70 साल के अपने सामाजिक जीवन में सोसाइटी को समग्रता में जिया है और वही बांटा है। जिनके साथ विभिन्न रूपों में काम किया, पीढिय़ों से रिश्ते हों, उनसे संबंध खत्म नहीं होते। मेरे लिए न जाति है न धर्म, जो है सब अपना है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी विरासत में आपको सौंप के गया हूं।

अभिनंदन की शृंखला में पूर्व सांसद राजनाथ सिंह सूर्य समेत राजधानी के पद्मश्री प्राप्त चिकित्सकों, न्यायविदों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने लालजी टंडन को पुष्पगुच्छ दिए। उससे पहले समारोह की स्वागत समिति के अध्यक्ष पूर्व मंत्री अम्मार रिजवी के साथ पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

छलका 'अनकहा लखनऊ' से उठे विवाद का दर्द

लालजी टंडन की पुस्तक 'अनकहा लखनऊ' को लेकर उठे विवाद की टीस भी उनकी जुबां पर उभर आई। सामने बैठे मुस्लिम नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ लोगों ने विवाद खड़ा करने की कोशिश की लेकिन जनता ने खुद ही जवाब दे दिया। मैं फिर आऊंगा, आप बताइए कि लक्ष्मण टीला है नहीं। है तो कहां पर है?


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