जल निगम घोटाले में अारोपी आजम खां के खिलाफ दर्ज मुकदमा नहीं होगा रद
आजम खां ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की खातिर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने एसआईटी के जवाब के बाद याचिका निस्तारित कर दी है।
लखनऊ (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जल निगम में कथित रूप से अवैध नियुक्तियां करने के आरोपों से घिरे पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान की तरफ से राज्य सरकार द्वारा उनके व अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका ठुकरा दी है।
कोर्ट ने केस की जांच कर रही एसआइटी के इस कथन को दर्ज कर याचिका का निस्तारण कर दिया कि जांच एजेंसी जांच के दौरान किसी अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं करती। इसके साथ ही कोर्ट ने आजम खां को विवेचना में सहयोग करने और पूछताछ के लिए हाजिर रहने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि पिछली सपा सरकार में आजम खां जल निगम के चेयरमैन भी थे।
यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने आजम खां की याचिका पर दिए। याचिका में जल निगम की भर्तियों में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर एसआइटी के समक्ष दर्ज हुई एफआइआर को पूर्व मंत्री ने चुनौती दी थी। उन्होंने खुद की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की भी मांग की थी। सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने कोर्ट को बताया कि जांच के दौरान साक्ष्य इत्यादि एकत्रित करने के बाद एसआइटी अपनी रिपोर्ट शासन की ओर से गठित एक कमेटी को देती है।
इस कमेटी की अध्यक्षता प्रमुख सचिव गृह करते हैं व कमेटी में पुलिस महानिदेशक व संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव भी होते हैं। कमेटी रिपोर्ट के आधार पर चार्जशीट व आगे की कार्रवाई का निर्णय लेती है। अपर महाधिवक्ता व अपर शासकीय अधिवक्ता एसएन तिलहरी ने गृह सचिव का एक पत्र भी पेश किया जिसमें कहा गया था कि एसआइटी जांच के दौरान आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की जाती।