पार्टी के स्थापना दिवस पर भाजपा पर दबाव बनाने को सुभासपा करेगी बड़ी रैली
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का मूल जनाधार राजभर समाज है लेकिन, योगी सरकार में मंत्री बनने के बाद पार्टी ने अति दलितों और अति पिछड़ों की कई जातियों को जोडऩे का प्रयास किया है।
लखनऊ (जेएनएन)। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर सरकार के लिए अक्सर चुनौती खड़ी करते हैं। अब वह 27 अक्टूबर को अपनी पार्टी के 16वें स्थापना दिवस पर ताकत दिखाने की तैयारी कर रहे हैं। उस दिन राजधानी में वह एक बड़ी रैली करेंगे। राजभर दलितों और पिछड़ों को कोटे में कोटा निर्धारित करने समेत तमाम मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का मूल जनाधार राजभर समाज है लेकिन, योगी सरकार में मंत्री बनने के बाद पार्टी ने अति दलितों और अति पिछड़ों की कई जातियों को जोडऩे का प्रयास किया है। लोकसभा चुनाव में राजभर भाजपा गठबंधन में ही रहने का दावा करते हैं लेकिन, मनमाफिक न होने पर राह बदलने की धमकी भी दे रहे हैं। इसलिए अब उनका पूरा जोर संगठन मजबूत करने पर है। राजभर हर माह अपने कार्यकर्ताओं का सम्मेलन कर रहे हैं।
प्रदेश को तीन जोन पूर्वांचल, पश्चिम और मध्य क्षेत्र में बांटकर राजभर ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। इस बीच पार्टी में मंडल स्तर पर कोआर्डिनेटर तैनात किये गए हैं। अगर भाजपा से उनकी बात नहीं बनी तो वह नुकसान पहुंचाने की भी रणनीति अपना सकते हैं। एससी-एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर ओमप्रकाश राजभर खफा हैं और इसके दुरुपयोग की आशंकाओं को लेकर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया की है। यहां तक कि उन्होंने मायावती के शासन की भी तारीफ की है।
इन दिनों बसपा नेतृत्व की तरफ उनका झुकाव भी बढ़ा है। उधर, सपा के बागी नेता शिवपाल सिंह यादव से भी राजभर की नजदीकी बढ़ रही है। ऐसे में उनके कदम पर लोगों की निगाहें टिकी हैं। राजभर की पार्टी आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए न्याय पंचायत स्तर पर भी बैठक और सभा शुरू कर चुकी है। आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत मायावती भी कर रही हैं। राजभर पिछले कुछ माह से सांसद अमर सिंह के भी संपर्क में हैं।
ध्यान रहे कि निकाय चुनाव से पहले सुभासपा ने अपने 15वें स्थापना दिवस पर लखनऊ में एक बड़ी रैली आयोजित करने का एलान किया था लेकिन, तब निकाय चुनाव के चलते रैली पर रोक लग गई। चुनाव आयोग आड़े आ गया और राजभर की हसरत अधूरी रह गई थी।