यम द्वितीयाः भाई दूज पर बहनों ने लगाया नेह का टीका, भाई के लंबी उम्र कीे कामना
दीप पर्व दीपावली सकुशल संपन्न होने के बाद पर्व श्रंखला आगे बढ़ी और आज भाई दूज, यम द्वितीय और लेखनी पूजा की धूम मची।
लखनऊ (जेएनएन)। दीप पर्व दीपावली सकुशल संपन्न होने के बाद पर्व श्रंखला आगे बढ़ी और अगले दिन गोवर्धन पूजा, भाई दूज और लेखनी पूजन की धूम मची। शुक्रवार को भाई-बहन के नेह का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया गया। बहनों ने भाइयों के माथे पर टिका लगाकर लंबी उम्र कीे कामना की तो वहीं भाइयों ने भी बहन को उपहार भेंटकर उनकी रक्षा का वचन दिया। इससे इतर भाई बहनों के गमनागमन से वाहनों में लोगों की भीड़ रही। कुछ स्थानों पर निजी वाहनों ने अधिक किराया भी वसूल किया।
ट्रेनों तथा बसों में रही भीड़
भैयादूज को लेकर रेलवे स्टेशन तथा रोडवेज बस स्टेशन पर भीड़ रही है। ट्रेनों तथा बसें खचाखच भरी रही। उधर छठ पूजा को लेकर डाउन लाइन की ट्रेनों में स्लीपर कोच तक में जनरल टिकट वाले यात्रियों का कब्जा रहा। भैयादूज को लेकर रोडवेज बस स्टेशन पर भोर में पांच बजे बसों का संचालन शुरू हो गया था। दिन में आठ बजे से बस स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ बढ़ गयी। रेलवे स्टेशन पर डाउन लाइन की त्रिवेणी एक्सप्रेस के समय यात्रियों की काफी भीड़ रही। यहां तक कि सामान्य टिकट लेकर लोग स्लीपर कोच में लोग घुस गए। पंजाब मेल, गुवाहाटी एक्सप्रेस, श्रमजीवी एक्सप्रेस, नीलांचल एक्सप्रेस, गोरखधाम, साबरमती एक्सप्रेस आदि ट्रेनों में स्लीपर कोच में पैर रखने की जगह तक नहीं थी। कई ट्रेनों में आरपीएफ तथा जीआरपी ने दिव्यांग कोच तथा महिला कोच खाली कराए।
भाई के माथे पर हल्दी चूने का तिलक
पूरे उत्तर प्रदेश में भैया दूज त्योहार का उल्लास सुबह से ही बहनों में देखने को मिला। बहनें भाइयों की लंबी उम्र के लिए उपवास रखकर उन्हें हल्दी चूने का तिलक कर आरती उतारी तो वहीं हल्दी चंदन का तिलक भाइयों के माथे को अलंकृत करता दिखा। भाइयों का मुंह मीठा कर बहनों ने ईश्वर से उनकी दीर्घायु तथा सुख व समृद्धि जीवन की कामना की। बहनों के इस अटूट प्रेम में भाई भी पीछे नहीं रहे। भाइयों ने बहनों को उपहार भेंट कर उन्हें आजीवन रक्षा एवं सहयोग का वचन दिया। भाई बहन का स्नेहिल व्यवहार देखकर बड़े भी गदगद दिखे।
चित्रगुप्त मंदिरों में लेखनी पूजन
चित्रगुप्त मंदिरों में कायस्थ समाज के लोगों ने सामूहिक लेखनी पूजन किया। एक दिन पूर्व महिलाओं ने गोवर्धन पूजा की। वैसे दीपावली की पर्व श्रंखला में गोपूजा पूजा, धनतेरस, हनुमान जयंती, लक्ष्मीजी की अगवानी, अन्नकूट गोवर्धन पूजा, भाई दूज और चित्रगुप्त जयंती तक कार्यक्रमों की धूम रहती है। मानस अखंड पाठ, हवन पूजन आरती व्रत उपवास से माहौल परंपरा में डूबा नजर आता है। चित्रगुप्त जयंती पर एक दिन के विराम के बाद पुन: लेखनी शुरू की जाती है। लेखनी की शुरुआत भगवान की वंदना लिखकर जाती है। पूजन के बाद प्रसाद वितरित किया जाता है।
क्यों लगाते हल्दी-चूने का तिलक
दरअसल, दूज का पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। हल्दी और चूना दो अलग-अलग रंगों के बीच प्रेम का बड़ा प्रतीक है। जब दोनों मिलते हैं तो दोनों अपना अपना रंग भूलकर एक नया रंग बन जाते हैं। हल्दी अपना पीलापन छोड़ देती है और चूना अपनी सफेदी छोड़ देता है। भक्त कवि रहीम ने इस प्रेम को एक दोहे में पिरोया है।रहिमन प्रीति सराहिए मिले होत रंग दून। ज्यों जरदी हरदी तजै तजै सफेदी चून।।
जेलों के बाहर उमड़ी बहनों की भीड़
भैयादूज पर बहनों ने जेल में बंद भाइयों का रोली का तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना की। कई बहनों के आंखों में आंसू भी छलक आए। इस दौरान 1204 महिलाओं ने जेल में अपने भाइयों से मुलाकात की। भैयादूज को लेकर सुबह आठ बजे से जिला कारागारों के बाहर महिलाएं अपने रिश्तेदारों के साथ आयी। जेल में अपने भाइयों से मुलाकात करने के लिए महिलाओं ने गेट के बाहर अर्जी लगायी। कुछ देर बाद जेल के अंदर मुलाकात शुरू हुई। बारी-बारी से सभी को कारागार के अंदर भेजा गया। बहनों ने अपने भाइयों के रोली का तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना की। तिलक लगाकर भाइयों का मिठाई खिलाकर मुंह मीठा किया। कुछ बहनों को भाइयों को देखते हुए आंसू छलक आए।