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डेंगू जैसे लक्षण के साथ कंजेक्टिवाइटिस हो तो रहें सावधान

डेंगू के समान लक्षण होते हैं जीका वायरस में। केजीएमयू के सेंटर फार एडवांस रिसर्च सेल में जीका वायरस के मरीजों में हुआ अध्ययन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 07:53 PM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 07:30 AM (IST)
डेंगू जैसे लक्षण के साथ कंजेक्टिवाइटिस हो तो रहें सावधान

लखनऊ, [राफिया नाज]। जीका वायरस फ्लेवी वायरस की फैमिली का है जो कि डेंगू और जापानी इंसेफेलाइटिस के वायरस का है। इस वायरस के लक्षण डेंगू वायरस से मिलते-जुलते हैं। जिससे अक्सर डॉक्टर इसे समय पर डॉयग्नोस नहीं कर पाते हैं। केजीएमयू के सेंटर फार एडवांस रिसर्च के शोध में यह तथ्य सामने आया है। जिसकी मदद से जीका वायरस के संक्रमण की पहचान में आसानी होगी। केजीएमयू के 'सेंटर फार एडवांस रिसर्च सेल की ट्रेवल मेडिसिन एंड इंफेक्शियस डिजीज' विषय पर शोध में यह तथ्य सामने आया है।

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रिसर्च में शामिल प्रो. शैलेंद्र कुमार सक्सेना ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने अब भी भारत को उन देशों की श्रेणी में रखा है जहां जीका वायरस इंफेक्शन का खतरा है। जयपुर में अब भी इस बीमारी का प्रकोप बना हुआ है हालांकि अभी इसमें किसी की मौत नहीं हुई है। मई 2015 में ब्राजील में 4400 लोग चपेट में आए थे वहीं 86 देशों के 13 लाख लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। 

जयपुर के 130 मरीजों की जांच में निकला तथ्य

प्रो.शैलेंद्र ने बताया कि जीका वायरस के संक्रमण के बाद से केजीएमयू की सीएफआर यूनिट इस पर काम कर रही है। 25 अक्टूबर 2018 तक जयपुर के 130 मरीजों की जांच की गई। जिसमें 32 गर्भवती महिलाएं भी शामिल थी। शोध में सामने आया कि लगभग 20 से 25 प्रतिशत मरीजों में कंजेक्टिवाइटिस यानि आइ फ्लू भी मिला है। 

अब तक मुश्किल थी पहचान

अब तक जीका वायरस की पहचान होने में दिक्कत हो रही थी। जिसका प्रमुख कारण इसका लक्षण डेंगू के बिल्कुल सामान होता है। इसके अलावा यह है पहचान- सिर दर्द, हल्का फीवर, थकान, स्किन रेशेज, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द आदि। हालांकि डेंगू में सिर्फ छोटे-छोटे ज्वाइंट में दर्द होता है जबकि जीका में बदन के हर जोड़ में दर्द होता है। इसके अलावा जीका वायरस में लिवर फंक्शन टेस्ट, सीबीसी नार्मल आता है जबकि डेंगू में यह प्रभावित होता है। 

डेंगू होने पर भी है खतरा

ऐसे मरीज जिन्हें कभी डेंगू हो चुका है और उनमें डेंगू की एंटीबॉडी मौजूद है। उन्हें अगर जीका वायरस का संक्रमण हुआ तो जीका की एंटीबॉडी, डेंगू की एंटीबॉडी के साथ मिलकर रिएक्टिविटी करेगा और जीका का वायरल लोड हाई हो जाएगा। इसलिए भारत जीका वायरस के प्रति ज्यादा संवेदनशील है क्योंकि यहां डेंगू और जेई वायरस का प्रकोप है। 

जीका से बचाव

जीका से प्रभावित 86 देशों में यात्रा न करें, अगर जीका प्रभावित देश में आपने यात्रा की है तो कम से कम 120 दिनों तक रक्तदान न करें। गर्भवती महिलाएं भी ऐसी जगह यात्रा न करें, इसके वायरस सीमैन में छह माह तक रहते हैं इसलिए सुरक्षित यौन संबंध बनाएं। 


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