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जीरो बैलेंस पर घर बैठे खुलेगा टीबी मरीजों का बैंक खाता...सीधे पहुंचेगी पोषण की रकम

उत्तर प्रदेश के करीब 30 हजार गरीब टीबी मरीज बैंक खाता नहीं खोल पा रहे हैं इसलिए उन तक मदद भी नहीं पहुंच रही है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 01:36 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 01:36 PM (IST)
जीरो बैलेंस पर घर बैठे खुलेगा टीबी मरीजों का बैंक खाता...सीधे पहुंचेगी पोषण की रकम
जीरो बैलेंस पर घर बैठे खुलेगा टीबी मरीजों का बैंक खाता...सीधे पहुंचेगी पोषण की रकम

लखनऊ, जेएनएन। टीबी मरीजों को मजबूती के साथ बीमारी से लड़ने के लिए सरकार उन्हें हर महीने 500 रुपये तो दे रही है, लेकिन डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से यह मदद केवल उन्हीं तक पहुंच रही है, जिनके पास बैंक खाता है। उत्तर प्रदेश के करीब 30 हजार गरीब टीबी मरीज बैंक खाता नहीं खोल पा रहे हैं, इसलिए उन तक मदद भी नहीं पहुंच रही है। ऐसे टीबी मरीजों की मदद के लिए राज्य सरकार अब घर बैठे उनका बैंक खाता जीरो बैलेंस पर खोलने जा रही है।

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निक्षय पोषण योजना के तहत इस साल राज्य सरकार ने 3.5 लाख टीबी मरीजों को करीब 74 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। हालांकि इसके बाद भी बड़ी संख्या ऐसे टीबी मरीजों की है, जिनके पास न बैंक खाता है और न ही उन्हें पोषण की रकम मिल रही है। इस खाई को पाटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने इंडियन पोस्टल पेमेंट बैंक से करार किया है। राज्य क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ.संतोष गुप्ता ने बताया कि कौशांबी और संभल को छोड़कर प्रदेश के बाकी सभी 73 जिलों में इस बैंक की शाखाएं हैं। इन्हीं शाखाओं में उन मरीजों के खाते खोले जाएंगे, जिनके पास अब तक बैंक खाता नहीं है।

इसके लिए पोस्टमैन या डाक विभाग के प्रतिनिधि टीबी मरीजों के यहां हैंडहेल्ड डिवाइस के साथ जाएंगे और आधार सत्यापन के साथ बैंक खाता खोल देंगे। डॉ.गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में बिना खाते वाले एक हजार टीबी मरीजों के बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इसी तरह डाक विभाग के जरिये टीबी मरीजों का जांच नमूना भेजने के लिए लखनऊ, आगरा, बदायूं व चंदौली में पायलट प्रोजेक्ट के तहत परीक्षण के बाद नवंबर से यह व्यवस्था प्रदेश भर में लागू करने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

19 हजार पर दवा बेअसर

उत्तर प्रदेश में टीबी के 19 हजार मरीज मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) की चपेट में हैं। इन मरीजों का उपचार अलग दवाओं से किया जा रहा है। राज्य क्षय नियंत्रण अधिकारी ने यह संख्या और बढ़ने की आशंका जताई है। उन्होंने बताया कि अप्रैल के मुकाबले अब जांच क्षमता में करीब 80 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल में सीबी नेट मशीनों के जरिए जहां हर महीने 21 हजार मरीजों की जांच की जा रही थी, वहीं अब यह संख्या 38 हजार से अधिक हो गई है।


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