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उत्तर प्रदेश में राज्यकर्मियों की हड़ताल पर प्रतिबंध, एस्मा के तहत छह महीने तक रोक

छह फरवरी से हड़ताल पर जा रहे कर्मचारियों व शिक्षकों को रोकने के लिए सरकार ने यूपी एस्मा (उप्र अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम-1966) का अंकुश लगा दिया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 10:43 AM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 10:43 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में राज्यकर्मियों की हड़ताल पर प्रतिबंध, एस्मा के तहत छह महीने तक रोक

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली के लिए छह फरवरी से हड़ताल पर जा रहे कर्मचारियों व शिक्षकों को रोकने के लिए सरकार ने यूपी एस्मा (उप्र अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम-1966) का अंकुश लगा दिया है। मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय के साथ कर्मचारियों की वार्ता विफल होने के बाद कल देर रात अधिसूचना जारी कर फिलहाल छह महीने तक प्रदेश के सरकारी विभागों, निगमों व प्राधिकरणों में किसी भी तरह की हड़ताल को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

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मुख्य सचिव ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को इस बाबत निर्देश देते हुए पुरानी पेंशन को लेकर कुछ संगठनों के छह फरवरी से हड़ताल पर जाने की जानकारी दी। उप्र सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली-1956 और उप्र सेवा संघों की मान्यता नियमावली-1979 की व्यवस्थाओं का जिक्र करते हुए मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कर्मचारियों व संगठनों को यह जानकारी देने के निर्देश दिए हैैं कि नियमों के तहत कर्मचारी न तो हड़ताल में शामिल होंगे और न इसमें सहायता करेंगे। इसी तरह सेवा संघ न तो सरकारी कार्य में बाधा डालेंगे और न ही अपने सदस्यों को हड़ताल करने, धीरे काम करने या कोई अन्य तरीका अपनाने के लिए उकसाएंगे।

मुख्य सचिव ने इन शर्तों के उल्लंघन पर जहां नियमावली के तहत सेवा संघों की मान्यता समाप्त करने की चेतावनी दी है, वहीं हड़ताल में शामिल होने वाले कार्मिकों पर भी उप्र सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली-1999 के तहत कार्यवाही के लिए भी आगाह किया है। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि धरना-प्रदर्शन व हड़ताल में शामिल होने के कारण कर्मचारी यदि काम न करें तो 'कार्य नहीं तो वेतन नहींÓ के सिद्धांत के आधार पर उन्हें संबंधित अवधि का वेतन भुगतान न किया जाए। इसी तरह धरना-प्रदर्शन व हड़ताल में शामिल होने के लिए कार्मिकों का अवकाश भी स्वीकृत न करने के निर्देश दिए गए हैैं। इसके साथ ही मुख्य सचिव ने अधिकारियों को हड़ताल के दौरान अत्यावश्यक सुविधाएं बनाए रखने की व्यवस्था करने और किसी भी अधिकारी का हड़ताल के दौरान अवकाश स्वीकृत न करने के निर्देश दिए हैैं।

बेनतीजा गुजरा वक्त

हड़ताल पर रोक के कठोर फैसले ने सरकार की मंशा भी राज्य कर्मचारियों के सामने स्पष्ट कर दी है कि पुरानी पेंशन मामले पर फिलहाल कुछ होने वाला नहीं है। कर्मचारी नेताओं के एक गुट का मानना है कि इसी वजह से सरकार बीते पांच महीनों से टाइम पास कर रही थी। पहले उपमुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा से लेकर मुख्य सचिव तक से वार्ता में समय गुजरा, फिर विचार के लिए बनी समिति की दो महीने तक निरर्थक बैठकें चलती रहीं। अब कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर आंदोलन का निर्णय लिया तो सरकार उन्हें इसकी अनुमति देने को भी तैयार नहीं है।

हड़ताल पर डटे कर्मचारी, टकराव के आसार

कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच के संयोजक हरिकिशोर तिवारी का कहना है कि सरकार के आदेश के बावजूद 20 लाख राज्य कर्मचारी व शिक्षक हड़ताल के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैैं। तिवारी ने कहा कि सरकार चाहे तो कर्मचारियों को जेल में डाल दे लेकिन, हड़ताल नहीं रुकेगी। ऐसे में सरकार और राज्यकर्मियों के बीच टकराव के आसार बढ़ गए हैैं।

खास बातें

- सेवा संघों की मान्यता खत्म करने की चेतावनी, हड़ताली कार्मिकों को नहीं मिलेगा वेतन।

- मुख्य सचिव ने धरना-प्रदर्शन व हड़ताल में शामिल होने वालों पर कार्यवाही के दिए निर्देश।

- किसी भी अधिकारी का अवकाश स्वीकृत न करने के भी दिए गए निर्देश। 


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