बलरामपुर के डॉक्टर मरीज को भेज रहे निजी अस्पताल
निजी अस्पताल जाने से मना करने क बाद डॉक्टर ने ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया।
लखनऊ (जासं)। बलरामपुर अस्पताल में बेहतर इलाज के सारे दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती मरीज के परिजनों ने यहां के डॉक्टर पर निजी अस्पताल जाने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया है। परिजनों को कहना है कि डॉक्टर द्वारा बताए गए अस्पताल जाने से मना करने पर यहां बीच में ही इलाज रोक दिया जाता हैं। निजी अस्पताल जाने से मना करने क बाद डॉक्टर ने ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया।
बाराबंकी के ख्वाजापुर निवासी अरुण कुमार द्विवेदी का कहना है कि भाई दुर्गेश (26) पर बीते 25 मार्च को कुछ लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया था। जिससे सिर में गहरी चोट आ गई थी। इलाज के लिए जिला अस्पताल बाराबंकी ले गए। प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टरों ने केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। ट्रॉमा सेंटर में एक दिन इलाज के बाद डॉक्टरों ने बलरामपुर अस्पताल भेज दिया। यहां के न्यूरोलॉजी विभाग में इलाज शुरू हुआ। अरुण त्रिवेदी का कहना है कि पहले दो दिन यहां बेहतर इलाज हुआ। इसके बाद डॉक्टर यहां बेहतर सुविधा न होने की बात कहकर निजी अस्पताल जाने के लिए दबाव बनाने लगे। शनिवार को सुबह डॉक्टर ने इंदिरानगर स्थित एक निजी अस्पताल के नाम की पर्ची थमाते हुए कहा कि सिर का ऑपरेशन होना है। अस्पताल जाकर मेरा नाम बता देना, अच्छा इलाज हो जाएगा। निजी अस्पताल जाने में जब असमर्थता जाहिर की तो डॉक्टर भड़क गए। उन्होंने कहा अब यहां इलाज नहीं हो पाएगा, अब कहीं भी ले जाओ।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर करेंगे शिकायत
मरीज के भाई अरुण त्रिवेदी का कहना है कि इलाज के नाम मरीजों को बलरामपुर अस्पताल में लूटा जा रहा है। इसकी शिकायत वह मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज कराएंगे।
बलरामपुर अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. ईश्वर शरण ने बताया कि जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वह सरासर गलत हैं। मरीज के सिर में ब्लड जम गया है। ऑपरेशन होना है यहां वेंटिलेटर की सुविधा न होने के कारण मैने मरीज को ट्रॉमा सेंटर जाने को कहा था। निजी अस्पताल की पर्ची के बारे में मैं कुछ नहीं जानता।
बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. श्रषि सक्सेना ने बताया कि मेरे पास अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं आई हैं। मामला गंभीर है, शिकायत आएगी तो उचित कार्रवाई की जाएगी।