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लखनऊ में सड़कों के नीचे बज रही खतरे की घंटी, भूमिगत केबल डालने में क्षतिग्रस्त की जा रही पाइपलाइन

ठेकेदार शाम से ही मशीनों को लगा देते हैं और रात में ड्रिल कर भूमिगत केबल डालकर चले जाते हैं। फिर चाहे पाइप लीक होने से पानी का संकट गहरा जाए या फिर कुछ दिन बाद सड़क बैठ जाए ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।

By Mahendra PandeyEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 08:30 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 08:30 AM (IST)
लखनऊ में सड़कों के नीचे बज रही खतरे की घंटी, भूमिगत केबल डालने में क्षतिग्रस्त की जा रही पाइपलाइन
लखनऊ में सड़कों की दुर्दशा ऐसी ही है

लखनऊ, जेएनएन। एक जगह सड़क को खोदा और ड्रिल मशीन से अंदर ही अंदर खोदाई कर दी। प्रेशर से ड्रिल मशीन चलने से पानी की पाइप लाइन लीक हो रही है और फिर सड़क कब बैठ जाए, कहा नहीं जा सकता है।बिजली और टेलीफोन की भूमिगत केबल डालने वाले ठेकेदारों की मनमानी से अफसर भी अनजान बने हैं। ये ठेकेदार शाम से ही मशीनों को लगा देते हैं और रात में ड्रिल कर भूमिगत केबल डालकर चले जाते हैं। फिर चाहे पाइप लीक होने से पानी का संकट गहरा जाए या फिर कुछ दिन बाद सड़क बैठ जाए, ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। थानों में ठेेकेदारों के खिलाफ दी गई तहरीर भी महज कागज का टुकड़ा ही बन कर रह जाती है।

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पार्क रोड के पास सोमवार रात वाहन का पहिया सड़क में ऐसे ही नहीं धंसा है। अफसरों की लापरवाही का यह एक उदाहरण है। यहां भूमिगत पाइप लाइन में लंबे समय से लीकेज था। पानी के रिसाव से सड़क अंदर ही अंदर खोखली हो रही थी और सोमवार रात नगर निगम के सीवर वाहन का पहिया उसमें धंस गया। यह रिसाव भी इसलिए था क्योंकि किसी निजी कंपनी का भूमिगत केबल डालने के लिए ठेकेदार के कर्मचारियों ने ड्रिल करके भूमिगत केबल डाली थी। इसके चलते पानी की पाइप लाइन और सीवर लाइन भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। भूमिगत केबल के सहारे पानी अंदर ही अंदर सड़क को खोखला कर रहा था। वैसे तो पानी की पाइप लाइन पार्क रोड पर चिडिय़ाघर की दीवार के पास से होकर गुजरी है, जबकि सड़क दूसरी पटरी पर धंस गई। लीकेज पाइप का पानी भूमिगत केबल के सहारे दूसरी तरफ की सड़क के भीतर जाकर उसे खोखला कर रहा था।

पूरे शहर में है सड़कों का यही  हाल

टेलीफोन के साथ ही बिजली का केबल डालने के लिए ड्रिल से सड़क के भीतर हो रही खोदाई से सीवर और पानी की पाइप लाइन का क्षतिग्रस्त होना कोई नई बात नहीं है। हर साल ऐसी कई घटनाएं होती हैं। जब पाइप लाइन की मरम्मत के लिए जलापूर्ति बंद की जाती है तो फिर पानी को लेकर हाहाकार मचता है। ठेकेदारों और निजी कंपनियों पर कोई कानूनी कार्रवाई न होने से पाइप लाइन को क्षतिग्रस्त करने का यह खेल बंद नहीं हो पा रहा है। पहुंच वाले ठेकेदारों पर कानूनी शिकंजा न कसने से उनकी मनमानी जारी है। मीराबाई मार्ग का ही उदाहरण ले लिया जाए तो यहां पर साल में कई बार भूमिगत पाइप लाइन को डाला जाता है और फिर गड्ढे में मिट्टी भरकर ठेकेदार चले जाते हैं, जो बारिश में खतरे का कारण बनता है। सड़क की मरम्मत भी होती है तो वह भी काम चलाऊ। इससे बारिश में सड़क धंस जाती है। 

सोमवार की घटना को लेकर लोकनिर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता राजीव राय कहते हैं कि जिस जगह वाहन का पहिया धंसा है, वहां पानी की पाइप लाइन में लीकेज था, जिससे मिट्टी हट रही थी और वाहन का पहिया उसमे धंस गया। जलकल विभाग की टीम पाइप लाइन को ठीक करने के साथ ही सड़क की मरम्मत भी कराएगी।

जलकल के अधिशासी अभियंता अविनाश श्रीवास्तव का कहना है कि पानी की पाइप लाइन जिस तरफ से गई है, उसके दूसरे छोर पर सड़क धंसी है। किसी टेलीफोन कंपनी के ठेेकेदार ने भूमिगत केबल डालने के दौरान पाइप लाइन को क्षतिग्रस्त कर दिया और इस कारण लीकेज हो रहा था। पाइप की मरम्मत कराई जा रही है।


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