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ऑन द स्पॉट: बच्चे राइट टाइम-शिक्षिका अपने टाइम, कहीं पहले की सफाई फिर शुरू पढ़ाई

'जागरण टीम' ने शहर के अलग-अलग स्कूलों का औचक निरीक्षण किया तो अधिकाश जगह नींव मानी जाने वाली प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की इमारत ही दरकी नजर आयी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 05:18 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 05:26 PM (IST)
ऑन द स्पॉट: बच्चे राइट टाइम-शिक्षिका अपने टाइम, कहीं पहले की सफाई फिर शुरू पढ़ाई
ऑन द स्पॉट: बच्चे राइट टाइम-शिक्षिका अपने टाइम, कहीं पहले की सफाई फिर शुरू पढ़ाई

लखनऊ(जेएनएन)। यदि आपके जेहन में पुराने-जमाने के गुरुकुल की कोई तस्वीर है तो इसके कुछ अक्स अब भी हमारी प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के विद्यालयों में नजर आ जाएंगे। कोई एक शिक्षक नहीं पहुंचा तो क्या हुआ, दूसरा अकेले ही अभिमन्यु की तरह कई कक्षाओं से घिरा शिक्षा का व्यूह भेदने में शहादत को तत्पर है। गुरु जी भी नहीं तो क्या होनहार बच्चे भी गुरु की भूमिका में नजर आ जाएंगे। आखिर 'दो एक्कम दो' का पहाड़ा तो पाचवीं का बच्चा भी रटा ही सकता है। विद्यार्थी के लिए कोई काम छोटा-बड़ा या पराया नहीं होता। अब स्कूल खोलने, बंद करने और कक्षाओं की साफ-सफाई की जिम्मेदारी तो वह अपने कंधों पर उठा ही सकते हैं। उठाते नजर आये भी .। सोमवार को जागरण के 'ऑन द स्पॉट' में जब यह तस्वीर एक-दो नहीं बल्कि कई स्कूलों में दिखी तो एकबारगी यह तय करना मुश्किल था कि किस बात को सराहा जाए और किसे कोसा। 'जागरण टीम' ने शहर के अलग-अलग स्कूलों का औचक निरीक्षण किया तो अधिकाश जगह नींव मानी जाने वाली प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की इमारत ही दरकी नजर आयी।

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स्कूल, शिक्षक, बच्चे. सब कुछ है, बस पढ़ाई नहीं :

विद्यालय खुलने का समय सुबह 8 बजे है, लेकिन पूर्व माध्यमिक विद्यालय अंबेडकर जोन-एक जैसे स्कूल 8.21 पर खुले। इसी तरह आधे स्कूल ऐसे मिले जहा 8.30 बजे तक शिक्षक-शिक्षिकाएं ही आते रहे। शिक्षक-छात्र अनुपात भी बेमेल देखने को मिला। अधिकाश जगह पठन-पाठन का कोई सिस्टम नहीं था। मिड-डे-मील भी सभी जगह पहुंचा, लेकिन उसके पहुंचने का कोई समय निर्धारित नहीं दिखा। कहीं मिड डे मील खाने के बाद ही पढ़ाई की शुरुआत हुई तो कहीं मध्यावकाश के बाद बच्चों ने मिड डे मील खाया। आइए, जानते हैं क्या है संसाधनों का हवाला देकर निजी स्कूलों से पिछड़ने वाले सरकारी स्कूलों का हाल- बच्चे राइट टाइम, शिक्षिका अपने टाइम : सुबह आठ बजे जियामऊ प्राइमरी स्कूल में बच्चे मौजूद थे। उन्हें इंतजार था तो दीदी (शिक्षिका) के आने का, ताकि वह कमरे में जा सकें। अचानक पानी गिरने लगा तो बच्चे बरामदे में पहुंच गए और बैग जमीन पर रखकर दीदी का इंतजार करने लगे। कमरों में ताले लटक रहे थे। करीब पंद्रह मिनट बाद एक शिक्षिका आईं और एक बच्चे को कमरे की चाबी थमाई। बच्चों ने बताया कि विद्यालय में एक ही शिक्षिका आ रही हैं और वह भी देर से पहुंचती हैं। प्राइमरी शिक्षा का यह हाल मुख्यमंत्री आवास से एक किलोमीटर दूर स्थित स्कूल का दिखा।

विद्यालय में बच्चों के पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं :

सुबह 7:50 बजे, कुछ बच्चे गेट के सामने खड़े थे। एक-एक करके बच्चों के आने का क्त्रम चल रहा था। कक्षा चार में पढ़ने वाला प्रियाशु आया। उसने जेब से गेट की चाबी निकाली और कक्षा पाच में पढ़ने वाली हमीदा को दी। हमीदा ने 8:05 बजे गेट खोला और बच्चे अंदर पहुंच गए। करीब 10 मिनट बाद स्कूटी से 115 बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी निभाने वाली शिक्षिका पूजा अरोड़ा पहुंचीं। आधे घटे बाद शिक्षामित्र प्रतिभा त्रिपाठी आईं और बच्चों को पढ़ाने लगीं। स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, पास के होटल से लाते हैं पानी। 14 बच्चों पर तीन शिक्षक फिर भी पढ़ाई नहीं :

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सासद निधि से दुरुस्त हुए प्राथमिक विद्यालय उदयगंज में कक्षा छह से आठ तक 14 बच्चे पंजीकृत हैं, लेकिन पढ़ने एक भी नहीं आता। तीन नियमित शिक्षिका हैं जो बिना पढ़ाए रोज घर लौट जाती हैं। दो कमरों में कक्षा एक से पाच तक के बच्चे बैठते हैं। यहा केवल दो शिक्षा मित्र हैं। कई बार एक शिक्षा मित्र के भरोसे स्कूल रहता है। कई बच्चे खुद ही पढ़ाई करते हैं। बच्चों की प्रतिभा एक एनजीओ की कार्यकर्ता पूनम कश्यप निखार रही हैं। वह बच्चों को नृत्य व राखी बनाने जैसी कला सिखाती हैं। यहा दो शौचालय हैं लेकिन पानी का इंतजाम नहीं। ब्लैकबोर्ड खराब, दीवार पर हो रही पढ़ाई :

सुबह 8:05 बजे चौक स्थित पुलगामा प्राथमिक विद्यालय में दो बच्चे मिले और शिक्षामित्र सोनिया कपूर कक्ष का ताला खोल रही थीं। विद्यालय इंचार्ज शोभा टंडन 8:15 बजे पहुंची। इनके बाद शिक्षामित्र गुरुमीत कौर पहुंची। एक कक्ष में बैठे एक से पाच तक के 21 बच्चों को समीक्षा रस्तोगी पढ़ा रही थीं। विद्यालय में पढ़ाई का स्तर जानने के लिए यहा कक्षा चार से आठ तक के बच्चों से स्वतंत्रता दिवस और अगस्त और बोर्ड पर लिखने को कहा गया। किसी ने स्वतंत्रता को सोनतर लिखा तो किसी ने दिवस को दिवसत। वहीं ब्लैक बोर्ड खराब होने के कारण दीवार पर लिखकर पढ़ाना पढ़ रहा है। बच्चों ने पहले की सफाई फिर शुरू हुई पढ़ाई :

स्कूल में तीन अध्यापिकाओं की तैनाती हैं। प्रभारी श्वेता श्रीवास्तव और एक अन्य अध्यापिका सुबह आठ बजे तक आईं। तीसरी अध्यापिका श्वेता श्रीवास्तव उनका भी नाम है, वह 8:30 तक स्कूल नहीं पहुंची थीं। स्कूल में कुल 250 बच्चे इनरोल्ड हैं। 180 नियमित हैं। बच्चों ने सबसे पहले कमरों से निकालकर बेंच और मेज बरामदे में लगाए। इसके बाद सफाई की, फिर पढ़ाई शुरू हुई। इस विद्यालय में पाच कक्षाओं के लिए केवल तीन कमरे हैं, इसलिए जैसे-तैसे पढ़ाई शुरू हुई। डेढ़ घटे बाद टीचर ने बच्चों से मिड डे मील बंटवाया।

एक कक्षा में शिक्षिका थीं, बाकी बच्चे खुद पढ़ रहे थे:

उतरेठिया प्राथमिक विद्यालय में सोमवार को सुबह 8:18 बजे एक शिक्षिका व कुछ बच्चे आ चुके थे। बच्चे कमरों की सफाई कर चटाई पर बैठे। कुल 132 बच्चों में 58 उपस्थित थे। दो में छुट्टी का प्रार्थना पत्र देने वाली एक शिक्षिका अनुपस्थित थीं, उन्हें छुट्टी की अनुमति नहीं दी गई थी। पहली कक्षा के छात्रों को उसी कक्षा की एक छात्र पढ़ा रही थी। तीसरी कक्षा के बच्चों को शिक्षिका पढ़ा रही थीं। बाकी बच्चे अपने आप पढ़ रहे थे। मध्याह्न् भोजन बच्चों को खुद गेट से ढोकर लाना पड़ा। यहा तो बच्चे ही परोस रहे हैं मिड-डे मील:

सोमवार को तकरोही के प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई तो ठीक मिली, बच्चों से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री का नाम पूछा गया तो सबने एक साथ सही उत्तर दिया। हालाकि यहा बच्चों को गंदगी और जलभराव से होकर पहुंचना पड़ता है। दीवार न होने से अराजक तत्व परिसर में घुस आते हैं। बेंच नहीं है और दरी पर बच्चे बैठते हैं। सभी बच्चों को जूते तक नहीं मिल पाए हैं। मिड-डे मील वितरण के समय शिक्षिकाओं को डंडा लेकर खड़ा होना पड़ता है, जिससे गाय कमरे में न घुस जाए। वहीं मिड-डे मील का वितरण खुद बच्चे ही करते हैं। एक कमरा, दो शिक्षक, पाच कक्षाएं :

प्राथमिक विद्यालय पुरनिया एक छोटे से कमरे में चल रहा है। सोमवार को यहा बारिश में छत टपक रही थी। बच्चे पानी से बचने के लिए अपनी टाट-पट्टी इधर-उधर खिसका रहे थे। उनका पढ़ाई से अधिक ध्यान अपने आपको बारिश से बचाने पर था कि कहीं ड्रेस खराब नहीं हो जाए। इस पूरे स्कूल में वैसे तो पाच कक्षाओं में 125 स्टूडेंट हैं, लेकिन सोमवार को केवल 50 ही उपस्थित थे। दो शिक्षिकाएं पाच कक्षाओं को चला रही थीं। ऐसे में प्राथमिक शिक्षा का क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

पहली कक्षा में पढ़ा रहा था पाचवीं का छात्र:

बादशाहनगर प्राइमरी स्कूल का भवन जर्जर है। टूटे सीमेंट के पटरे से पानी टपकता है। सोमवार सुबह 8.25 बजे प्रभारी प्रधानाचार्या शाति देवी व सहायक अध्यापक अनीता दूसरी व तीसरी कक्षा में पढ़ा रही थीं, जबकि एक कक्षा में पाचवीं का छात्र नन्हे-मुन्नों को पढ़ाता दिखा। यहा 80 विद्यार्थी पंजीकृत हैं, जबकि उनके सापेक्ष 20 बच्चे ही उपस्थित मिले। हालाकि यहा एक अच्छी बात यह थी कि दीवारों पर चित्र उकेरे गए हैं, जिनमें खेल-खेल में अंकों व आकृतियों की जानकारी मिलती है।

चादन के स्कूलों में बच्चों को किताबों का इंतजार:

चादन में एक ही परिसर में प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय का संचालन होता है। सुबह यहा शिक्षिका अनुराधा सचान व गायत्री देवी समय से पहुंच गई थीं, जबकि ममता ओझा साढ़े आठ बजे पहुंची। पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कुल 111 छात्र-छात्रओं में 60 उपस्थित थे। कक्षा छह की एक छात्र कुर्सी पर चढ़ी जाला छुड़ा रही थी। बच्चों को अंग्रेजी, विज्ञान की पुस्तक व जूते अभी भी नहीं मिले हैं, जबकि सितंबर में परीक्षा है। वहीं विद्यालय में 161 बच्चों में 64 मौजूद थे। यहा दो शिक्षिकाएं व एक शिक्षामित्र तैनात हैं।

बच्ची ने स्कूल खोला, तब हुई पढ़ाई:

पूर्व माध्यमिक विद्यालय आबेडकर जोन एक में सोमवार सुबह स्कूल पहुंचीं शिक्षिकाएं क्लासरूम के बाहर पड़ीं कुर्सियों पर आराम फरमा रहीं थीं। इसी बीच बारिश में भीगते हुए एक बच्ची क्लास की ओर भागते हुए आई। मैडम ने बच्ची को फटकार लगाते हुए कहा कहा रह गई थी। बच्ची ने जल्दी से बैग में हाथ डालते हुए एक चाबी निकाली और क्लासरूम खोला। इसके बाद बच्चे क्लास में जा सके और फिर पढ़ाई शुरू हुई। इस व्यवस्था से परिषदीय स्कूलों की स्थिति का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है। पढ़ाई से पहले ही बंटा मिड-डे मील:

गुलाम हुसैन पुरवा के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सोमवार को सुबह 8:20 बजे अक्षय पात्र की गाड़ी रुकते ही चपरासी व एक दर्जन बच्चे खाना उतारने के लिए कक्षाओं से बाहर निकल आए। यहा प्राइमरी व जूनियर क्लास के बच्चों ने पहले मिड डे मील खाया। जब तक गाड़ी नहीं गई और खानपान चला तब तक पढ़ाई नहीं हुई। मिड डे मील के बाद स्कूल में सफाई का काम हुआ। स्कूल में सिर्फ पूर्व माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिकाएं समय से आई थीं, उनके बाद प्राइमरी सेक्शन की शिक्षिकाएं बरसात से बचते हुए पहुंचीं। वहीं कक्षा छह, सात व आठ में शिक्षण कार्य समय से चालू मिला।

एक कमरे में लगती हैं पाच कक्षाएं:

मनकामेश्वर मंदिर वार्ड के प्राइमरी स्कूल बरौलिया में विद्यार्थी एक कमरे में किसी तरह पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यहा शिक्षामित्र उबैद व इंचार्ज शिक्षक एजाज अली एक साथ पाच-पाच कक्षाओं के विद्यार्थियों को किसी तरह पढ़ाते हैं। सामुदायिक केंद्र में यह स्कूल चल रहा है। पूरे स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 60 है। सोमवार को 35 विद्यार्थी उपस्थित थे। हेड मास्टर विद्यार्थियों की हाजिरी ले रहे थे, ताकि मिड डे मील बाटा जा सके। एक कमरे में कैसे हो रही होगी पढ़ाई? इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है। बुनियाद में दीमक :

जियामऊ प्राथमिक विद्यालय

बल्दीखेड़ा प्राथमिक विद्यालय

तकरोही प्राथमिक विद्यालय

उदयगंज प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय

पुलगामा प्राथमिक विद्यालय

खुर्रम नगर प्राथमिक विद्यालय

उतरेठिया प्राथमिक विद्यालय

पुरनिया प्राथमिक विद्यालय

बादशाहनगर प्राथमिक विद्यालय

चादन प्राथमिक विद्यालय

आबेडकर पूर्व माध्यमिक विद्यालय

गुलाम हुसैन पुरवा प्राथमिक विद्यालय

बरौलिया प्राथमिक विद्यालय ये है आकड़े:

ग्रामीण क्षेत्र में कुल शिक्षकों की संख्या - 2700

राजधानी में कुल प्राथमिक व पूर्व मा. विद्यालय - 1841

नगर क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालय - 197

ग्रामीण क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालय - 1172

नगर में पूर्व माध्यमिक विद्यालय - 57

ग्रामीण क्षेत्र में पूर्व मा. विद्यालय - 415

नगर क्षेत्र में कुल शिक्षक - 308 स्पॉट लाइट:

- सुबह खुलने का समय (ग्रीष्मकाल) प्रा. व पूर्व माध्यमिक विद्यालय : 08:00 बजे

- मध्याह्न् मिड-डे मील वितरण का समय : 10:30 बजे

- मध्याह्न् भोजन का मैन्यू: रोटी, सब्जी, दाल, चावल, तहरी, केला ऑन द स्पॉट टीम: अजय श्रीवास्तव, पुलक त्रिपाठी, राजीव बाजपेयी, आशीष त्रिवेदी, अंशू दीक्षित, निशात यादव, जितेंद्र उपाध्याय, ऋषि मिश्र, संदीप पाडेय, धर्मेद्र मिश्र, सौरभ शुक्ला, महेंद्र पाण्डेय। छायाकार: रंगनाथ तिवारी, उमेश शुक्ला, पंकज ओझा, अविनाश कुमार रहे। क्या कहते हैं अफसर?

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अमरकात सिंह का कहना है कि जो बच्चे स्कूल के पास रहते हैं, उन्हें ही चाबी दी गई होगी। एक चाबी शिक्षकों के पास भी होगी। किसी विशेष परिस्थिति में यदि शिक्षक को पहुंचने में देर हो जाए तो ऐसे समय पर यह व्यवस्था काम आती है। मैं इसे गलत नहीं मानता। बच्चों से स्कूल में झाडू लगवाना गलत है। संबंधित शिक्षिका पर निलंबन की कार्रवाई होगी। स्कूलों में पठन पाठन समय पर कराना ही प्राथमिकता है। हर रोज विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जाएगा। प्राथमिक विद्यालय बल्दीखेड़ा में पानी की समस्या है, उसे दुरुस्त कराया जाएगा।


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