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Ayodya case: जेहन में कौंधने लगीं मंदिर आंदोलन की स्मृतियां Ayodhya News

आयोध्या में यादों के झरोखे से सोहावल के निवासियों ने पूरी शिद्दत से की थी खानपान के प्रबंध समेत कारसेवकों की सुरक्षा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 07:57 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 07:16 AM (IST)
Ayodya case: जेहन में कौंधने लगीं मंदिर आंदोलन की स्मृतियां Ayodhya News
Ayodya case: जेहन में कौंधने लगीं मंदिर आंदोलन की स्मृतियां Ayodhya News

अयोध्या, जेएनएन। जब राममंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, ऐसे में 90 के दशक से जुड़ी मंदिर आंदोलन की स्मृतियां जेहन में कौंधने लगी हैं। वर्ष 1984 में सीतामढ़ी से दिल्ली के लिए निकली रथयात्रा रही हो या 1990 में प्रशासनिक बंदिशों के दौरान कारसेवकों की सुरक्षा, उनके खानपान व संरक्षण का मामला... सोहावल के निवासियों ने पूरी शिद्दत से भागीदारी की थी।

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वर्ष 1984 में सीतामढ़ी से निकली रथयात्रा के दौरान आरडी इंटर कॉलेज सुचित्तागंज में सभा थी। यात्रा का रात्रि पड़ाव भी यहीं था। सभा में मंदिर आंदोलन के महानायक महंत रामचंद्रदास परमहंस ने मस्जिद नहीं मंदिर का नारा दोहराया था। सामाजिक समरसता को मजबूती देने के लिए विहिप ने रथयात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के भोजन के लिए सभी परिवारों से पांच पैकेट मंगवाए थे। आवाम की सहभागिता का यह आलम था कि आरडी इंटर कॉलेज के कई कमरे पैकेट में रखी पूड़ी-सब्जी से भर गए थे। हालांकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के कारण रथयात्रा दिल्ली पहुंचने से पहले स्थगित कर दी गई थी। 

मंदिर आंदोलन का निर्णायक दौर 1990 में शुरू हुआ। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम ङ्क्षसह यादव की पहल पर लखनऊ से बनारस व इलाहाबाद से अयोध्या के बीच परिवहन सेवाएं रोक दी गई। इस पर जंगल-जंगल भटकते कारसेवकों की सुरक्षा उनके खान-पान का जिम्मा इलाके के लोगों ने संभाला। रामनगर, धौरहरा, महोली, पिरखौली, सारंगापुर, करेरू, मिसरौली, मीरपुर कांटा, वेदरापुर, अर्थर, बरौली, दीवान का पुरवा, लखोरी वह मोईया कपूरपुर के लोग न केवल कारसेवकों की सुरक्षा व उनकी भोजन व्यवस्था के लिए आगे आए, बल्कि उनके सुरक्षित अयोध्या पहुंचने की जिम्मेदारी से भी बावस्ता हुए। इस दौरान अर्थर, कुंडौली समेत कई स्थानों से कारसेवकों की गिरफ्तारी की गई। उन्हें आरडी इंटर कॉलेज समेत अन्य अस्थाई जेलों में रखा गया। विहिप के जानकीशरण श्रीवास्तव, रामकृपाल ङ्क्षसह रहे हों या भाजपा के खुशीराम पांडेय, समरजीत पाठक, राधेश्याम ङ्क्षसह, राजकुमार पांडेय, चक्रधर दुबे, दलबहादुर ङ्क्षसह, विजय पाठक की इस आंदोलन में अपनी भूमिका रही है।

भाजपा नेता के पूर्व मंडल अध्यक्ष खुशीराम पांडेय कहते हैं कि बंदिशों के उस दौर में कारसेवकों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती थी। भाजपा नेता दलबहादुर ङ्क्षसह कहते हैं कि वह उस दौर का सच था और अब इतिहास रचने की बारी है। 


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