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आजम खां ने नहीं गिराई विधानसभा की गरिमा : माता प्रसाद

राज्यपाल राम नाईक भले मानते हैं कि संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने विधानसभा की गरिमा का ख्याल नहीं रखा लेकिन विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय का कहना है कि आजम ने सदन की गरिमा को नहीं गिराया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 17 Apr 2016 11:49 PM (IST)Updated: Sun, 17 Apr 2016 11:55 PM (IST)
आजम खां ने नहीं गिराई विधानसभा की गरिमा : माता प्रसाद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक भले ही यह मानते हैं कि संसदीय कार्यमंत्री मो. आजम खां ने विधानसभा की गरिमा और मर्यादा का ख्याल नहीं रखा लेकिन विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय का स्पष्ट तौर पर कहना है कि आजम ने सदन की गरिमा को कतई नहीं गिराया है। आजम के बचाव में खुलकर सामने आए अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने विधानसभा में न असंसदीय भाषा बोली थी और न ही ऐसा कोई वक्तव्य दिया जिससे संसदीय कार्य मंत्री होने की उनकी योग्यता पर कोई सवाल खड़ा करे। राजभवन में विधेयकों को रोके जाने पर राज्यपाल द्वारा दिए गए तर्कों के संबंध में अध्यक्ष ने कहा कि वह उनसे सहमत नहीं हैं।

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राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष ने सीधे तौर पर तो राज्यपाल के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन इतना जरूर कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को अपनी जिम्मेदारी और पद की गरिमा का ख्याल रखना चाहिए। आजम द्वारा आठ मार्च को विधानसभा में राज्यपाल के प्रति की गई टिप्पणी के संबंध में पाण्डेय ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री ने सदन में किसी तरह की असंसदीय भाषा नहीं बोली थी। राजभवन में विधेयक रोके जाने पर आजम ने सिर्फ आरोप (आक्षेप) लगाए थे जिसे असंसदीय भाषा नहीं कहा जा सकता।

अध्यक्ष ने बताया कि पिछले दिनों वह राज्यपाल से मिले थे। राज्यपाल ने उन्हें महापौरों के अधिकारों में कटौती करने संबंधी उत्तर प्रदेश नगर निगम (संशोधन) विधेयक सहित छह विधेयकों को मंजूरी न देने के कारणों के बारे में बताया था। राज्यपाल द्वारा दिए गए तर्कों के बारे में बताने से इन्कार करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि वह उनसे सहमत नहीं है। पाण्डेय ने कहा कि संविधान, राज्यपाल को किसी भी विधेयक को रोकने, सुझाव देकर वापस करने या फिर राष्ट्रपति को भेजने का अधिकार देता है लेकिन क्या यह ठीक है कि जनहित से जुड़े विधेयक यूं ही लटके रहें? नगर निगम (संशोधन) विधेयक का जिक्र करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि इसमें क्या गलत हो सकता है कि नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत अध्यक्षों के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पहले से लागू व्यवस्था को ही अब महापौरों पर भी सरकार लागू करना चाहती है।


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